
- सियासत का वंशवाद: वारिसों को मिलता है टिकट या संगठन में पद
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा के साथ ही कांग्रेस भी परिवारवाद को बढ़ाने में पीछे नहीं है। वर्तमान विभानसभा में करीब 20 विधायकों के पीछे उनके परिवारों की लंबी राजनीतिक विरासत है। एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश कांग्रेस की मौजूदा विधानसभा टीम पर नजर डालें तो साफ झलकता है कि पार्टी भी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने में पीछे नहीं है। नए चेहरों की जगह ज्यादातर सीटों पर वही नेता टिके हैं, जिनके परिवार पहले से सत्ता या संगठन में मजबूत पकड़ रखते आए हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस दोनों आज भी वंशवादी राजनीति के घेरे में है। कई सीटों पर टिकट बंटवारे से लेकर संगठन की ताकत तक, सब कुछ पारिवारिक विरासत पर आधारित दिखाई देता है।
सिंघार को भी विरासत में मिली राजनीति
खरगोन के भीकनगांव से कांग्रेस विधायक झूमा सोलंकी के रिश्तेदार जीवन सिंह पटेल कांग्रेस के पूर्व नेता रहे और रामपुर बघेलान विधानसभा सीट से 1989 से विधायक चुने गए। वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी परिवार की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। धार के गंधवानी से कांग्रेस विधायक उमंग सिंघार पूर्व उपमुख्यमंत्री स्व. जमुना देवी के भतीजे हैं। जमुना देवी 1962-67 में लोकसभा सदस्य थीं। इसके बाद 1978 में राज्यसभा की सदस्य भी बनीं। इसके बाद 1998 से 2003 तक मध्य प्रदेश की उपमुख्यमंत्री रही। हरदा के टिमरनी से कांग्रेस विधायक अभिजीत सिंह (अंकित बाबा) के अंकल संजय शाह (मकड़ई) भाजपा के सीनियर नेता रहे हैं। भाजपा के टिमरनी से विधायक रहे।
बालाघाट से विधायक अनुभा मुंजारे के पति कंकर मुंजारे तीन बार विधायक रहे और एक सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 2024 में बसपा सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। अलीराजपुर के जोबट से विधायक सेना के पति महेश पटेल दो बार विधायक और जिला अध्यक्ष रहे।
ये भी बढ़ा रहे पिता की विरासत आगे
भोपाल उत्तर से विधायक आतिफ अकील के पिता आरिफ अकील कांग्रेस के कद्दावर मुस्लिम नेता रहे और लंबे समय तक विधायक रहे। वह कांग्रेस सरकार में मंत्री भी थे। निवाड़ी की पृथ्वीपुर से कांग्रेस विधायक नितेंद्र सिंह राठौर के पिता ब्रजेंद्र सिंह राठौर पांच बार विधायक रहे और मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे। छिंदवाड़ा के सौंसर से कांग्रेस विधायक विजय रविनाथ चौरे के पिता रेवनाथ चौरे सौंसर से 1990 में विधायक चुने गए थे। सतना के अमरपाटन से विधायक डॉ. राजेंद्र कुमार सिंह के पिता शिवमोहन सिंह वरिष्ठ पुलिस अधिकारी रहे थे। वे 1990 में विधायक चुने गए थे। दतिया विधानसभा सीट से राजेंद्र भारती के पिता श्याम सुंदर श्याम पांच बार दतिया से विधायक रहे।
पिता नेता प्रतिपक्ष, बेटा उप नेता प्रतिपक्ष
भिंड के अटेर से कांग्रेस विधायक हेमंत सत्यदेव कटारे के पिता सत्यदेव कटारे चार बार अटेर से विधायक रहे। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे। सतना सीट से विधायक डब्बू सिद्धार्थ सुखलाल कुशवाह के पिता सुखलाल कुशवाह कांग्रेस के टिकट पर सतना से 1996-1998 में सांसद रहें। वहीं, सिवनी के केवलारी से कांग्रेस विधायक रजनीश हरवंश सिंह के पिता हरवंश सिंह केवलारी से विधायक रहे हैं। धार की कुक्षी सीट से कांग्रेस विधायक बघेल सुरेंद्र सिंह हनी के पिता प्रताप सिंह बघेल भाजपा के टिकट पर 2008 में विधायक बने थे।
दो पूर्व सीएम के बेटे विधायक
सीधी के चुरहट से अजय सिंह विधायक हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता स्व. अर्जुन सिंह के बेटे हैं। अर्जुन सिंह केंद्र सरकार में कई बार मंत्री भी रहे। वहीं, गुना के राघौगढ़ से विधायक जयर्वधन सिंह के पिता दिग्विजय सिंह प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस से राज्यसभा सांसद हैं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ भी छिंदवाड़ा से सांसद रहे। उन्होंने 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री के बेटे संभाल रहे विरासत
झाबुआ से डॉ. विक्रांत भूरिया विधायक हैं। उनके पिता कांतिलाल भूरिया रतलाम-झाबुआ से सांसद रहे और केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। वहीं, खरगोन के कसरावद से सचिन यादव विधायक हैं, उनके पिता सुभाष यादव प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और उनके बड़े भाई अरुण यादव केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। बालाघाट की ब्यौहारी से कांग्रेस विधायक संजय उइके के पिता गनपत सिंह उइके कई बार विधायक रहे और कांग्रेस सरकार में मंत्री भी रहे।
