- एक खरब रुपयों की योजना पर हो रहा काम

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र के लोक निर्माण विभाग ने लोक निर्माण से लोक कल्याण का नारा दिया है। इसके अंतर्गत मप्र को प्रगति के पथ पर बढ़ाने के लिए विभाग ने सडक़ निर्माण में आधुनिक तकनीक, पर्यावरण संरक्षण, लोकपथ ऐप और गुणवत्ता नियंत्रण से राज्य का बुनियादी ढांचा ही बदल दिया है। प्रदेश में अधोसंरचना विकास अब केवल निर्माण कार्यों तक सीमित नहीं रह गया, बल्कि यह समग्र सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी परिवर्तन का माध्यम बन चुका है। लोक निर्माण विभाग का नेटवर्क प्रदेश के गांवों, शहरों, कृषि क्षेत्रों और औद्योगिक केंद्रों को एकसूत्र में पिरोने का काम कर रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने 10 हजार करोड़ मेें 474 पुल और फ्लाईओवर बनाने का काम शुरू कर दिया है। मप्र में मौजूदा दौर में लोक निर्माण विभाग के अधीन 80,775 किमी लंबा सडक़ का नेटवर्क क्रियाशील है। जिसमें 9,315 किलोमीटर नेशनल हाइवे, 11,389 किमी स्टेट हाईवे, 25,639 किमी मुख्य जिला सडक़ और 34,432 किलोमीटर दूसरे जिले की सडक़ें शामिल हैं। इन सडक़ों का यह नेटवर्क मप्र के गांवों, कस्बों और नगरों के साथ कृषि क्षेत्रों के साथ ही औद्योगिक केंद्रों को एकसूत्र में पिरोने का काम कर रहा है। पिछले 14 महीनों की बात करें तो इस अवधि के दौरान 6,400 करोड़ रुपये की लागत से करीब 5,500 किमी की लंबी सडक़ों का निर्माण और मजबूतीकरण किया गया। 345 करोड़ रुपये की लागत से 1,500 किमी का डामरीकरण और 2 हजार करोड़ रुपये से 110 पुलों और एलिवेटेड कॉरिडोर का प्रदेश में निर्माण किया गया है। मौजूदा दौर में 22,500 करोड़ रुपये लागत की 10 हजार किमी सड़कों और 10 हजार 463 करोड़ रुपये से 474 पुलों और फ्लाईओवरों पर काम तेजी से प्रगति पर है।
ये काम प्रगति पर
निगम द्वारा निजी पूंजी निवेश, सामान्य कांट्रैक्ट योजना, एडीबी, एनडीबी के वित्त पोषण और हाइब्रिड एन्युटी मॉडल के तहत सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। मप्र में राष्ट्रीय राजमार्गों के संधारण, नवीनीकरण मजबूतीकरण तथा चौड़ीकरण का काम लोक निर्माण विभाग के राष्ट्रीय राजमार्ग परिक्षेत्र, प्रदेश सड़क विकास निगम द्वारा किए जा रहे हैं। वर्तमान में मप्र में 9315 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। 9315 किलोमीटर के राष्ट्रीय राजमार्ग में से वर्तमान में 4539 किमी लंबाई के लोक निर्माण विभाग के अधीन हैं। 4777 किमी के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधीन हैं। प्रदेश में 475 सेतु के काम स्वीकृत हो चुके हैं। इनमें 116 आरओबी, 8 फ्लाई ओवर ब्रिज और 351 बड़े पुल शामिल हैं। स्वीकृत कार्यों की लागत 10466 करोड़ है। इन कार्यों पर मार्च 2024 तक 1654 करोड खर्च हो चुके हैं।
जबलपुर, भोपाल एवं इंदौर में एलिवेटेड कॉरिडोर
मप्र सरकार की ओर से भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे प्रमुख शहरों में एलिवेटेड कॉरिडोर निर्माण को प्राथमिकता दी गई है। साथ ही नर्मदा प्रगतिपथ के साथ ही विंध्य एक्सप्रेस-वे, मालवा और निमाड़ कॉरिडोर के साथ अटल प्रगतिपथ ही नहीं बुंदेलखंड और मध्य भारत विकास पथ जैसी आधा दर्जल प्रमुख परियोजनाओं को प्रारंभ किया गया है। यह सडक़ें मप्र के दूरस्थ अंचलों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ेंगी। मप्र में करीब सभी राष्ट्रीय राजमार्ग को फोर लेन में बदला जा रहा है। इस योजना के तहत अब तक चार हजार 740 किमी लंबी सड़कों को फोर लेन में बदल दिया गया है। बाकी बची करीब 3,050 किलोमीटर नेशनल हाईवे को भी फोरलेन करने का काम तेजी से जारी है। प्रदेश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को सरकार मजबूत करने में जुटी है। सड़कों का उन्नयन और चौड़ीकरण हो रहा है। पुल और फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। नई कार्ययोजना में लोक निर्माण विभाग ने प्रदेश में 10 हजार करोड़ से अधिक की लागत से 474 पुल और फ्लाईओवर निर्माण का काम शुरू कर दिया है। ग्वालियर, जबलपुर, भोपाल और इंदौर जैसे प्रमुख शहरों में एलिवेटेड कॉरिडोर का निर्माण किया जाना है। इसके लिए भी लोक निर्माण विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। प्रदेश में छह साल में 234 पुल और फ्लाईओवर बनकर तैयार हो चुके हैं। पिछले साल 42 पुल बने हैं। हालांकि लक्ष्य 75 पुल और फ्लाईओवर बनाने का था।
जिले और गांवों की 1711 सडक़ों का निर्माण
नाबार्ड योजना के तहत जिले और गांवों की 1711 सडक़ों का निर्माण किया जाना है। इसके लिए 4559.88 करोड़ एवं 425 पुल निर्माण के लिए 1157.97 करोड़ का ऋण स्वीकृत किया गया है। योजनांतर्गत 18742.02 किलोमीटर सडक़ों का निर्माण किया जाना है। विभिन्न चरणों में स्वीकृत कार्यों में से 1628 सडक़ कार्य एवं 407 पुल के काम हो चुके हैं। इसके अलावा विभाग ने 6309.03 करोड़ के प्रतिपूर्ति दावे नाबार्ड को प्रस्तुत किए गए हैं, जिनके विरुद्ध 4976.85 करोड़ की राशि नाबार्ड द्वारा प्रतिपूर्ति भी कर दी गई है।