प्रदेश में आधे से अधिक ऑक्सीजन प्लांट्स की फूली सांस

ऑक्सीजन प्लांट्स
  • तीसरी लहर की दस्तक ने खोली सरकारी तैयारियों की पोल

    भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। 
    देश में ओमिक्रॉन विस्फोटक रूप लेता जा रहा है। इसे तीसरी लहर की दस्तक माना जा रहा है। इसको देखते हुए मप्र में सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है। इन तैयारियों के बीच प्रदेश सरकार द्वारा बनाए गए ऑक्सीजन प्लांट्स में से आधे से अधिक परीक्षण में ही फेल हो गए हैं। प्रदेश में 202 ऑक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो चुके हैं। सरकार का दावा है कि इनमें से 163 ऑक्सीजन प्लांट ने काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन हकीकत यह है कि आनन-फानन में शुरू हुए इन ऑक्सीजन प्लांट में कमियां दिखने लगी हैं। कई जिलों में निरीक्षण के दौरान 50 फीसदी ऑक्सीजन प्लांट फैल हो रहे हैं।  जानकारी के अनुसार, परीक्षण में कई खामियां सामने आई हैं। कहीं ऑक्सीजन की शुद्धता मापने वाला उपकरण खराब है, तो कहीं टेक्नीशियन नहीं हैं। इससे  ऑक्सीजन प्लांट सही तरीके से काम नहीं कर पा रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान प्रदेश में आॅक्सीजन की कमी से हजारों कोरोना संक्रमितों ने दम तोड़ दिया था। इसको देखते हुए प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों सहित जिले के बड़े शहरों मे   ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। हर जिले में दो से तीन आॅक्सीजन प्लांट बनकर तैयार हो चुके हैं। सरकार का दावा है कि इन आॅक्सीजन प्लांट को कोविड अस्पतालों से जोड़ा जा रहा है, जिससे जरूरत पड़ने पर मरीजों को बेड पर ही  ऑक्सीजन प्लांट से सीधे आॅक्सीजन मिलेगी, लेकिन इस प्रक्रिया में भी अस्पताल पिछड़े हुए हैं।
    भोपाल में ही मिली खामियां
    प्रदेश के दूसरे जिलों की स्थिति क्या होगी इसका आंकलन इसी से लगाया जा सकता है की राजधानी के ही ऑक्सीजन प्लांट ठीक से काम नहीं कर रहे हैं। राजधानी के जेपी अस्पताल में बने दोनों  ऑक्सीजन   प्लांट कोविड वार्ड से कनेक्ट नहीं हैं। अन्य जिलों में बने ऑक्सीजन प्लांट की भी यही स्थिति है। इससे कोरोना संक्रमण बढ़ने पर परेशानी हो सकती है। राजधानी भोपाल में बीते दिनों सरकार द्वारा 9 स्थानों पर आॅक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए हैं। इसमें एम्स, हमीदिया, जेपी, काटजू सहित अन्य सरकारी अस्पताल शामिल हैं। तीन दिन पहले हुए ऑक्सीजन ड्राई रन में सिर्फ एम्स ही हर मानक पर खरा उतरा, जबकि जेपी, हमीदिया और अन्य अस्पतालों में कुछ न कुछ तकनीकी कमियां पाई गई हैं। हालांकि इस मामले में भोपाल सीएमएचओ डॉ. प्रभाकर तिवारी का कहना है कि हमारी टेक्निकल टीम लगातार काम कर रही है। अभी हमारे पास समय है, हम एक सप्ताह में सभी कमियां दूर कर देंगे। अगले सप्ताह फिर ड्राई रन किया जाएगा, जिससे स्थिति साफ हो सके। उधर अधिकारियों का कहना है कि भले ऑक्सीजन प्लांट के परीक्षण में कुछ कमियां पाई गई हैं, लेकिन अभी इन कमियों को दूर करने का मौका है।
    कहीं प्लांट शुरू नहीं तो कहीं अस्पताल से कनेक्ट नहीं
    परीक्षण के दौरान कहीं ऑक्सीजन प्लांट शुरू नहीं हो पाए तो कहीं अस्पताल से कनेक्ट ही नहीं है। विदिशा जिला अस्पताल के  ऑक्सीजन  प्लांट को शुरू होने में अभी भी एक सप्ताह का समय लगेगा। यह स्थिति तब है, जब सरकार  ऑक्सीजन   प्लांट शुरू किए जाने को लेकर सख्त निर्देश दे चुकी है। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का आलम यह है कि जिला अस्पताल परिसर स्थित बनकर तैयार  ऑक्सीजन   प्लांट तकनीकी खामियों के कारण अब तक शुरू नहीं हो सका है। अस्पताल में बने  ऑक्सीजन   प्लांट की क्षमता प्रति मिनट एक हजार लीटर ऑक्सीजन जनरेट करने की है। जिला अस्पताल के सभी वार्डों में पाइपलाइन के माध्यम से इसे अटैच कर दिया गया है, लेकिन इसकी शुद्धता में कुछ गड़बड़ी के कारण प्लांट का उपयोग फिलहाल नहीं हो पा रहा है। उधर राजगढ़ जिले में 4  ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हुए हैं। इनमें से दो  ऑक्सीजन प्लांट को कोविड केयर अस्पताल के कुछ बिस्तरों तक कनेक्ट किया जा सका है। दो  ऑक्सीजन प्लांट तो कोविड अस्पतालों तक कनेक्ट ही नहीं हो पाए हैं। ऐसे में अगर कोरोना संक्रमण बढ़ा, तो मुश्किल हो सकती है। वहीं होशंगाबाद जिला अस्पताल में बना आॅक्सीजन प्लांट तो चालू हो गया है, लेकिन उससे बनने वाली  ऑक्सीजन प्यूरिटी का एनालाइजर खराब है। इस वजह से प्लांट से मिलने वाली आॅक्सीजन की प्यूरिटी (शुद्धता) की जांच ही नहीं हो पा रही है। इससे  ऑक्सीजन प्लांट बंद पड़ा है। यहां 300 बिस्तरों वाले अस्पताल में दो करोड़ की लागत से 750 व 1000 एलएमपी क्षमता का आॅक्सीजन प्लांट तैयार है, लेकिन प्लांट से अस्पताल में अभी तक आॅक्सीजन की सप्लाई शुरू नहीं हुई है। उधर सीहोर में हेल्थ सिस्टम कोरोना रक्षक दवाओं और बचाव उपकरणों की कमी से जूझ रहा है।

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