मंत्रिमंडल: विभागों को लेकर भोपाल से दिल्ली तक मंथन

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  • मंत्रिमंडल के विभागों का वितरण नहीं होने से मंत्री भी बेकाम, प्रमुख व मलाईदार विभागों के लिए एक अनार सौ बीमार

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मंत्री पद की शपथ लेने बाद अब मंत्रियों को विभाग मिलने का इंतजार है। बताया जाता है कि जिस तरह मंत्रिमंडल का गठन आलाकमान के दिशा निर्देश पर हुआ है, उसी तरह विभागों का बंटवारा भी होगा। इसकी वजह यह है कि प्रदेश के प्रमुख और मलाईदार विभागों के लिए एक अनार सौ बीमार की स्थिति बनी हुई है। बताया जा रहा है कि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह और उदयराव प्रताप सिंह जैसे वरिष्ठ नेताओं की कैबिनेट में उपस्थिति ने विभाग के बंटवारे को पेचीदा बना दिया है, जिसके चलते मंत्रियों को विभाग मिलने में इतनी देरी हो रही है। इनके अलावा कैबिनेट में सिंधिया खेमे से शामिल प्रमुख मंत्रियों के कारण भी विभागों के बंटवारे में इतना समय लग रहा है। ऐसे में अब भोपाल से लेकर दिल्ली तक विभागों के वितरण को लेकर मंथन का दौर चल रहा है। इधर, मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के साथ शपथ लेने वाले दो डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल और जगदीश देवड़ा पहले से ही विभाग मिलने की राह देख रहे हैं।
मंत्रिमंडल के गठन के बाद अब मंत्रियों की गृह विभाग, नगरीय प्रशासन, राजस्व, वित्त, पीडब्ल्यूडी, महिला बाल विकास विभाग, पीएचई, जल संसाधन, कृषि, बिजली, जनसंपर्क और परिवहन जैसे प्रमुख व मलाईदार विभागों पर नजर है। कैलाश विजयवर्गीय पहले भी नगरीय प्रशासन विभाग संभाल चुके हैं। सिंधिया खेमे के गोविंद राजपूत राजस्व और परिवहन विभाग देख चुके हैं। प्रद्युम्न सिंह तोमर शिवराज सरकार में बिजली मंत्री रहे हैं। तुलसी के पास भी जल संसाधन विभाग रह चुका है। वहीं, राकेश सिंह, प्रह्लाद पटेल और उदय राव प्रताप सिंह पहली बार के विधायक हैं और पहली बार में ही कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। ऐसे में इन्हें भी अपनी वरिष्ठता के चलते प्रमुख विभाग मिलने की आस है।
बड़े विभाग बने बड़ी चुनौती
प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन के बाद अब सबसे बड़ी चुनौती बड़े विभागों को लेकर है। मुख्यमंत्री के बाद सबसे पावरफुल विभाग गृह विभाग माना जाता है, ऐसे में लाजमी है कि किसी बड़े और अनुभवी मंत्री को इसकी जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन यह बड़ा नेता होगा कौन? इस पर राजनीति के गलियारे से लेकर प्रशासनिक गलियारे तक चर्चा की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस भारी भरकम मंत्रालय की कमान कद्दावर विधायक कैलाश विजयवर्गीय को मिल सकता है। लेकिन इस विभाग के लिए दूसरे बड़े विधायकों की भी नजर है। ऐसा भी कहा जा रहा है कि सीएम यादव फिलहाल इसे अपने पास रख सकते हैं या फिर अपने किसी करीबी मंत्री को जिम्मेदारी दे सकते है। हालांकि इस पर अंतिम फैसला दिल्ली को लेना है। शहरी विकास मंत्रालय भी काफी वजनदार माना जाता है। इस विभाग को लेकर भी कैलाश विजयवर्गीय के नाम की चर्चा सामने आई है। कहा जा रहा है कि यदि दिल्ली ने विजयवर्गीय को होम मिनिस्टर नहीं बनाए जाने पर सहमति दी, तो उन्हें शहरी विकास व आवास मंत्रालय की जिम्मेदारी दी जा सकती है। दूसरे बड़े नेता प्रहलाद पटेल है, जो पहली बार विधायक भले ही बनें हो, लेकिन वे कई बार सांसद चुनकर केन्द्र में अहम विभागों के मंत्री रहे है। ऐसे में उन्हें भी गृह विभाग का प्रबल दावेदार बताया जा रहा है। यदि उन्हें होम मिनिस्टर नहीं बनाया जाता है, तो फिर वे अगले पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री बनाए जा सकते है। इसी तरह जबलपुर पश्चिम से चुनाव जीतकर विधानसभा आए राकेश सिंह भी बड़े विभाग के दावेदार बताए जा रहे है, चर्चा है कि अगर ं कैलाश विजयवर्गीय को गृह विभाग मिलता है, तो उन्हें शहरी विकास एवं आवास मंत्रालय दिया जा सकता है। सांसद से विधायक बनें एक और मंत्री राव उदय प्रताप सिंह का भी नाम बड़े मंत्रालय से जोड़ा जा रहा है। कहां जा रहा है कि वे पीडब्ल्यूडी की जिम्मेदारी उठा सकते है। बड़े विभागों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भी आता है, जिस पर भी कई बड़े मंत्रियों की नजर है। कहा जा रहा है कि पिछली बार कैबिनेट मंत्री के तौर पर विश्वास सारंग  चिकित्सा शिक्षा मंत्री रहे है। इस विभाग के साथ-साथ उनकी स्वास्थ्य विभाग पर भी पकड़ रही है, ऐसे में सीएम डॉ. मोहन यादव उन्हें अगला स्वास्थ्य मंत्री बना सकते है। तुलसी राम सिलावट को फिर से जलसंसाधन जैसे बड़े विभाग दिए जाने की चर्चा है। अगर उनका विभाग बदला जाता है, तो फिर वे राजस्व परिवहन जैसे बड़े विभाग की जिम्मेदारी उठा सकते है। शिवराज सरकार में यह विभाग गोविन्द सिंह राजपूत के पास रहा है, वे भी सिंधिया समर्थक है। इस बार राजपूत को पुराना विभाग मिलने की उम्मीद काफी कम मानी जा रही है, ऐसे में उन्हें चिकित्सा शिक्षा, वन या कृषि मंत्रालय जैसे बड़े विभाग मिलने की चर्चाएं है। कुंवर विजय शाह को भी वन विभाग नहीं मिलना लगभग तय माना जा रहा है, ऐसे में उन्हें खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति विभाग या ऊर्जा में से कोई एक विभाग दिया जा सकता है। सिंधिया समर्थक एक और मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को इस बार ऊर्जा की जगह उद्योग, जलसंसाधन या श्रम मंत्रालय का मंत्री बनाया जा सकता है। डॉ. मोहन यादव मंत्रिमण्डल में कैबिनेट मंत्री बनी दोनों महिला विधायकों को भी अहम विभाग मिलने की चर्चा है। संपत्तिया उइके को महिला बाल विकास या अनुसूचित जाति जनजाति मंत्रालय और निर्मला भूरिया को खेल युवा कल्याण जैसा विभाग दिया जा सकता है। निर्मला महिला बाल विकास की भी दावेदार बताई जा रही है। सूत्रों की माने तो स्कूल शिक्षा मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रहे इंदर सिंह परमार को अगला कृषि मंत्री भी बनाया जा सकता है। उन्हें पशुपालन या उच्च शिक्षा मंत्रालय की भी जिम्मेदारी दी जा सकती है।
 दिल्ली में तय हो रहे विभाग
आमतौर पर मंत्री बनने के अगले दिन ही मंत्रियों को विभाग बांट दिए जाते हैं पर इस बार मंत्रिमंडल में सीनियर चेहरे ज्यादा होने के कारण विभाग बांटने से पहले जमकर मंथन किया जा रहा है। खासकर गृह, लोक निर्माण, परिवहन, वित्त, वाणिज्यिक कर, नगरीय प्रशासन, पंचायत व ग्रामीण विकास, कृषि, खनिज साधन, वन जैसे महत्वपूर्ण महकमें किसे मिलेंगे। इसे लेकर चर्चाओं का दौर जारी है। वहीं भाजपा संगठन के सूत्रों ने बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव केन्द्रीय संगठन और प्रदेश संगठन के नेताओं से चर्चा कर जल्द ही विभाग वितरण करेंगे। प्रदेश में इस बार केन्द्रीय नेतृत्व ने नया प्रयोग करते हुए अपने कई दिग्गजों को मैदान में उतारा था। इसमें पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राकेश सिंह, राव उदयप्रताप सिंह जैसे नेता मंत्री बन गए हैं। इसमें कैलाश विजयवर्गीय उन नेताओं में से हैं जो 2003 में उमा सरकार, उसके बाद बाबूलाल गौर और फिर शिवराज कैबिनेट में भी वजनदार विभाग के मंत्री रहे है। उनके पास इस बार कौन सा विभाग रहता है, इस पर सबकी नजर है। दूसरा बड़ा नाम प्रहलाद पटेल का है। पटेल केन्द्र सरकार में दो बार मंत्री रह चुके हैं। उनका लंबा राजनीतिक अनुभव है। उन्हें भी वजनदार विभाग मिलने का अनुमान है। इसी तरह पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और चार बार के सांसद राकेश सिंह की गिनती भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में होती है। राकेश सिंह को भी बेहतर विभाग मिलने की उम्मीद है। वहीं भाजपा ने पहली बार उपमुख्यमंत्री बनाने का प्रयोग शुरू किया है। उपमुख्यमंत्री बनाए गए जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल को कौन सा विभाग मिलेगा, इस पर भी सभी की नजर है।

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