
भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। गंभीर रूप से आर्थिक संकट का सामना कर रहे नगरीय निकायों को आर्थिक रूप से मजबूती देने के लिए अब सरकार ने उन्हें अपनी संपत्ति को निजी लोगों को अंतरण करने की सुविधा प्रदान कर दी है। इसके तहत अब निकाय अपनी संपत्ति को बेचने के साथ ही दान, पट्टा और बंधक तक रख सकेंगे।
इसके लिए राज्य सरकार द्वारा निकाय अचल संपत्तियों के अंतरण नियम 2016 में संशोधन कर दिया है। संशोधित नियमों के अनुसार अब जिस नगर पालिक निगम की आबादी पांच लाख से अधिक है और वहां संम्पत्ति का मूल्य 50 करोड़ रुपए से अधिक है तो ऐसे मामलों में जमीन का अंतरण करने का अधिकार राज्य सरकार के पास ही रहेगा। संशोधित नियमों के अनुसार 3 लाख या उससे अधिक की आबादी वाले नगर पालिक निगम में 10 करोड़ तक की संपत्ति के अंतरण का अधिकार मेयर इन काउंसिल को दे दिया गया है। इसी तरह से यदि संपत्ति का मूल मूल्य 10 करोड़ रुपए से अधिक और 20 करोड़ रुपए से कम है तो उसके अंतरण का अधिकार निगम परिषद के पास रहेगा। इसी तरह से बीस करोड़ रुपए से अधिक और 50 करोड़ रुपए से कम की संपत्ति का अधिकार आयुक्त नगरीय निकाय को दिया गया है।
इसी तरह से पांच लाख से कम आबादी वाले नगर पालिक निगम या नगर पालिका परिषद में दो करोड़ रुपए मूल्य तक की अचल संपत्तियों के अंतरण का अधिकार प्रेसिडेंट इन काउंसिल को दे दिया गया है जबकि दो करोड़ रुपए से पांच करोड़ रुपए मूल्य की अचल संपत्ति का अंतरण करने का अधिकार परिषद को प्रदान कर दिया गया है। इसी तरह से 5 करोड़ों रुपए से अधिक और 10 करोड़ रुपए मूल्य से कम की अचल संपत्तियों के मामले में निर्णय लेने का अधिकार आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास को दे दिया गया है। इसी तरह से 10 करोड़ों रुपए से अधिक मूल्य की अचल संपत्तियों के अंतरण का अधिकार पूर्व की ही तरह राज्य सरकार के पास रहेगा।
नगर परिषदों में यह होगा नियम लागू
नियमों में किए गए संशोधन के मुताबिक अब नगर परिषदों में 50 लाख रुपए मूल्य की अचल संपत्तियों के अंतरण का अधिकार प्रेसिडेंट इन काउंसिल के पास रहेगा , जबकि पचास लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक के मूल्य की अचल संपत्ति के अंतरण का अधिकार परिषद के पास रहेगा। इसी तरह से एक करोड़ रुपए से अधिक और 5 करोड़ों रुपए तक की कीमत वाली अचल संपत्तियों के अंतरण का अधिकार आयुक्त नगरीय प्रशासन और 5 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य की अचल संपत्ति के मामले में निर्णय लेने का अधिकार राज्य सरकार के पास रहेगा।
बताना होगा निकाय का हित
संशोधित किए गए नियमों के तहत उसके अंतरण का प्रस्ताव तैयार करने का जिम्मा निकायों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को दिया गया है। इस प्रस्ताव में संपत्ति का खसरा और नक्शा भी शामिल करना होगा। प्रस्ताव के साथ ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी को यह भी बताना होगा कि उक्त अचल संपत्ति का अंतरण करना निकाय के हित में किस तरह से रहेगा। इसके बाद प्रस्ताव को विचार के लिए पेश किया जाएगा। प्रस्ताव पर सहमति मिलने के बाद संपत्ति का आरक्षित मूल्य और वार्षिक भू -भाटक का निर्धारण किया जाएगा।