
- नगरीय निकायों में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के लगाए जाएंगे प्लांट
भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। हर माह बिजली पर करोड़ों रूपए खर्च करने वाले नगरीय निकायों ने अब खुद की बिजली बनाने की योजना बनाई है। इसके लिए नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग कार्ययोजना पर काम कर रहा है। इस कार्ययोजना के तहत हर नगरीय निकाय क्षेत्र में सौर ऊर्जा प्लांट लगाया जाएगा, ताकि अपनी जरूरत की बिजली उत्पादन के साथ ही ज्यादा बिजली पैदा कर निजी कंपनियों को बेचा जा सके। इसकी शुरूआत भोपाल नगर निगम करने जा रहा है। नगर निगम नीमच जिले में पीपीपी मोड पर सोलर प्लांट लगा रहा है। इंदौर भी सोलर प्लांट के लिए जमीन तलाश की जा रही है। वर्तमान में उनके द्वारा अपने उपयोग के लिए कुछ बिजली तैयार भी की जा रही है।
गौरतलब है कि नगर निगमों में 8 से 12 करोड़ रुपए प्रतिमाह बिजली का बिल आता है, जबकि सभी निकायों में हर माह लगभग सौ करोड़ रुपए की बिजली खर्च होती है। बिल भरने में ही निकायों की ज्यादातर कमाई हर माह खर्च हो रही है। इसके बाद भी वे पूरा बिल नहीं भर पाते। इससे बिजली कंपनी और निकायों के बीच विवाद की स्थिति बनती है। कई मौके ऐसे भी आए, जब बिजली कंपनियों ने बिजली कनेक्शन काट दिए और सरकार के हस्तक्षेप के बाद कनेक्शन जोड़े गए। सोलर प्लांट लगाने जिला और संभाग स्तर के निकायों का क्लस्टर बनाया जाएगा। अग्रणी निकाय नगर निगम होंगे। इनके अधीन 4-5 जिलों के निकाय होंगे। प्लांट पीपीपी मोड पर लगेंगे। बिजली ग्रिड के जरिए निकायों को भेजी जाएगी। शेष बिजली निजी कंपनियों को बेची जाएगी।
प्रदेशभर में 5 लाख स्ट्रीट लाइट्स बदलेंगी
प्रदेशभर के 413 निकायों की पांच लाख स्ट्रीट लाइट्स बदली जाएंगी। इन लाइट्स और उनके उपकरण बदलने में करीब 175 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। इसके बदले में कम बिजली खपत करने वाली एलईडी लाइट लगाने का काम एनर्जी एफिशियंसी सर्विसेज लिमिटेड जयपुर (ईईएसएल) को दिया जाएगा। यही पांच वर्षों तक इन स्ट्रीट लाइट्स का रख-रखाव भी करेगी। नगरीय प्रशासन एवं विकास आयुक्त भरत यादव का कहना है कि निकायों में बिजली बिल बड़ा खर्च है। अब निकाय बिजली खुद तैयार करेंगे। अपने उपयोग के अलावा बिजली बेचने का भी काम करेंगे। इससे बिल खर्च कम होगा और दूसरा अतिरिक्त बचत की बिजली बेचने से आय भी होगी।
भारी बिजली बिलों से मिलेगी मुक्ति
भोपाल-इंदौर जैसे बड़े नगर निगम अपने 10 से 15 करोड़ रुपए प्रतिमाह के बिजली बिल का तोड़ नीमच, रतलाम, मंदसौर जैसे छोटे शहरों में तलाश रहे हैं। सरकारी मदद से ये छोटे शहरों के गांवों, पहाड़ों और खुले-बंजर मैदानों में सोलर व विंड एनर्जी प्लांट स्थापित कर रहे हैं। भोपाल तो 400 किमी दूर नीमच में इसके लिए 123.5 एकड़ जमीन पर अपने लिए सोलर ब विंड एनर्जी प्लांट के प्रोजेक्ट पर काफी काम कर चुका है। अगले कुछ दिनों में यहां जमीनी काम भी शुरू करवा दिया जाएगा। ये 20 मेगावाट का प्रोजेक्ट है। यह देख अब शासन की मदद से इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और इसी तरह के आठ बड़े नगर निगम भी अपने बिजली बिल कम करने की राह छोटे शहरों में तलाश रहे। इसके लिए शहरी आवास एवं विकास विभाग एक समग्र कार्ययोजना तैयार कर रहा है। इस समय भोपाल नगर निगम को ही प्रतिमाह 12 करोड़ रुपए तक का बिजली बिल मिलता है। स्ट्रीट लाइट से लेकर जलापूर्ति प्रोजेक्ट, सीवेज ट्रीटमेंट व इसी तरह के अन्य प्रोजेक्ट में बिजली का उपयोग होता है। भोपाल नगर निगम पर इस समय बिजली कंपनी का करीब 100 करोड़ रुपए बकाया है। यह जमा नहीं करने से बिजली कंपनी बीते तीन माह में पांच बार नगर निगम के अलग-अलग बिजली कनेक्शन काट चुकी है। यही स्थिति अन्य बड़े नगरीय निकायों की भी है।