
हरीश फतेहचंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र विधानसभा चुनाव में टिकट के दावेदारों को अब भाजपा की दूसरी लिस्ट का इंतजार है, जो कभी भी जारी हो सकती है। दूसरी लिस्ट में 53 सीटों के लिए नाम हैं। इनमें से कई पर पैनल हैं। सबकी सांस अटकी हुई है। इस बार भाजपा में टिकट के लिए पहले के मुकाबले ज्यादा मारामारी है। इस बार गुटबाजी और विरोध भी ज्यादा है। पार्टी अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर चुकी है। चुनाव तारीख के ऐलान से बहुत पहले ही प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर भाजपा सबको चौंका चुकी है। अब बाकी का इंतजार है। दूसरी सूची में 53 सीटों के नाम का ऐलान होगा। ये वो 103 सीटों में से हैं, जहां भाजपा हारती आ रही है या पार्टी ने पिछला चुनाव हारा था।
भाजपा की दूसरी सूची अगले हफ्ते में आने की सुगबुगाहट है। इसलिए चलते टिकट के दावेदारों की भीड़ प्रदेश पार्टी कार्यालय में उमड़ने लगी है। ये दावेदार बड़े नेताओं से मिलकर एक ही मांग कर रहे हैं कि एक बार मौका दे दो। भाजपा में अगले सप्ताह दूसरी सूची में पचास से ज्यादा प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हो सकता है। पहली सूची में पिछले सप्ताह 39 प्रत्याशी घोषित किए गए थे। इसके बाद दूसरी सूची के नामों पर मंथन कर उसे अंतिम रूप दे दिया गया है। प्रमुख नेताओं की दावेदारों के नाम पर दो से तीन दौर की बैठकें हो चुकी हैं। ऐसी संभावना है कि केंद्रीय चुनाव समिति की स्वीकृति मिलते ही तुरंत नामों की घोषणा कर दी जाएगी।
एक ही फॉर्मूला जिताऊ चेहरा
भाजपा ने प्रत्याशी चयन का फॉर्मूला सिर्फ जिताऊ उम्मीदवार रखा है। इसके सामने पार्टी परिवारवाद और उम्र का भी कोई बंधन नहीं रख रही है। पार्टी हर कीमत पर कीमत पर 2023 का चुनाव जीतना चाहती है, क्योंकि इससे ही भाजपा की 2024 की राह आसान होगी। पार्टी सूत्रों का कहना है कि कुछ सीटों पर पार्टी ने सिंगल नाम तय कर लिए हैं। यहां पर पार्टी के सर्वे और स्थानीय नेताओं ने भी एक राय से उनके नाम पर सहमति दे दी है। वहीं, कुछ सीटों पर दो से तीन लोगों का पैनल बनाया गया है। दरअसल इन सीटों पर सर्वे रिपोर्ट के बाद भी दो से तीन उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ने का दावा किया है। ऐसे में अब पार्टी ने उनका पैनल बनाकर शीर्ष नेतृत्व को भेजने का निर्णय लिया है। साथ ही नेताओं ने किसी भी प्रकार के अंदरुनी कलह बढऩे े से पहले ही उसके डैमेज कंट्रोल की तैयारी भी शुरू कर दी है।
पहली सूची जारी होने के बाद विरोध के बावजूद भाजपा ने दूसरी सूची में पहली की अपेक्षा ज्यादा उम्मीदवारों के नाम घोषित करने की पूरी तैयारी कर ली है। सर्वे के आधार पर जिताऊ प्रत्याशी के नाम तय कर लिए गए हैं। दूसरी सूची में 53 नाम शामिल हैं। इनमें कई सीटें ऐसी हैं ,जहां जीत-हार का अंतर 1 से 2 हजार है। भाजपा इन सीटों को हर हालत में अपने कब्जे में करना चाहती है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि अगर इनमें से आधी सीटें भी हम जीत गए तो सरकार बनाना बहुत आसान हो जाएगा। फिलहाल दूसरी सूची को लेकर पार्टी में बडूे नेताओं के बीच मंथन का दौर जारी है। पहली सूची के बाद उठे विरोध के स्वरों का देखते हुए पार्टी के आला नेता अतिरिक्त रूप से सावधानी बरत रहे हैं। इसके लिए संभावित सभी पहलुओं पर विचार विमर्श किया जा रहा है। दरअसल पार्टी नेतृत्व नहीं चाहता है कि दूसरी सूची जारी होने के बाद पहली सूची के बाद जैसे हालात नहीं बनना चाहिए। इसके लिए दावेदारों से भी अलग-अलग स्तर पर बात की जा रही है। यही नहीं बातचीत में उन नेताओं के मन को भी टटोला जा रहा है, जिन्हें पार्टी इस बार उनकी दावेदारी के बाद भी टिकट नहीं देने जा रही है।
दूसरी सूची में 53 नाम
टिकट के दावेदार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं। इन दिनों पार्टी दफ्तर में दिनभर दावेदार नजर आ रहे हैं। ये पार्टी में एक बार मौका देने और प्रतिद्वंदी दावेदारों की खामी तक बता रहे हैं। उधर भाजपा सूत्रों का कहना है के दूसरी सूची बन गई है। दूसरी सूची में 53 नाम शामिल बताए गए हैं। इनमें वे सीटें सबसे ज्यादा होंगी जहां भाजपा पिछली बार चुनाव हार गई थी। गत दिनों पार्टी हाईकमान के निर्देश पर हुई भाजपा नेताओं की बैठक में कुछ नेताओं ने दूसरी सूची जल्द जारी किए जाने की वकालत की थी। उनका तर्क था कि जो सीटें हम हार गए थे, उन पर अभी से नामों का ऐलान होने से प्रत्याशी को चुनाव प्रचार के लिए ज्यादा समय तो मिलेगा ही, साथ ही विरोध में उठने वाले स्वरों को भी दबाने के लिए पर्याप्त समय रहेगा। बैठक में मौजूद कोर ग्रुप से जुड़े एक नेता ने बताया कि हम 10 सितंबर के बाद दूसरी सूची जारी कर देंगे। जब उनसे पूछा गया कि जन-आशीर्वाद यात्राओं के दौरान सूची न जारी होने की बात कही जा रही है तो उनका कहना था कि यात्राएं अपनी जगह चलती रहेंगी। संगठन अपना काम करेगा। जानकार सूत्रों की मानें तो 10 सितंबर के आसपास केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक होना है। इस बैठक के बाद सूची जारी हो जाएगी। इसमें 53 नाम होने की बात सूत्र कह रहे हैं। इस सूची में सबसे ज्यादा नाम ग्वालियर-चंबल के होंगे। यहां से अभी सिर्फ दो सीटों पर प्रत्याशी तय हो पाए हैं। इस बार यहां से 12 नाम सामने आ सकते हैं। इसके अलावा अजजा और अजा सीटों पर भी एक दर्जन से अधिक नाम दूसरी सूची में आना तय माने जा रहा है। गौरतलब है कि पिछली बार केवल कुछ सीटों से सत्ता सिंहासन से दूर रह गई भाजपा इस बार अपनी तरफ से कोई गलती नहीं करना चाहती।
आकांक्षी सीटों पर सबसे ज्यादा कसरत
भाजपा ने 2018 में हारी 103 सीटों को आकांक्षी सीटें मानते हुए इस बार उनको जीतने के लिए कड़ी मेहनत की है। इन पर दो साल तक काम किया है। इन सीटों पर प्रभारी भी तैनात किए। इन प्रभारियों ने लंबे समय तक इन सीटों पर पसीना बहाकर रिपोर्ट तैयार की है। पार्टी इस रिपोर्ट के आधार पर यहां चुनावी रणनीति तैयार कर रही है। तीन महीने पहले टिकट इसी रिपोर्ट के आधार पर दिए गए हैं। यह बात अलहदा है कि कई स्थानों पर जिन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, उनके खिलाफ विरोध थम नहीं रहा है। इसे लेकर प्रदेश संगठन की पेशानी पर बल हैं। सूत्रों की मानें को छतरपुर, चाचौड़ा समेत कुछ सीटों पर टिकट का विरोध कर रहे नेताओं को प्रदेश संगठन ने बुलाया था, पर उनके स्वर नहीं बदले हैं। ऐसे में पार्टी को किसी भी टिकट के न बदले जाने तक का कड़ा संदेश तक देना पड़ा हैॅ। इधर ग्वालियर चंबल में प्रभात झा और ज्योतिरादित्य सिंधिया की मुलाकात को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। गौरतलब है कि प्रभात झा लंबे समय से पार्टी के पुराने कैडरबैस कार्यकर्ताओं की वकालत कर रहे हैं। सिंधिया कार्यकर्ताओं के मसले को लेकर ही झा से मिले थे। वहीं झा इस मुलाकात को सौजन्य भेंट बता रहे हैं।