इंडिया टीवी और सीएन एक्स ओपिनियन पोल का दावा, लाड़ली बहना योजना साबित होगी गेम चेंजर

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभर सकती है। इंडिया टीवी- सीएनएक्स के सर्वे ने दावा किया है कि 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में बीजेपी 115 के आंकड़े के साथ आधी सीटों पर जीत हासिल करती दिख रही है, जो बहुमत के आंकड़े 116 के बेहद करीब है। वहीं कांग्रेस अपना पिछला प्रदर्शन नहीं दोहरा पाएगी, 110 सीटों पर ही उसे संतोष करना होगा।
इंडिया टीवी-सीएनएक्स के जनमत सर्वेक्षण का कहना है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश विधानसभा में फिर सरकार बनाती दिख रही है। सर्वेक्षण के नतीजे आज समाचार चैनल पर प्रसारित किए गए। जनमत सर्वेक्षण के अनुमानों से पता चलता है कि भाजपा 115 सीटें जीत सकती है, जबकि पांच साल पहले उसने 230 सदस्यीय विधानसभा में 109 सीटें जीती थीं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस 110 सीटें जीत सकती है, जबकि पांच साल पहले उसने 114 सीटें जीती थीं। निर्दलीय समेत अन्य के पांच सीटें जीतने की संभावना है। पिछले चुनाव में सात सीटें निर्दलीय और बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी ने जीती थीं। वोट शेयर अनुमानों से पता चलता है कि भाजपा को 44.38 प्रतिशत, कांग्रेस को 42.51 प्रतिशत वोट मिल सकते हैं। अन्य को 13.11 प्रतिशत वोट मिल सकता है। 2018 के चुनाव में बीजेपी को 41.02 फीसदी, कांग्रेस को 40.89 फीसदी और अन्य को 18.09 फीसदी वोट मिले थे।
क्षेत्रवार सीट अनुमान
बघेलखण्ड- 51 सीटों वाले बघेलखंड में बीजेपी 31, कांग्रेस 19 और अन्य एक सीट जीत सकती है।
भोपाल रीजन- 24 सीटों वाले भोपाल रीजन में बीजेपी 16 सीटें जीत सकती है और बाकी आठ सीटें कांग्रेस के लिए छोड़ सकती हैं।
ग्वालियर- चंबल- ग्वालियर-चंबल में 34 सीटें हैं। कांग्रेस 22 सीटें जीत सकती है, 12 सीटें बीजेपी के लिए छोड़ी जा सकती हैं।
महाकौशल- 47 सीटों वाले महाकौशल में कांग्रेस 26 सीटें जीत सकती हैं, बीजेपी 19 सीटें जीत सकती हैं और अन्य के खाते में दो सीटें जा सकती हैं।
मालवा- 46 सीटों वाले मालवा में बीजेपी 25 सीटें जीत सकती है, कांग्रेस 20 सीटें जीत सकती है, और शेष एक सीट अन्य के पास जा सकती है।
निमाड़- 28 सीटों वाले निमाड़ में कांग्रेस 15 सीटें जीत सकती है, भाजपा 12 सीटें जीत सकती है, और शेष एक सीट अन्य के पास जा सकती है।
शिवराज मुख्यमंत्री पद पर पहली पसंद
सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चलता है कि शिवराज सिंह चौहान को 44.32 प्रतिशत लोग फिर मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं। चौहान के बाद मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ हैं, सर्वे में शामिल 38.58 प्रतिशत ने उन्हें अगले सीएम के रूप में अपनी प्राथमिकता दी है। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया केवल 9 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर हैं, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह 1.52 प्रतिशत के साथ चौथे स्थान पर हैं, और अन्य को 6.58 प्रतिशत लोगों ने पसंद किया है।
सर्वे के मुख्य निष्कर्ष
– शिवराज और बीजेपी सरकार से लोग खुश
– लाड़ली बहना कर सकती है कमाल
शिवराज अब भी शीर्ष लोकप्रिय नेता
सर्वे में शामिल करीब आधे लोगों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कामकाज और भाजपा सरकार के प्रदर्शन को 8 से 10 के बीच अंक दिए वही उनका मानना है कि लाड़ली बहना योजना चुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकती। प्रतिभागियों में से 46.83 प्रतिशत ने शिवराज सिंह चौहान के प्रदर्शन को 8 और 10 अंकों के बीच आंका है। सर्वे में शामिल किए गए 37 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे अपने विधायक द्वारा पिछले पांच वर्षों में किए गए कार्यों से पूरी तरह संतुष्ट हैं, जबकि 32.12 प्रतिशत ने कहा कि वे संतुष्ट नहीं हैं। यह पूछे जाने पर कि मध्यप्रदेश में किस सरकार ने बेहतर प्रदर्शन किया, 42.43 प्रतिशत ने कहा कि भाजपा सरकार, जबकि 37.02 प्रतिशत ने कहा कि कांग्रेस सरकार। केवल महिला मतदाताओं से पूछे गए सवाल पर, 47.3 प्रतिशत महिलाओं ने कहा, चौहान की लाड़ली बहना योजना का चुनाव पर असर होगा, जबकि 36.5 प्रतिशत ने नहीं कहा। यह पूछे जाने पर कि किस पार्टी की कल्याण योजना (गारंटी) अच्छी थी, 43.62 प्रतिशत ने भाजपा को चुना जबकि 42.15 प्रतिशत ने कांग्रेस को चुना। 53.25 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को मैदान में उतारने के भाजपा के फैसले से पार्टी को फायदा होगा, जबकि 37.18 प्रतिशत ने नहीं कहा।14.42 फीसदी ने कहा कि हिंदुत्व सबसे बड़ा मुद्दा है, जबकि 7.23 फीसदी ने कहा कि भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है। सीएनएक्स द्वारा रेंडम तरीके से चयनित 115 निर्वाचन क्षेत्रों में 11,500 उत्तरदाताओं (5,758 पुरुष और 5,742 महिलाएं) के बीच जनमत सर्वेक्षण किया गया था। यह सेम्पल सर्वे 18 से 60 वर्ष आयुवर्ग के बीच किया गया। इनमें मोची, दर्जी, नाई, दिहाड़ी मजदूर, छोटे दुकानदार, प्रवासी मजदूर, पंजीकृत चिकित्सा व्यवसायी, ऑटो और टैक्सी चालक और रियल एस्टेट डीलरों सहित विभिन्न व्यवसायों में शामिल लोगों को रेंडम चुना गया था।