भाजपा के असंतुष्टों को सहकारिता में किया जाएगा समायोजित

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  • आरक्षित विधानसभा की… सीटों पर भी लगाया जा रहा है पूरा जोर

इंदौर/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। सूबे में होने वाले विधानसभा चुनाव से डेढ़ साल पहले ही भाजपा पूरी तरह से चुनावी मोड पर आ गई है, यही वजह है कि संगठन व सरकार मिलकर अब पूरी तरह से उन कार्यक्रमों व योजनाओं पर फोकस कर रही है, जिसका फायदा चुनाव में मिल सकता है। इसके अलावा कमजोर कड़ियों को तलाश कर उन पर भी काम शुरू किया जा रहा है। इसके तहत अब सरकार पार्टी के उन प्रभावशाली नेताओं व कार्यकर्ताओं को संतुष्ट करने जा रही है, जो सरकार में भागीदारी न मिलने की वजह से लगातार नाराज बने हुए हैं। उन्हें अब सरकार सहकारिता क्षेत्र में समायोजित करने की योजना पर काम कर रही है, तो संगठन उन 82 सीटों पर फोकस कर रही है जो आरक्षित हैं। बीते चुनाव में भाजपा को इन सीटों पर बढ़ा नुकसान उठाना पड़ा था , जिसकी वजह से ही भाजपा को 15 माह तक सरकार से बाहर रहने को मजबूर होना पड़ा था। यह वे सीटें हैं जो अजा – जजा के लिए आरक्षित हैं। इनमें से अनुसूचित जाति (अजा) की 35 और अनुसूचित जनजाति (अजजा) वर्ग के लिए 47 आरक्षित हैं। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले दोनों वर्ग की 60 सीटें भाजपा के पास थीं, लेकिन अनुसूचित जाति-जनजाति वगनाराज होने से  पार्टी को इन सीटों पर बहुत नुकसान उठाना पड़ा था। उधर, पचमढ़ी की चिंतन बैठक के बाद भाजपा की आज बढ़ी बैठक हो रही है , जिसमें राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव भाग ले रहे हैं। बैठक में आगामी संगठनात्मक कार्यक्रमों की रुपरेखा तय होगी,तो 6 अप्रैल को पार्टी के स्थापना दिवस तथा 14 अप्रैल डॉ. अम्बेडकर जयंती पर होने वाले आयोजनों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। इस दौरान निवर्तमान प्रदेश संगठन महामंत्री सुहास भगत को विदाई दी जाएगी, जबकि नए संगठन महामंत्री हितानंद का स्वागत किया जाएगा।
एक दर्जन नए का-ऑपरेटिव फेडरेशनों में दी जाएगी जगह
असंतुष्टों को संतुष्ट करने के लिए अब एक दर्जन नए को- ऑपरेटिव फेडरेशन बनाने की तैयारी सरकार स्तर पर की जा रही है। इनमें एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष के साथ 5 से लेकर 15 संचालक बनाए जा सकेंगे। खास बात यह है कि इनकी पंचायत से लेकर  जिले स्तर तक भी शाखाएं होंगी। इन संघों के जरिए सरकार निचले स्तर तक पार्टी के असंतुष्टों को न केवल साधेगी , बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव से पहले वोटरों तक भी पहुंच बनाने का काम करेगी। पचमढ़ी की चिंतन बैठक में इस पर सहमति बनी थी।  नए को- आॅपरेटिव फेडरेशन का शुरूआती खर्च सरकार उठाएगी, बाद में इसे स्वशासी बनाया जाएगा। इनका संचालन को-आॅपरेटिव एक्ट के तहत किया जाएगा। सूत्रों की मानें तो इसकी अलग से नीति भी नीति आयोग मप्र एवं सुशासन संस्थान की मदद से तैयार कराई जा चुकी है। पंचायत और जिला स्तर पर इकाइयों के एक प्रतिनिधि को राज्य स्तर पर संचालक बनाकर भेजा जाएगा। यही संचालक एक अध्यक्ष और दो उपाध्यक्षों का चयन करेंगे। जो नए सहकारी संघ बनाया जाना प्रस्तावित हैं उनमें मप्र राज्य सहकारी भंडार संघ , राज्य सहकारी पर्यटन संघ, मप्र राज्य सहकारी जन औषधि विपणन संघ मप्र राज्य सहकारी उद्यानिकी संघ , मप्र राज्य सहकारी श्रमिक संघ , मप्र राज्य सहकारी ग्रामीण परिवहन संघ, मप्र राज्य सहकारी खनिज संघ, मप्र राज्य सहकारी सेवा प्रदाता संघ , मप्र राज्य सहकारी आईटी संघ , मप्र राज्य सहकारी ऊर्जा संघ , मप्र राज्य सहकारी जैविक उर्वरक संघ मप्र राज्य सहकारी ग्रामीण औद्योगिकीकरण संघ शामिल हैं।
एट्रोसिटी एक्ट से हुआ था बड़ा नुकसान
वर्ष 2018 में एट्रोसिटी एक्ट के विरोध में देशभर में विरोध-प्रदर्शन की लहर जब मध्य प्रदेश पहुंची, तो ग्वालियर चंबल क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हंगामा हुआ था। इस पर काबू पाने के लिए बड़े पैमाने पर थानों में मामले दर्ज किए गए, जिनके खिलाफ केस दर्ज हुए इनमें बड़ी संख्या एससी वर्ग से जुड़े नेताओं की थी। 2018 के विधानसभा चुनाव को सामने देखते हुए कांग्रेस ने इसका जमकर फायदा उठाया और वादा किया कि सत्ता में आने पर वह इन सभी मामलों को समाप्त कर एससी वर्ग को राहत देगी। हालांकि, सरकार बनने पर वह इस वादे को नहीं निभा सकी।
इन नेताओं की बैठक में भागीदार
भाजपा की आज हो रही बैठक में समर्पण निधि संग्रह अभियान, त्रिदेव प्रशिक्षण वर्ग सहित पार्टी के आगामी कार्यक्रमों को लेकर विस्तृत चर्चा की जा रही है। इस बैठक में भाग लेने के लिए प्रदेश पदाधिकारी, समर्पण निधि की प्रदेश टोली, मोर्चा प्रदेश , अध्यक्ष, पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी, प्रकोष्ठ संयोजक, जिला अध्यक्ष, जिला प्रभारी, कुशाभाऊ ठाकरे जन्मशताब्दी आयोजन समिति, बूथ प्रबंधन प्रभारी महामंत्री एवं समर्पण निधि के जिला प्रमुखों को बुलाया गया है। बैठक में समर्पण निधि संग्रह अभियान की समीक्षा, बूथ विस्तारक योजनांतर्गत आगामी समय में होने वाले त्रिदेव प्रशिक्षण कार्यक्रम पर चर्चा की जानी है।
आम्बेडकर जयंती का होगा बड़े स्तर पर आयोजन
अनुसूचित जनजाति वर्ग को साधने के लिए सरकारी स्तर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में जनजातीय गौरव दिवस मनाने के बाद अब डा.आम्बेडकर के जन्मदिवस पर फिर लाखों अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों को भोपाल में एकत्र करके बड़ा संदेश देने की तैयारी है। दरअसल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अब सोशल इंजीनियरिंग के बजाय जनकल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर काम करते दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने मुफ्त राशन, सभी को पक्के मकान, स्वरोजगार के लिए लोन और महिलाओं के स्वसहायता समूहों के माध्यम से एससी व एसटी वर्ग के प्रभाव वाले क्षेत्रों में पैठ बढ़ाने पर जोर दिया है, वहीं सीएम राइज स्कूल, लाड़ली लक्ष्मी योजना 2.0 और गांवों तक परिवहन व्यवस्था के माध्यम से बेहतर भविष्य की ओर भी इन वर्गों को आश्वस्त करने की कोशिश कर रहे हैं। भोपाल में आयोजित अम्बेडकर जन्मदिवस कार्यक्रम की सफलता ही भाजपा सरकार के प्रयासों को परखेगी। संगठन की ओर से इस आयोजन की सफलता की तैयारियां तेज कर दी गई हैं।

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