विजयपुर-बीना में अपने ही बिगाड़ेंगे भाजपा का खेल

  • गौरव चौहान
भाजपा का खेल

मप्र के छिंदवाड़ा जिले के अमरवाड़ा विधानसभा में उपचुनाव के बाद फिर तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारियां शुरू हो गई हैं। ये सीटें हैं बुधनी, विजयपुर और बीना। इन तीनों सीटों पर विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी भले ही न हुआ हो पर राजनीतिक दलों ने इन चुनावों को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। कांग्रेस ने इन सीटों पर प्रत्याशी चयन के लिए नेताओं की टीम बनाकर कार्यकर्ताओं की राय और सर्वे का काम शुरू कर दिया है तो भाजपा ने भी अपने नेताओं को सक्रिय कर दिया है। भाजपा बुधनी की जीत को लेकर पूरी तरह आश्वस्त है, लेकिन विजयपुर और बीना में उसे डर है कि  अपने ही खेल बिगाड़ सकते हैं।
पहले विधानसभा, फिर लोकसभा, उसके बाद अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से भाजपा में उत्साह है। विजय रथ पर सवार भाजपा के लिए बुधनी की राह तो आसान है, पर बीना और विजयपुर में उसे अपनों से ही चुनौती मिलना तय मानी जा रही है। विजयपुर में तो भाजपा के पूर्व विधायक खुलकर अपनी बात कह रहे हैं, वहीं बीना में कांग्रेस भाजपा के पूर्व विधायक के सम्पर्क में है। ऐसे में यहां चुनावी समीकरण उलझना तय है। बुधनी में उपचुनाव शिवराज सिंह चौहान के सांसद चुने जाने से हो रहा है तो विजयपुर में कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत के कांग्रेस छोडक़र भाजपा में जाने से होना है। रावत को कुछ दिन पहले मंत्री भी बना दिया गया है। बीना से निर्मला सप्रे का अभी इस्तीफा नहीं हुआ है, पर यहां भी उपचुनाव तय है। सप्रे इस्तीफे के लिए संगठन के निर्देशों का इंतजार कर रही हैं। विधानसभा के उपचुनाव के नतीजे से भाजपा की सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पडऩेे वाला है, मगर इन चुनावों के नतीजे कांग्रेस पर जरूर असर डालेंगे। हार और जीत से कांग्रेस के कई नेताओं का भविष्य भी तय होने वाला है। अभी हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है और राज्य की 29 सीटों में से एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर पाई।
विजयपुर में सबसे बड़ी चुनौती
भाजपा को सबसे ज्यादा दिक्कत विजयपुर में आने की संभावना है। यहां रावत से पिछला चुनाव हारने वाले पूर्व विधायक बाबूलाल मेवरा ने भी टिकट के लिए दावेदारी ठोक दी है। मेवरा का कहना है कि वे पार्टी की स्थापना के समय से ही काम कर रहे हैं। पार्टी वरिष्ठता को ध्यान में रख कर टिकट देगी। रावत से छह महीने पूर्व 18 हजार से चुनाव हारे मेवरा का कहना है कि वे पिछला चुनाव अपनों के भितरघात के कारण हारे थे। वहीं पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। उन्होंने मीडिया से साफ कहा कि मेरे समाज के मत इस क्षेत्र में ज्यादा हैं, लिहाजा मुझे ही टिकट मिलना चाहिए। यही नहीं उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वे कांग्रेस का भी दामन थाम सकते हैं। चंबल इलाके में जातिगत आधार राजनीति में काफी महत्व रखता है। ऐसे में संगठन नेता मेवरा और आदिवासी दोनों से बात कर रहे हैं।
कांग्रेस में दावेदारों पर मंथन…
दावेदारों को लेकर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में मंथन शुरू हो गया है। बुधनी विधानसभा से कांग्रेस की ओर से महेश राजपूत, पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल, विक्रम मस्ताल के नाम चर्चा में है। वहीं विजयपुर विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ चुके मुकेश मल्होत्रा, बृजराज रीछी, सलबगढ़ से विधायक रहे बैजनाथ कुशवाहा के नाम चर्चा में है। जुलाई अंत तक उपचुनाव की घोषणा हो सकती है। विजयपुर में प्रत्याशी चयन का जिम्मा पूर्व मंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह, राज्यसभा सांसद अशोक सिंह समेत अन्य नेताओं को दी गयी है, वहीं बुधनी में जयवर्धन सिंह और शैलेन्द्र पटेल को जिम्मा सौंपा गया है। भाजपा की ओर से विजयपुर से कैबिनेट मंत्री की शपथ ले चुके रामनिवास रावत का चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। वहीं केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधनी सीट पर अभी मंथन जारी है।
बीना में दो गुटों में बंटी भाजपा
भाजपा में शामिल हो चुकीं बीना से कांग्रेस विधायक निर्मला सप्रे ने फिलहाल इस्तीफा नहीं दिया है। निर्मला सप्रे का कहना है कि समय आने पर इस्तीफा दूंगी। यदि अगले कुछ दिन में सप्रे ने इस्तीफा दिया तो फिर प्रदेश में एक साथ तीनों विधानसभाओं में उपचुनाव होंगे। बीना विधानसभा में भले ही उपचुनाव होने में अभी काफी समय है। लेकिन, भाजपा में गुटबाजी अभी से नजर आने लगी है। एक तरफ विधायक निर्मला सप्रे तो दूसरी तरफ पूर्व विधायक महेश राय हैं। वहां के लोगों का कहना है कि जिस तरह पहले कांग्रेस में गुटबाजी चलती थी, वही परंपरा भाजपा में भी शुरू हो गई है।

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