
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल में भाजपा के लिए सबसे बड़ी एंटी इनकंबेंसी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी थी। पार्टी ने इससे मुंह मोडऩे की वजाय इसे गंभीरता से लिया और नेताओं ने मोर्चा संभाला। केंद्रीय संगठन के नेताओं के साथ ही केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, भूपेन्द्र यादव, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने डैमेज कंट्रोल करने की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली। उन्होंने हर उस मोर्चे पर काम किया जिससे स्थिति बेहतर हो सके। आज स्थिति यह है कि मप्र में भाजपा ने डैमेज कंट्रोल कर लिया है। जहां पार्टी कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने में सफल हुई है, वहीं एंटी इंकम्बेंसी भी कम हुई है। यानी आज भाजपा एक बार फिर मजबूत नजर आने लगी है।
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले तक एंटी इनकंबेंसी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी का सामना कर रही भाजपा की मुश्किलें लगातार बढ़ती चली जा रही थीं। इसके पीछे की बड़ी वजह फीडबैक में आ रहे भाजपा विधायकों के प्रति जनता की नाराजगी को बताया जा रहा था। जमीनी स्तर से आए फीडबैक से पता चला है कि विधायकों के प्रति न केवल जनता बल्कि, पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ता भी अपने विधायक से नाराज चल रहे हैं। जहां एक तरफ राज्य में भाजपा के वरिष्ठ नेता पार्टी के विधायकों को हिदायत दे रहे थे, वहीं दूसरी ओर पार्टी संगठन ने विधायकों की कार्यशैली और कार्यप्रणाली का ब्यौरा भी तलब किया। उसके बाद दिग्गज नेताओं ने उस पर काम किया, जिसका परिणाम यह हुआ है कि आज भाजपा एक बार फिर मजबूत स्थिति में आ गई है।
महाकौशल में भाजपा को बढ़त दिलाने की जिम्मेदारी शाह की
38 विधानसभा सीटों वाले महाकौशल में भाजपा इस बार बढ़त बनाने की कोशिश में लगी है। इसके लिए भाजपा के दिग्गज नेता लगातार क्षेत्र का दौरा करते रहते हैं। अब पार्टी ने रणनीति बनाई है कि जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से स्थिति मजबूत की जाए। इसके लिए पार्टी ने अपने सबसे बड़े रणनीतिकार अमित शाह को जिम्मेदारी दी है। शायद भाजपा की चुनाव रणनीति के नीति-नियंता यह जानते भी हैं कि अगर प्रदेश में सरकार बनानी है तो महाकौशल को जीतना ही होगा इसलिए भाजपा में चुनावी रणनीति के महारथी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को महाकौशल लाया जा रहा है। वे मंडला से पांच सितंबर को जन आशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाकर एक तरह से चुनावी बिगुल बजा देंगे। वर्ष-2018 के चुनाव के बाद अगर भाजपा की सरकार नहीं बनी थी तो इसके पीछे उसका महाकौशल अंचल में पीछे रह जाना भी कारण रहा था। हालांकि भाजपा ने डेढ़ साल बाद सरकार तो बना ली, लेकिन पार्टी को हमेशा इस बात का अफसोस रहेगा कि महाकौशल में वह उपचुनावों के बाद भी आगे नहीं निकल पाई। अमित शाह के प्रस्तावित दौरे के गहरे अर्थ हैं। दरअसल, यह महाकौशल का वही बेल्ट है, जहां पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने करारी मात खाई थी। यहीं एसटी के लिए 13 सीटें आरक्षित हैं। इस बार भाजपा कोई कमी नहीं रखना चाहती। तभी तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद सबसे बड़े स्टार प्रचारक अमित शाह को इस क्षेत्र पार्टी के चुनाव प्रचार की शुरुआत करने के लिए लाया जा रहा है। यहां से निकला संदेश महाकौशल के साथ विंध्य में भी पार्टी के पक्ष में हवा बनाने का काम करेगा। अब साफ हुआ है कि अमित शाह खुद यहां आकर चुनाव प्रचार शुरू करेंगे। इसके लिए पार्टी ने मंडला का चयन किया है। जिले की तीनों सीटें एसटी के लिए आरक्षित हैं। पार्टी ने यहां से जन आशीर्वाद यात्रा शुरू करने का फैसला इसलिए किया ताकि पूरे आदिवासी क्षेत्र में पार्टी के समर्थन में माहौल बनाया जा सके। अगर मंडला के आसपास की सीटों की बात करें तो डिंडौरी जिले की दोनों, सिवनी की चार में से दो, जबलपुर की आठ में से एक और बालाघाट की छह में एक सीट इसी वर्ग के लिए आरक्षित है। यही नहीं, महाकौशल और विंध्य में एसटी के लिए कुल 22 सीटें हैं। यानी इन सीटों पर बढ़त राज्य में सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाएगी।
इस तरह सुधरी स्थिति
आज भाजपा एंटी इनकंबेंसी और कार्यकर्ताओं की नाराजगी से उबर पाई है इसके मुख्यत: चार कारण हैं। पहला 63 हजार बूथ स्तर की नेटवर्किंग 95 प्रतिशत तक सत्यापित है। भाजपा के अन्य राज्यों के नेटवर्क 50 से 55 प्रतिशत तक ही सत्यापित है। इस कारण इस नेटवर्क को शीर्ष नेतृत्व ने सराहा है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा इसी नेटवर्क के जरिए संगठन का फीडबैक सुधरने के दावे करते हैं। दूसरा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरों का असर रहा है। इससे पूरे प्रदेश में संगठन सक्रिय हुआ। तीसरा वरिष्ठ नेताओं को कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए दौरों को भी कारण माना गया। चौथा इलेक्शन मोड में जल्द आना, फॉलोअप, निर्णय व अपडेट और पहले ही सूची घोषित करने को कारण माना है। भाजपा के लिए चिंता की स्थिति दलबदलुओं को लेकर है। पार्टी ऐसे नेताओं को चिह्नित कर रही है, जो नाराज होकर जा सकते हैं। ऐसे नेता भी तलाशे जा रहे हैं, जिन्हें मनाया जा सकता है। कुछ ऐसे नेता भी हैं जो मनाने के बावजूद पाला बदल सकते हैं। पार्टी ऐसे नेताओं के लिए रणनीति बनाएगी।
अब कुछ राहत महसूस कर रही भाजपा
जानकारी के अनुसार डेढ़ महीने पहले कार्यकर्ताओं की नाराजगी और एंटी इंकम्बेंसी के फीडबैक से परेशान भाजपा अब कुछ राहत महसूस करने लगी है। संगठन के हालिया सर्वे फीडबैक में असंतोष, नाराजगी व एंटी-इंम्बेंसी को लेकर कुछ हद तक काबू पाने की रिपोट्र्स मिली है। बीते दिनों कोर ग्रुप की बैठक में भी यह फीडबैक आया। इसके बाद सीएम हाउस पर बैठक में भी नेताओं ने खुशी जाहिर की। अब यही रिपोर्ट शीर्ष नेतृत्व को दी जाएगी। दरअसल, डेढ़ महीने पहले संगठन को निगेटिव फीडबैक मिले थे। इसके बाद 12 जुलाई को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अचानक भोपाल का दौरा बना लिया था। इसके बाद शाह से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा और पीएम मोदी तक के दौरे बढ़ गए। शाह ने चुनावी रणनीति की कमान संभाली। इसके अलावा प्रदेश संगठन के नेटवर्क को लेकर बैठक शुरू की गई। भाजपा संगठन ने कोर ग्रुप में 13 प्रमुख लोगों का फीडबैक लिया है। इसमें केंद्रीय मंत्रियों से लेकर अन्य बड़े नेता शामिल हैं। बीते दिनों केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, सीएम शिवराज, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित अन्य नेताओं ने अंचलों के दौरे किए हैं। बाकी नेताओं को भी अंचलों में भेजा गया। इनकी रिपोर्ट ही सुधार बता रही है। इसके अलावा पीएम मोदी के कार्यकर्ता महाकुंभ के बाद बाहरी राज्यों के विस्तारकों ने प्रदेश में फीडबैक लिया था। तब, निगेटिव फीडबैक मिला था। अब ग्वालियर में प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक के बाद बाहरी राज्यों के विधायकों ने प्रदेश में फीडबैक लिया है। इसमें सुधार की स्थिति मिली है। साथ ही जो नाराज नेता थे, उनकी रिपोर्ट भी संगठन के पास पहुंची है।