प्रदेश में 33 फीसदी सीटों पर भाजपा अपनों में फंसी

भाजपा

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। जिस प्रदेश के संगठन व सरकार की दुहाई भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व देने में थकता नहीं था, वही प्रदेश अब विधानसभा चुनाव के लिए बड़ी मुश्किल वाला प्रदेश बन गया है। हालात कितने गंभीर हैं, इससे ही समझे जा सकते हैं कि चुनाव की कमान भी केन्द्रीय नेताओं को अपने हाथों में लेनी पड़ गई है। बात यहीं समाप्त नहीं होती है, बल्कि अंसतोष और बगावत की आग के शोले भी इसी प्रदेश में पहली बार सर्वाधिक भडक़ रहे हैं। इन शोलों को बुझाने और प्रदेश में चुनावी सियासी हालात समझने के लिए स्व्यं पार्टी के चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी संभाग स्तर पर दौरे कर नाराजों को मनाने के प्रयास तक करने पड़ रहे हैं। फिलहाल प्रदेश की करीब 33 फीसदी सीटें ऐसी हैं, जहां पर भाजपा अपनों के बीच ही फंस गई है।
प्रदेश में पहली बार विधानसभा चुनाव में इतने बड़े स्तर पर बगावत, नाराजगी सामने आने के बाद से पार्टी के रणनीतिकार भी उलझन में बने हुए हैं। उन्हें कुछ रास्ता इससे निपटने का नहीं सूझ रहा है। इसके लिए लगातार संगठन में माथा पच्ची भी की जा रही है। दरअसल इस तरह के हालात तो प्रदेश में बीते ढाई साल से बन रहे थे , लेकिन सत्ता व संगठन ने इस पर गौर ही नहीं किया। पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर विराजमान नेता और सरकार में शामिल चेहरे सिर्फ अपनों को उपकृत करने और सत्ता की मलाई खुद ही खाने में मस्त रहे, जिसकी वजह से मौका मिलते ही अब पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं का गुस्सा चुनावी के समय बाहर गया है। अब यही गुस्सा लावा बनकर सार्वजनिक रुप से बह रहा है। लगभग यही हाल कांग्रेस में भी हैं। कांग्रेस में नाराजगी की वजह बाहरियों को टिकट देने की वजह है। भाजपा जिन सीटों पर अपनों की वजह से भंवर में फंसी नजर आ रही है, उनमें भोपाल की दक्षिण-पश्चिम भी शामिल है। इस सीट पर पूर्व मंत्री और बीता चुनाव हार चुके उमाशंकर गुप्ता बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। हालांकि उनकी नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल किया गया है। ग्वालियर पूर्व से पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल, ग्वालियर ग्रामीण में बीते दिनों गुर्जरों पर हुई कार्रवाई भी विरोध की वजह है। इसके अलावा मदन सिंह कुशवाहा समर्थक भी नाराज बने हुए हैं। शिवपुरी में जितेन्द्र जैन गोटू कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। इस सीट पर यशोधरा राजे के समर्थक भी नाराज चल रहे हैं। भितरवार में टिकट कटने से बृजेंद्र तिवारी, भांडेर में रक्षा सिरोनिया, पोहरी में पूर्व विधायक प्रहलाद भारती और उनके समर्थक, जबलपुर उत्तर में  प्रत्याशी बदलने की मांग को लेकर भारी हंगामा तो जग जाहिर ही है। मुरैना में बीजेपी नेता दिनेश गुर्जर और रुस्तम सिंह तो बसपा के हाथी पर ही सवार हो गए हैं। अटेर में मुन्ना भदौरिया और सत्येंद्र भदौरिया , भिंड में  विधायक संजीव कुशवाह और रवि सेन , लहार में बीजेपी के सीनियर नेता रसाल सिंह भी बसपा के टिकट पर ताल ठोक रहे हैं। महेश्वर में 70 हजार की जनसंख्या वाला बलाई समाज की नाराजगी की वजह से भाजपा को कार्यकर्ता संकट तक का सामना करना पड़ रहा र्है।

चाचौड़ा में पूर्व विधायक ममता मीणा आप से चुनावी मैदान में उतर चुकी हैं। इसी तरह से श्योपुर में महावीर सिंह सिसोदिया, विजयपुर में सीताराम आदिवासी, सबलगढ़ और जौरा में  धाकड़ समाज ,अंबाह में बीजेपी कार्यकर्ता ही विरोण कर रहे हैं। पिछोर में बागेश्वर महाराज के भक्त ही प्रत्याशी के विरोध में खड़े हुए हैं तो अगड़ी जाति के लोगों में भी नाराजगी बनी हुई है। उधर, राघौगढ़ में राधेश्याम धाकड़, अशोकनगर, चंदेरी और मुंगावली में भी बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी खुलकर देखी जा सकती है। देवरी में कांग्रेस से बीजेपी में आए व्यक्ति को प्रत्याशी बनाने का विरोध। बंडा में बीजेपी नेता सुधीर यादव दलबदल कर चुके हैं और  रंजोर सिंह बुंदेला नाराज चल रहे हैं। टीकमगढ़ में पूर्व विधायक केके श्रीवास्तव और राजेन्द्र तिवारी, पृथ्वीपुर में अनिता नायक और गणेशी नायक , निवाड़ी में कमलेश्वर देवलिया और लाखन सिंह यादव, महाराजपुर में प्रत्याशी बदलने की मांग की जा रही है तो ,चंदला में विधायक राजेश प्रजापति,  राजनगर में घासीराम पटेल के अलावा ब्राह्मण समाज, छतरपुर में अर्चना गुड्डू सिंह , मलहरा में रेखा यादव , पवई में संजय नगाइच , रैगांव में पुष्पराज का इस्तीफा। जुगलकिशोर बागड़ी परिवार, सतना में शिवा चतुर्वेदी और उनके समर्थकों में नाराजगी है। इसी तरह से नागौद में गगर्नेद्र सिंह, मैहर, त्योंथर मनगवां और मऊगंज और अमरपाटन में बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी।  चुरहट में सांसद अजय प्रताप सिंह और विधायक केदारनाथ शुक्ला समर्थक नाराज। गोविंद मिश्रा के बेटे ने बीजेपी छोड़ी। सीधी में विधायक केदारनाथ शुक्ला निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं, बड़वारा में मोतीलाल कश्यप, मंडला में शिवराज शाह , लांजी में पूर्व विधायक रमेश भटेरे, गाडरवारा में गौतम पटेल, अमरवाड़ा में उत्तम सिंह ठाकुर, परासिया में पूर्व विधायक ताराचंद बावरिया आष्टा में विधायक रघुनाथ मालवीय, बुरहानपुर – नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्ष , मनावर में पूर्व मंत्री रंजना बघेल , आलोट – पूर्व केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के बेटे जितेंद्र और उनके समर्थक, भगवानपुरा में पूर्व विधायक जमनासिंह सोलंकी , सोनकच्छ में पूर्व विधायक राजेंद्र वर्मा के समर्थक नाराज बने हुए हैं।

कई बदल चुके हैं पार्टी
नाराजगी के चलते कई नेता तो पार्टी बदलकर दूसरे दलों के टिकट पर अब चुनावी मैदान में भी उतर चुके हैं। इसके अलावा कई नेताओं ने निर्दलीय रुप से नामांकन भर दिया है। इनमें कई नेता तो इतने प्रभावशाली हैं कि वे,अपनी सीट के अलावा कई आसपास की सीटों पर भी बड़ा प्रभाव रखते हैं। इनमें कई चेहरे ऐसे भी हैं , जो संगठन के महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, तो कुछ सत्ता में भी भागीदार रहे हैं।

Related Articles