
भोपाल/हरीश फतेह चंदानी/बिच्छू डॉट कॉम। विंध्य अंचल में आम विधानसभा चुनाव में कांगे्रस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था, लेकिन जिस तरह से उपचुनाव में उसने पलटवार करते हुए सतना जिले की रैगांव विस सीट पर जीत हासिल की उससे इस अंचल में ही नहीं प्रदेश भर में भाजपा बैकफुट पर खड़ी दिखने लगी है। इसकी वजह है इसका भाजपा की परंपरागत सीट होना। कांग्रेस को यह जीत विंध्य अंचल में कांग्रेस की एकता की वजह से मिल सकी है।
इस एकता का कांग्रेस के दिग्गज नेता अजय सिंह को श्रेय जाता है। उन्होंने अपने राजनैतिक कौशल को दिखाते हुए इस सीट की चुनावी कमान खुद ले रखी थी। इस सीट का महत्व कांग्रेस के लिए खास इसलिए भी है कि पहले तो तीन दशक में कभी भी कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल नहीं कर सकी है, तो जिन चार सीटों पर उपचुनाव हुआ उनमें से यही एकमात्र सीट है जिस पर कांग्रेस को जीत हासिल हो सकी है। इसके अलावा यह सीट आदिवासी बाहुल्य भी है। इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा से लेकर मतदान होने तक कहीं भी कभी भी कांग्रेस में कोई भी विरोध के स्वर नहीं सुनाई दिए, जबकि भाजपा में इस पूरे समय इसके उलट स्थिति बनी रही। रैगांव उपचुनाव कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुकी थी। इस सीट पर व्यक्तिगत रूप से कांग्रेस के कद्दावर नेता अजय सिंह राहुल भैया की भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई थी। विंध्य में थकी हारी कांग्रेस को इससे नई ऊर्जा मिली है, जिससे अब उनमें उत्साह का संचार हुआ है। कांग्रेस को इस अंचल में यह जीत ऐसे समय मिली है जबकि न केवल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं, बल्कि इसके बाद नगरीय निकाय चुनाव भी लंबित हैं। यह जीत विंध्य में कांग्रेस का भविष्य को तय करेगा। दरअसल कांग्रेस का संगठन पूरे विंध्य में बहुत कमजोर है, साथ ही अनुशासनहीनता और नेताओं में एकता की कमी है भी स्थाई रोग का रूप ले चुका है। इसी वजह से कांगेस को बीते चुनाव में इस अंचल में बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है। रैगांव जीत का जो मूल मंत्र था अगर उसे लेकर समूचे विंध्य में कांग्रेस काम करेगी तो कुछ हद तक कांग्रेस को सफलता मिल सकती है। यही वजह है कि इस सीट पर मिली कांग्रेस की जीत से समूचे विंध्य में कांग्रेस पूरे उत्साह और जोश से लबरेज दिखना शुरू हो गई है। इनमें नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक शामिल हैं।
अब कांग्रेस नेता भी मानकर चल रहे हैं कि पार्टी अगर रैगांव की तरह ही अन्य तीनों सीटों पर भी चुनाव में एकता दिखाती तो पार्टी कम से कम दो सीटों पर और जीत हासिल कर सकती थी, जिसमें जोबट विधानसभा सीट और खंडवा लोकसभा सीट शामिल है। दरअसल खंडवा में यादव बंधुओं तो जोबट में भूरिया बंधुओं पर पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ असंतोष की बात अब तक सामने आ चुकी है। इन दोनों ही सीटों पर हारे कांगे्रस प्रत्याशियों ने भी अप्रत्यक्ष रूप से इन दोनों ही बंधुओं पर ही हार का ठीकरा फोड़ा है। यह सही भी है कि कांग्रेस छत्रपों और गुटबाजी की वजह से अन्दर ही अन्दर अंतरकलह से से जूझ रही है। रैगांव में मिली हार से कांग्रेस में उत्साह किस कदर है इससे ही समझा जा सकता है कि उसकी जीत का उत्सव मनाने पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ खुद भी रैगांव पहुंचे। वहां पर एक विजयी सभा का भी आयोजन किया गया। इस सभा में कमलनाथ भी पूरी तरह से भाजपा पर हमलावर दिखे। उनके द्वारा यह कहकर मतदाताओं का आभार जताया गया कि यहां की जनता सीधी है पर बिकाऊ नहीं, इस सीट पर जीत ने मुझे नहीं कांग्रेस परिवार के हर सदस्य को शक्ति दी है।
पूरा प्रशासन भाजपा कार्यकर्ता बना
इस जीत के बाद से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उर्फ राहुल भैया पूरी तरह से प्रदेश की भाजपा सरकार पर आक्रामक नजर आना शुरू हो गए हैं। उनका कहना है कि प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने पूरे प्रशासन तंत्र को भाजपा पार्टी के काम में झोंक दिया है। भले ही इसके लिए कोई आदेश लिखित में नहीं निकाला गया है, लेकिन उच्च अधिकारियों को मौखिक निर्देश है कि वो भाजपा के कार्यक्रमों को गैर सरकारी रूप से प्राथमिकता दें और आयोजनों की जरूरतों को पूरा करें। सिंह ने आरोप लगाया कि जो अफसर अनदेखी करता है उनका लूप लाइन में जाना तय है। भले ही वह कितना भी काबिल क्यूं न हो। उन्होंने कहा कि ऐसे तथ्य अक्सर मेरे पास आते रहते हैं। भले ही अफसर खुल कर कुछ न बोलें, लेकिन वह दबी जुबान से सब कुछ कहते हैं। अजय सिंह राहुल के इस बयान के बाद खलबली मच गई है। इसके पूर्व भी शिवराज पर अपने बयानों के द्वारा अजय सिंह हमला बोल चुके हैं।