
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश सरकार के मुखिया डॉ मोहन यादव का कद पार्टी के साथ ही प्रदेश की राजनीति में तेजी से बढ़ रहा है। इसकी वजह है उनका सहज और सरल होने के साथ ही काम करने की शैली। वे वैसे तो अब प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, लेकिन अब भी उनमें कार्यकर्ता का भाव पूरी तरह से बना हुआ है। यही वजह है कि उनका प्रभाव व लोकप्रियता दोनों में तेजी से वृद्धि होती जा रही है। यही वजह है कि चुुनाव प्रचार हो या फिर संगठन का अन्य को काम वे पूरी सिद्दत से उसे पूरा करने में जुट जाते हैं। हाल ही में पार्टी हाईकमान ने उन्हें हरियाणा जैसे बेहद महत्वपूर्ण राज्य की सरकार के लिए मुख्यमंत्री चयन के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ पर्यवेक्षक बनाया है। यह इसलिए भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है कि उन्हें शाह के साथ जिम्मेदारी दी गई है। दरअसल, डां यादव अब ऐसे नेता बन चुके हैं , जिनकी गिनती पार्टी की संपत्ति के रूप में होने लगी है। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री के बाद मुख्यमंत्री बने डां यादव ने अपनी राष्ट्रीय स्तर पर तेजी से पहचान बनाई है। यही वजह है कि अब जिस राज्य में भी चुनाव होता है, उन्हें वहां कठिन और जातिगत समीकरणों के हिसाब से मुश्किल मानी जाने वाली सीटों पर प्रचार का जिम्मा दिया जाता है, जिसमें वे अपने अल्प कार्यकाल में ही बेहद सफल साबित हुए हैं। फिर चाहे मप्र का लोकसभा चुनाव हो या फिर हरियाणा का विधानसभा चुनाव।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में पांच विधानसभा क्षेत्रों में प्रचार किया था। इसमें से चार सीटों पर भाजपा को जीत मिली है। उन्होंने भाजपा की योजना के साथ पार्टी का जोरदार प्रचार किया था। उन्होंने भिवानी, तोशाम, दादरी और बवानी खेड़ा जैसी प्रमुख सीटों पर प्रचार किया था, जहां भाजपा के उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की। हरियाणा की राजनीति में जातिगत फैक्टर बहुत महत्वपूर्ण होता है। यहां पर राज्य के पश्चिमी हिस्से में जाट समुदाय राजनीतिक समीकरणों में उलटफेर करता है, लेकिन कुछ समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जाट राजनीति को प्रभावित किया है। यहां पर ओबीसी और अहिरवाल बेल्ट में भाजपा की तरफ लोग आकर्षित हुए है।
डॉ. मोहन यादव जैसे भाजपा नेताओं ने अहिरवाल बेल्ट में मतदाताओं को प्रभावित किया है। उत्तर प्रदेश और बिहार में कई सभाओं को संबोधित करने वाले मोहन यादव चुनावी समीकरणों को पार्टी के पक्ष में करने में सफल रहे हैं। हरियाणा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ उन्हें पर्यवेक्षक बनाया गया है। हरियाणा में हालांकि पार्टी के संसदीय बोर्ड ने मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का नाम तय कर दिया है, लेकिन वहां केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह भी मुख्यमंत्री पद पर दावा कर रहे हैं। ऐसे में एक दर्जन यादव विधायकों को मनाने का जिम्मा डॉ मोहन यादव को दिया गया है। हरियाणा भाजपा विधायक दल की बैठक मेेंं विधायक दल के नेता का चुनाव किया जाएगा। इस बैठक में सब कुछ आसानी से निपट जाए इसके लिए डॉक्टर मोहन यादव को अमित शाह के साथ भेजा गया है। इससे स्पष्ट है कि डॉक्टर मोहन यादव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेहद विश्वास पात्र बने हुए हैं।
अखिलेश-तेजस्वी के सामने चुनौती
प्रदेश सरकार के मुखिया बनने के बाद वे देश भर के पढ़े-लिखे युवा यादव मतदाताओं के आइकॉन बन रहे हैं, तो दूसरी और सामाजिक रुप से जातिगत समीकरण साधने में भी बेहद प्रभाव छोड़ रहे हैं। यही वजह है कि अब उन्हें पूरी तरह से उप्र के पुर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी के विकल्प के रूप में देखा जाने लगा है। यह वे दो राज्य हैं, जहां पर जातिगत समीकरण भाजपा को परेशान किए रहते थे, लेकिन अब इन दोनों राज्यों में पार्टी की राह आसान हाती दिखने लगी है। दरअसल डां मोहन यादव इन दोनों राज्यों में भी अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं। इसका फायदा पार्टी को विधानसभा चुनाव में मिलना तय माना जा रहा है। इसके अलावा ओबीसी वर्ग को लुभाने के लिए भी भाजपा उनका भी उपयोग कर रही है।
अब विकास का नया मोहन मॉडल
प्रदेश के 19वें मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ लेने वाले डॉ. मोहन यादव का अभी महज दस माह का ही कार्यकाल हुआ है। इस कम अवधि में वे प्रदेश का नया विकास मॉडल लाने में भी सफल् रहे हैं। दरअसल,विकास का यह ‘मोहन मॉडल’ प्रदेश की उन्नति के साथ जन कल्याण के मार्ग भी खोल रहा है। यह सही भी है क्योंकि प्रदेश में विकास और जन कल्याण के क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन हो रहा है। दस माह के अपने शासन में डॉ. मोहन यादव ने इन्वेस्टर समिट का क्षेत्रीय फार्मूला ‘रीजनल इंडस्ट्रीज कांक्लेव’ लागू कर मध्य प्रदेश को उद्योग तथा निवेश के क्षेत्र में नई पहचान दिलाने की शुरुआत की है। मुख्यमंत्री ने योजनाओं को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करने के लिए ही पहली बार शक्तिशाली सीएमओ के रचना की है।
लोकसभा चुनाव की अग्नि परीक्षा में उतर चुके हैं खरे
सीएम बनने के बाद मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव की बड़ी अग्निपरीक्षा लोकसभा चुनाव में थी, जिसमें वे पूरी तरह से खरे उतर चुके हैं। इस चुनाव में उनके सामने शिवराज सिंह चौहान का रिकॉर्ड था, जिसे तोडऩा आसान नहीं माना जा रहा था। मध्यप्रदेश में लोकसभा की 29 सीटें हैं और शिवराज लोकसभा चुनावों में बड़ी जीत दिला चुके थे। अपने पूर्ववर्ती का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए बीजेपी को मध्यप्रदेश में सभी सीटें जीतनी जरुरी थी , लेकिन जब चुनाव परिणाम आए तो पहली बार प्रदेश की सभी सीटें पार्टी ने जीत ली। इस तरह से उनके द्वारा पार्टी को 29 में से 28 सीट जिताकर दे चुके थे,लेकिन अब शिवराज का रिकॉर्ड भी तोड़ा जा चुका है। 2014 में बीजेपी को 27 और कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं। गुना और छिंदवाड़ा सीट पर कांग्रेस को सफलता मिली थी, बाकी बची सीटें बीजेपी के खाते में गईं थीं। 2019 में कांग्रेस से गुना सीट भी भाजपा ने छीन कर बीजेपी ने 28 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बना दिया था। इस रिकॉर्ड को भी डॉ. यादव तोड़ चुके हैं।