
- पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की घोषणाओं पर भी नहीं किया गया अमल
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। नगरीय निकाय चुनाव के ठीक पहले तीन दिवसीय दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा वंशवाद को लेकर की गई घोषणा की खुशी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए क्षणिक खुशी वाली साबित हुई है। यही नहीं हद तो यह हो गई कि इस मामले में दागी, बागी और चहेतों के लिए नेताओं ने खुलकर पार्टी संगठन द्वारा बनाई गई गाइड लाइन की भी जमकर धज्जियां उड़ाई हैं। हालात यह बन गए की इंदौर के एक दागी की वजह से उसकी पत्नी का टिकट तक बाद में काटना पड़ गया, लेकिन भोपाल में अब तक ऐसा होता नही दिख रहा है। भोपाल में भी इसी तरह के दो प्रत्याशियों को भाजपा ने पार्षद का टिकट थामाया है। इसकी वजह से पार्टी की सुचिता रीती व नीति पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
नेताओं ने खुलकर अपने परिजनों से लेकर समर्थकों के परिजनों को टिकट दिलाने में कोई कोर कसर नही छोड़ी है। हां यह बात अलग है कि इस बार नेताओं ने कुछ चेहरे बदल दिए हैं जिससे की यह बताया जा सके कि उनके द्वारा नए कार्यकर्ताओं को मौका दिया गया है। हद तो यह हो गई इसमें भी ऐसा घालमेल किया गया की नेताओं के समर्थक तो टिकट पा गए, लेकिन बेचारा दरी बिछाने वाला कार्यकर्ता जस का तस मायूस ही रहने को मजबूर हो गया। इसमें भी दागदार चेहरों को भी चुनावी वैतरणी पार कर अपना कुर्ता सफेद का सामना कर चुके लोगों तक को टिकट थमा कर चुनावी मैदान में उतार दिया गया है। इनमें प्रत्याशी सोनाली परमार भी हैं। उनके पति विजय के खिलाफ 14 साल की बच्ची से बलात्कार का केस 31 जनवरी 2017 को दर्ज हुआ था। गिरफ्तारी भी हुई। पहले कांग्रेस से जुड़े थे, उसके बाद भाजपा में आ गए।
वार्ड 26 के प्रत्याशी लालबहादुर वर्मा के खिलाफ नगर निगम के अधिकारी को आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला चल रहा है। कई महीने तक उन्हें इस मामले में जेल में रहना पड़ा। उनके खिलाफ 10 अप्रेल 2016 को निगमायुक्त ने धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, उनका इस्तेमाल करने की धाराओं में केस दर्ज करवाया था। वार्ड 50 के प्रत्याशी राजीव जैन और उनके भाई पंकज के खिलाफ रायपुर के देवेंद्र नगर थाने में धोखाधड़ी का केस दर्ज है। इस मामले में रायपुर पुलिस दोनों की गिरफ्तारी भी कर चुकी हे। इसी तरह से वार्ड 70 के प्रत्याशी भरत रघुवंशी 5 साल पहले भाजपा में शामिल हुए थ। उन पर मामला दर्ज है। उन पर आरोप सरकारी जमीन पर कब्जे का है। उन पर पुलिस ने इनाम भी घोषित किया था।
इसी तरह से अगर कांग्रेस की बात की जाए तो इंदौर के वार्ड 22 के प्रत्याशी राजू भदौरिया के खिलाफ हीरानगर थाने में कई केस दर्ज होने के कारण एक साल पहले जिला प्रशासन ने रासुका लगाई थी। हालांकि बाद में हाई कोर्ट ने इसे खत्म कर दिया था। वार्ड 35 सांवेर विधानसभा के इस वार्ड से कांग्रेस उम्मीदवार कपिल सोनकर को हत्या के प्रयास और हत्या के षडयंत्र के मामले में पुलिस द्वारा आरोपी बनाया जा चुका है।
वार्ड 58 में मोहम्मद अनवर कादरी के खिलाफ पुलिस ने भोपाल के प्यारे मियां के साथ मिलकर चंदन नगर क्षेत्र में अवैध कॉलोनी काटने का मामला दर्ज किया था। कादरी जेल भी जा चुका है। इसी तरह से आप के वार्ड 85 के उम्मीदवार किशोर चौहान पर 2007 से 2019 तक अवैैध शराब विक्रय, जुआ एक्ट, मारपीट और धोखाधड़ी करने जैसे कई गंभीर अपराध दर्ज हो चुके हैं। भोपाल के वार्ड 44 से भाजपा प्रत्याशी भूपेन्द्र सिंह चौहान उर्फ पिंकी भदौरिया का नाम भी शामिल है। उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। पिंकी के खिलाफ कई मामले दर्ज हैं। वर्ष 2019 में जिलाबदर हो चुका है। भोपाल के ही वार्ड 40 से बाबू मस्तान नामक बदमाश की पत्नी मसर्रत को टिकट दिया है।
सागर में भी यही हालात
हत्या के आरोप में एक साल से फरार सागर नगर निगम के पूर्व एमआईसी सदस्य और भाजपा नेता शेख रसीद बबलू कमानी की पत्नी किश्वर बी को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट दिया है। किश्वर बी शुक्रवारी वार्ड से पार्षद पद की प्रत्याशी हैं। बबलू कमानी पर दर्जन भर अपराध दर्ज हैं। कुछ में बबलू राजनीतिक रसूख के चलते खत्मा लगवा चुका है। वर्तमान में पूर्व पार्षद नईम खान के बेटे इमरान की हत्या के मामले में फरारी काट रहा है।
कई जगह थमा दिए दूसरे वार्ड से टिकट
भोपाल सहित कई शहरों में भाजपा व कांग्रेस के नेताओं ने स्थानीय कार्यकर्ताओं व नेताओं का हक मारते हुए अपने चहेतों को दूसरे वार्ड से अपने पार्टी में रसूख का इस्तेमाल कर टिकट दिलावा दिया है। इसकी वजह से पार्टी में असंतोष भड़क गया है। इस तरह के मामलों में भाजपा सबसे आगे है। भाजपा में यह हाल तब हैं जबकि भाजपा सिद्धांतों का ढिढोंरा पीटने में पीछे नहीं रहती है। पार्टी नेताओं के दबाब में लिए गए इस तरह के निर्णयों का खामियाजा अगर चुनाव में भुगतना पड़ जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है। यही नहीं पार्टी द्वारा एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांतों की भी जमकर बलि चढ़ाई गई है। इसकी वजह से ही पार्टी के पदाधिकारियों से बगैर इस्तीफा लिए उन्हें भी पार्षद पद का उम्म्ीदवार बना दिया गया है। दागी, बागी और चहेतों के दांव में उड़ी .. भाजपा गाइड लाइन की धज्जियां