बिकाऊ सचिन से भाजपा को फायदा कम , नुकसान ज्यादा

भाजपा

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। बड़वाह के कांग्रेसविधायक को दलबदल कराकर भाजपा में शामिल कराने के बाद भले ही भाजपा के आला नेता और उनके रणनीतिकार खुश हो रहे हैं, लेकिन इससे फायदा कम और नुकसान अधिक होना तय हो गया है। इसकी वजह है पार्टी के वे प्रदेश के आला नेता जो अपनी मर्जी से निर्णय कर स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं पर उनके इलाके को लेकर फैसला थोप देते हैैं। भाजपा का कांग्रेसीकरण करने में जुटे इन नेताओं को शायद पता नही है कि इससे वे पार्टी का लिए भले ही तात्कालिक फायदा कर रहे हों, लेकिन दीर्घकालीन नुकसान अधिक कर रहे हैं। हालात यह बन गए हैं कि अब जिस खंडवा उपचुनाव के मद्देनजर पार्टी ने सचिन बिड़ला को भाजपा में शामिल कराया है उसके बाद से बड़वाह विधानसभा क्षेत्र के मूल भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा बंद कमरों में बैठकें कर अपने भविष्य को लेकर चिंता व्यक्त की जाने लगी हैं।
यही नहीं जो कार्यकर्ता और नेता पूरी तरह से भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए सक्रिय बने हुए थे वे अब घर पर बैठना भी शुरू हो गए हैं। इसकी वजह से भाजपा प्रत्याशी को भी फायदा कम और नुकसान अधिक होने की बात कही जाने लगी है। राजनैति पंडितों का तो यहां तक कहना है कि जिस गुर्जर समाज के समर्थन के लिए बिकाऊ सचिन को भाजपाई बनाया गया है वह व्यक्तिगत रुप से भले ही उनके साथ हो लेकिन उनके कहने पर भाजपा प्रत्याशी को मत क्यों देगा, जबकि कांग्रेस के लिए उनसे बड़े समाज के ही नेता सचिन पायलट कांग्रेस के पक्ष में मतदान के लिए सभा करने जा रहे हैं। उधर कांग्रेस ने भी इस मामले को मुद्दा बनाना तेज कर दिया है।
दरअसल खंडवा संसदीय सीट पर गुर्जर मतदाताओं की संख्या हार-जीत में अहम रोल अदा करने की स्थिति में मानी जाती है। यही वजह है कि भाजपा की नजर खंडवा सीट पर जीत के लिए गुर्जर समाज के मतदाताओं पर लगी हुई है। दरअसल भाजपा के पास इस माज के प्रभावशाली नेता की कमी बनी हुई है। भाजपा सचिन को गुर्जर नेता के रूप में आगे लाना चाहती है।
उल्लेखनीय है कि बीते आम विधानसभा चुनाव में भाजपा को गुर्जर बाहुल्य इलाकों में हार का सामना करपा पड़ा था। इनमें इस समाज के तत्कालीन मंत्री रुस्तम सिंह भी शामिल हैं।
कांग्रेस को लगातार लग रहे हैं झटके  
खंडवा लोकसभा सीट के तहत आने वाली विधानसभा सीटों पर कांग्रेस को लगातार झटके लग रहे हैं। दरअसल आम विधानसभा चुनाव में आठ में से चार सीटों पर कांग्रेस को विजय मिली थी। इसके अलावा एक सीट पर कांग्रेस के विद्रोही नेता को जीत मिली थीं। लेकिन अब उसके खाते में इस सीट के तहत आने वाली नेपानगर सीट और मांधता सीट पर अब भाजपा का कब्जा हो चुका है। इन दोनों ही सीटों पर कांग्रेस के विधायक निर्वाचित हुए थे। यह बात अलग है कि बीते लोकसभा चुनावों मे इस सीट पर भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान को सभी सीटों पर बढ़त मिली थी और वे करीब पौने तीन लाख मतों से जीते थे।
मतदाताओं ने बदलवा दी कांग्रेस व भाजपा की रणनीति
चुनाव प्रचार भले ही अब जोर पकड़कर अंतिम चरण में हैं , लेकिन इन उपचुनावों में खास बात यह है कि मतदाताओं पर अब भी चुनावी खुमारी नही चढ़ पा रही है। इसकी वजह से सभाओं में भीड़ नहीं दिख रही है। यही वजह है कि बीते हफ्ते से ही अब प्रचार की रणनीति बदलते हुए नुक्कड़ सभाओं पर जोर दिया जाने लगा है। यही वजह है कि कांग्रेस व भाजपा के नेता अब पूरी तरह से जनसंपर्क के लिए घर-घर दस्तक पर फोकस करने के साथ ही व्यक्तिगत संपर्क पर जोर दे रहे हैं।  इसमें प्रदेश सरकार के मंत्री से लेकर विपक्ष तक के विधायकों को कदमताल करते देखा जा सकता है।
भाजपा की पूरी दिग्गजों की पूरी टीम उतरी
प्रदेश भाजपा इन उपचुनावों को नाक का सवाल बना कर पूरी टीम उतार चुकी है। इनमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा तो पहले ही दिन से सक्रिय हैं, जबकि अब तो श्रीमंत , उमा भारती, प्रहलाद पटेल, नरेन्द्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, बीरेन्द्र खटीक और नरेन्द्र सिंह तोमर, केशव मौर्य जैसे नेता भी मैदानी मोर्चा संभालने में सक्रिय हो चुके हैं। इसके उलट अब भी कांग्रेस के पक्ष में कमलनाथ के अलावा दिग्विजय सिंह और  मुकुल वासनिक ही सक्रिय दिख रहे हैं।

Related Articles