
- कमलनाथ-दिग्गी की जोड़ी के सामने होगी भाजपा के युवाओं की टीम
इंदौर/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। चुनावी साल के पहले 14 अप्रैल को बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती पर प्रदेश के दोनों प्रमुख राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस महू में बड़े आयोजन करने जा रहे हैं। यह पूरी कवायद दोनों दलों द्वारा एक तरह से दलित समाज के वोट को साधने के लिए सीधा-सीधा प्रयास माना जा रहा है। कांग्रेस की तरफ से जहां पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जोड़ी 14 अप्रैल को महू में पार्टी के आयोजन में शामिल होगी , तो वहीं भाजपा की ओर से भारतीय जनता युवा मोर्चा की टीम भी एक बड़ा आयोजन महू में करने जा रही है। इसमें शामिल होने के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या भी आ रहे हैं। फिलहाल मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का भी महू पहुंचने का अभी तक कोई कार्यक्रम नहीं है। हालांकि माना जा रहा है कि वे भी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं। दोनों दलों के एक साथ एक ही शहर में इस तरह के आयोजन की वजह से उनके आमने -सामने आने की स्थिति बनना तय है। दरअसल बीते चुनाव में आरक्षित वर्ग के मतदाताओं की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ी थी , जिसकी वजह से इस बार भाजपा अजा और अजजा वर्ग पर अपना ज्यादा ध्यान फोकस कर रही है। पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा के बाद भाजपा इन दोनों वर्गों को लुभाना चाहती है, जिसका फायदा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में मिल सके। वहीं कांग्रेस भी इससे पीछे नहीं है। कांग्रेस अजजा वर्ग पर तो अपना ध्यान फोकस कर ही रही है, वहीं अजा वर्ग के मतदाताओं पर भी उसका ध्यान है।
भाजपा जहां अपने आपको दलित हितैषी बताएगी तो कांग्रेस सरकार की खामियां गिनाएगी। 14 अप्रैल को भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजस्वी सूर्या महू पहुंचेंगे। इसको लेकर पूरे प्रदेश से युवाओं का जमावड़ा महू में होगा। सूर्या खुद दलित वर्ग से आते हैं और बैंगलुरु दक्षिण से सांसद हैं। वे बताएंगे कि भाजपा ने दलित वर्ग के लिए क्या-क्या किया। इसके साथ ही इसी दिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ महू पहुंच रहे हैं। अभी कांग्रेस का विस्तृत कार्यक्रम तैयार नहीं हुआ है, लेकिन माल्यार्पण के साथ-साथ कोई कार्यक्रम कांग्रेस रख सकती है। राज्यसभा सांसद दिग्विजयसिंह एक दिन पहले ही इंदौर पहुंच जाएंगे और दूसरे दिन कमलनाथ के साथ महू में रहेंगे। इसके साथ ही मालवा-निमाड़ के विधायक और पूर्व मंत्री भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। दो साल बाद बसपा, सपा और अन्य सामाजिक संगठनों के आयोजन भी महू में इस बार होंगे। दरअसल प्रदेश में इस वर्ग के मतदाताओं की संख्या करीब एक करोड़ के आसपास है।
दो साल बाद हो रहा आयोजन
शिवराज सिंह चौहान की सरकार हर साल महू में आंबेडकर महाकुंभ का आयोजन करती है। सरकार की ओर से यहां आने वाले बाबा साहेब के अनुयायियों की मेहमान की तरह 3 दिन तक अगवानी की जाती है। उनके रहने, खाने की व्यवस्था सरकार करती है। दो साल से यह आयोजन बंद था, लेकिन इस बार फिर वृहद स्तर पर किया जाएगा। सरकार ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और स्थानीय प्रशासन को आदेश दिए हैं कि आगंतुकों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
यह है सियासी गणित
राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 35 सीटें अनुसूचित जाति एवं 47 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है, जबकि लोकसभा में अनुसूचित जाति के लिए 4 सीटें आरक्षित हैं। इनमें भिंड, टीकमगढ़, उज्जैन एवं देवास की सीटें शामिल हैं। यही वजह है कि आगामी विधानसभा चुनाव में डेढ़ साल का समय होने के बाद भी बीजेपी और कांग्रेस ने अभी से रणनीति बनाकर उस पर काम करना शुरू कर दिया है। मिशन-2023 के लिए अभी से जातिगत समीकरण साधने के लिए प्रदेश में आदिवासियों के बाद अब दलित वर्ग के वोटरों पर खास फोकस बना हुआ है। इसी कड़ी में संत रविदास जयंती के बाद अब प्रदेश में कांग्रेस व भाजपा आंबेडकर जंयती के बहाने दलित वोटर्स को साधने की तैयारी में हैं। माना जाता है कि आरक्षित विधानसभा सीटों पर जिस दल की पड़ मजबूत होती है, उसे सत्ता तक पहुंचने में आसानी होती है।
बीते आम चुनाव में यह रही थी स्थिति
मध्यप्रदेश की कुल 230 विधानसभा सीटों में से 82 सीटें एससी एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं, जिनमें से 35 सीट अनुसूचित जाति और 47 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। 2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जनजाति वर्ग की 47 में 31 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं, तो वहीं भाजपा को सिर्फ 16 सीट मिली थी, जबकि 35 अनुसूचित जाति वर्ग की सीटों में से 17 पर कांग्रेस और 18 पर बीजेपी जीती थी। बीते चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों की अधिकतर सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी, जबकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों पर कांग्रेस ने अच्छा प्रदर्शन किया जिसके चलते कांग्रेस 2018 के विधानसभा चुनाव में सूबे की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।