
भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भाजपा व कांग्रेस के बीच आदिवासी मतदाताओं को अपने-अपने दल से जोड़ने की चल रही होड़ के बीच जयस ने गुपचुप तरीके से इस वर्ग में अपनी पैठ बड़ा ली है। इससे अब जयस आदिवासी वर्ग के बीच सर्वव्यापी बनकर उभर रही है। इसकी वजह से कांग्रेस व भाजपा दोनों में ही घबराहट देखी जा रही है। अब तक मालवा व निमाड़ में सक्रियता दिखा रहे इस जयस संगठन ने अब अपना प्रभाव व सक्रियता दोनों ही प्रदेश के महाकौशल अंचल में तेजी से बढ़ाई है। यह संगठन अन्य इलाकों के आदिवासियों के बीच भी सक्रियता दिखाने में लगा हुआ है। जयस द्वारा इस दौरान खासतौर पर युवाओं को अपने साथ जोड़ा जा रहा है। खास बात यह है कि जयस द्वारा मालवा-निमाड़ से आदिवासियों को संगठित करने की शुरूआत की गई थी। अब इस मामले में जयस ने भाजपा और कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। खास बात यह है कि बीते विधानसभा के पहले ही जयस बड़ी ताकत बन गया था। यही वजह रही की कांग्रेस को उस समय जयस के अध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा को अपने टिकट पर चुनावी मैदान में उतारना पड़ा था। इस वजह से तब चुनाव में मालवा व निमाड़ अंचल मेंं कांग्रेस को फायदा हुआ था, जिसकी वजह से डेढ़ दशक बाद उसकी सत्ता में वापसी हुई थी।
भाजपा-कांग्रेस में जारी है तकरार
आदिवासियों को अपने-अपने पक्ष में लेने को लेकर भाजपा- काग्रेस में फिर जंग के हालात बने हुए हैं। यही वजह है कि दोनों ही दलों के नेता आदिवासियों के मामलों में एक दूसरे दल पर हमला बोलने को कोई भी मौका नही छोड़ रहे हैं। हैं। इस मामले में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि कांग्रेस समाप्ती पर है। इसलिए वह जयस की मदद से आदिवासियों को साध रही है। इसी वजह से डॉ. अलावा को कांग्रेस ने अपने दल से विधायक बनवा रखा है। उधर कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ का कहना है कि आदिवासियों का भाजपा से मोहभंग हो चुका है। वह फिर से एक बार कांग्रेस की ओर देख रहा है।
भाजपा ने छेड़ रखा है अभियान
आदिवासी वर्ग का साथ पाने के लिए भाजपा ने अब 15 नवंबर तक जनजाति कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी कर रखी है। इसकी शुरूआत दो दिन पहले जबलपुर से की जा चुकी है। भाजपा सरकार व संगठन ने 15 नवंबर को जनजाति गौरव दिवस मनाने की भी घोषणा कर दी है। इस तरह दोनों दलों की कोशिश है कि आदिवासियों को अपने साथ जोड़कर 2023 के चुनाव से पहले आदिवासी बहुल सीटों पर खुद को मजबूत कर लिया जाए। इसकी वजह है दोनों दलों को जयस से बड़ा खतरा बना हुआ है।
जयस ने जोड़ा पांच लाख युवाओं को
जयस के अध्यक्ष डॉ. हीरालाल अलावा का दावा है कि उनके संगठन का लगातार विस्तार हो रहा है। दूसरी जाति के लोगों को भी संगठन से जोड़ने का काम किया जा रहा है। उनका कहना है कि अब तक जयस के साथ 5 लाख से अधिक युवाओं को जोड़ा जा चुका है। इसी तरह से देशभर में इनकी संख्या 20 लाख से अधिक हो चुकी है।
लगाया जा रहा है नफा नुकसान का आंकलन
जयस के मजबूत होने से भाजपा और कांग्रेस दोनों का नुकसान तय है। यह बात अलग है कि कांग्रेस अपना नुकसान कम मानकर चल रही है। उसका मानना है कि जयस के प्रमुख डॉ. अलावा कांग्रेस के टिकट पर विधायक हैं। पाटीर्को उम्मीद है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में भी जयस का समर्थन कांग्रेस को ही मिलेगा। उधर भाजपा का मानना है कि अगर जयस ने कांग्रेस को समर्थन जारी रखा तो बड़ा नुकसान हो सकता है। यह बात अलग है कि जयस अलग से चुनाव लड़े तो भाजपा को कम नुकसान होगा।
90 सीटों पर हैं प्रभावी आदिवासी
प्रदेश में आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों की संख्या तो 47 है, लेकिन इस वर्ग का प्रभाव प्रदेश की लगभग 90 सीटों पर माना जाता है। डेढ़ दशक बाद प्रदेश में सत्ता पाने की वजह भी यही सीटें रही। आरक्षित 47 में से 32 सीटें कांग्रेस के खाते में बीते विधानसभा चुनाव में आयी थीं। जबकि इसके पहले के चुनावों में भाजपा इन सीटों पर जीत हासिल कर सरकार बनाती रही। जनगणना के अनुमान के मुताबिक फिलहाल प्रदेश में आदिवासियों की आबादी दो करोड़ के करीब हैं। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को अपने पास सुरक्षित रखने के प्रयासों में लगी हुई हैं। उन्हें साधने के लिए दोनों दल पूरी ताकत लगाए हुए हैं। यही वजह है कि कांग्रेस हाल ही में बड़वानी में आदिवासी अधिकार यात्रा निकालकर आदिवासियों को साधने की कोशिश कर चुकी है।