चुनावी माहौल में गर्मजोशी मतदाता के मौन से घबराई भाजपा और कांग्रेस

 भाजपा और कांग्रेस

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। चारों उपचुनाव वाली सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों की घोषणा में भाजपा से बाजी मारने वाली कांगे्रेस अब चुनाव प्रचार में न केवल पिछड़ती जा रही है बल्कि उसके उम्मीदवारों की स्थिति कमजोर होती जा रही है। इसकी वजह है कांग्रेस के दिग्गज नेताओं की उप चुनाव वाले इलाकों से अब तक दूरी बनाए रखना। इसकी वजह से  अभी भी स्थानीय कांग्रेस नेताओं के भरोसे ही कांग्रेस प्रत्याशियों को अपना किला लड़ाना पड़ रहा है। हालत यह हो गई नाम वापसी तक कांग्रेस अपने प्रतिद्वंदी दल भाजपा से जो बहुत आगे दिख रही थी, वह अब उससे बहुत पीछे  होते दिखने लगी है। इसकी वजह भी है कांग्रेस के प्रदेश में बड़े नेता।
यह नेता अपने आप में इतने व्यस्त बने हुए हैं कि वे उपचुनाव वाले इलाकों में जा ही नहीं पा रहे हैं। अब कहीं जाकर कमलनाथ चुनाव प्रचार में उतरे हैं तो वे भी गिनती के ही स्थानों पर पहुंच रहे हैं। यही नहीं अभी कांग्रेस के दूसरे दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह का भी चुनावी प्रचार कार्यक्रम बना है।
दरअसल प्रदेश में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक का भार अकेले कमलनाथ पर ही है। बड़े नेताओं के न आ पाने की वजह से इन इलाकों के दिग्गज नेता भी दूसरे इलाकों में नहीं जा पा रहे हैं। हालत यह है कि खंडवा से अरुण यादव तो रैंगाव से अजय सिंह बाहर ही नहीं निकल पा रहे हैं। इसके उलट भाजपा की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा अलग-अलग इलाकों में हर दिन तो पहुंच ही रहे हैं, साथ ही प्रभारी बनाए गए मंत्री भी लगातार इन चारों ही सीटों पर डेरा जमाए हुए हैं। इसके अलावा भाजपा के नेता से लेकर कार्यकर्ता तक बूथ स्तर पर बेहद सक्रियता से अपनी मौजूदगी दिखा रहे हैं। कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल को भाजपा ने कितनी गंभीरता से लिया है कि भाजपा प्रत्याशियों के पक्ष में माहौल बनाने के लिए मुख्यमंत्री तक गांव-गांव पहुंच रहे हैं।
इनमें खासतौर पर वे गांव शामिल हैं जो भाजपा के लिए मुश्किल वाले माने जा रहे हैं। प्रचार में पार्टी की मदद के लिए भाजपा के रणनीतिकारों ने अपने मोर्चा व प्रकोष्ठों की ताकत का भी उपयोग करना शुरू कर दिया है। बात यहीं समाप्त नहीं होती है, भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में बनाए गए चुनावी वार रूम से लेकर चुनाव प्रबंधन तक के काम की हर दिन समीक्षा का काम किया जा रहा है। इस मामले में कांग्रेस में हालात ठीक विपरीत बने हुए दिख रहे हैं। कांग्रेस ने जिन अपने पूर्व मंत्रियों व विधायकों की ड्यूटी लगाई है उनमें से कई तो पहुंचे ही नहीं और जो पहुंचे भी वे भी दशहरा मनाने अपने इलाकों में लौट गए। इसके इतर भाजपा के मंत्री तक अपने – प्रभार वाले इलाकों में ही बने हुए हैं। हालांकि कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि अब एक दो दिन में कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता अपने- अपने प्रभार वाले इलाकों में पहुंच कर मोर्चा सम्भाल लेगें। दरअसल भाजपा ने दमोह उपचुनाव में मिली हार से सबक लेते हुए कदम उठाए हैं, जबकि कांग्रेस अब भी दमोह उपचुनाव में मिली जीत के अतिरेक में डूबी हुई दिख रही है।
मप्र में कमलनाथ ही कांग्रेस: शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने खंडवा उपचुनाव में अलग-अलग सभाओं को संबोधित करते हुए कहा कि मप्र में कांग्रेस मतलब कमलनाथ हो गई है। मुख्यमंत्री बनना है तो कमलनाथ, प्रदेशाध्यक्ष बनना है तो कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष बनना है तो कमलनाथ यही नहीं स्टार प्रचारक भी बनना है तो कमलनाथ। उनका कहना है कि यही हाल केन्द्र में भी कांग्रेस का है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हालत आज सर्कस जैसी हो गई है। वह ऐसी पार्टी है जिसका कोई अध्यक्ष ही नही है। बगैर अध्यक्ष वाली कांग्रेस दुनिया की अजूबी पार्टी है। राहुल गांधी कांग्रेस में कुछ नही है, लेकिन वे मुख्यमंत्री को हटाने का फैसला कर लेते हैं।
विकास की बात करें शिवराज: नाथ
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी मुख्यमंत्री के बयान को लेकर पलटवार करते हुए कहा है कि वे भ्रम फैलाने की जगह विकास की बात करें। उन्हें बताना चाहिए की उनकी सरकार ने युवाओं और आदिवासियों के लिए क्या किया है। इतने साल में उनके द्वारा सिर्फ घोषणाएं ही की गई हैं। जिसकी वजह से वे सिर्फ घोषणाबीर ही बने हुए हैं। अपनी घोषणाओं की हकीकत पता करना है तो उन्हें जनता के बीच जाना चाहिए। युवाओं को रोजगार दिया नहीं और बैंकों से कर्ज दिलवा रहे हैं, तो बैंक वाले परेशान कर रहे हैं। जनता से बदला लेने के लिए कांग्रेस की योजनाओं को बंद कर दिया गया है।

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