
- लोकसभा चुनाव: नेताओं ने मैदानी स्तर पर कसी कमर
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोकसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने प्रदेश की सभी 29 सीटों पर जीत की रणनीति तैयार की है। अभी भाजपा के पास 28 सीटें हैं, जबकि कांग्रेस के पास एक सीट है। उधर, कांग्रेस के सामने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की चुनौती बनी हुई है। फिलहाल प्रदेश में पहले चरण की सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है, लेकिन कांग्रेस अभी प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया ही पूरी नहीं कर पा रही है। भाजपा उम्मीदवारों ने तो नामांकन भरना ही नहीं, प्रचार भी शुरु कर दिया है। इस बीच भाजपा संगठन ने प्रदेश की कम से कम पांच सीटों पर मिलने वाले मतों में दस फीसदी की वृद्धि का लक्ष्य तय कर लिया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को सक्रिय भी कर दिया गया है। गौरतलब है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा को मप्र में पचास फीसदी से अधिक मत मिले थे। यही वजह है कि अब भाजपा संगठन में मिलने वाले मतों को 60 फीसदी के पार ले जाना चाहती है। इसके साथ ही पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने हर लोकसभा सीट में 50 प्रतिशत से अधिक मत पाने का लक्ष्य रखा है। उधर, भाजपा के प्रदेश नेतृत्व ने यह लक्ष्य बढ़ाकर 60 प्रतिशत तक रखा है। पिछले तीन चुनाव परिणामों के विश्लेषण में सामने आया है कि भाजपा को भोपाल, विदिशा, जबलपुर, सागर, दमोह और बैतूल में 50 प्रतिशत से अधिक मत मिलते रहे हैं। सर्वाधिक मत प्रतिशत लेकर जीतने का रिकॉर्ड सुषमा स्वराज का रहा है। 2009 में उन्हें 78 प्रतिशत मत मिले थे। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा को 29 में से 25 सीटों पर 50 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे। जिन तीन सीटों पर कम मत मिले थे उनमें मंडला, रतलाम और मुरैना शामिल है। सर्वाधिक 69.35 प्रतिशत मत पाने वाले होशंगाबाद से प्रत्याशी उदय प्रताप सिंह थे, जबकि दूसरे नंबर पर इंदौर के शंकर लालवानी रहे थे, उन्हें 65 प्रतिशत मत मिले थे। अगर 2014 के चुनाव परिणामों को देखें तो भाजपा के 20 उम्मीदवार 50 प्रतिशत से अधिक मत लेकर जीते थे। इनमें सर्वाधिक 66 प्रतिशत मत के साथ विदिशा से सुषमा स्वराज जीती थीं। कांग्रेस से विजयी हुए मात्र दो उम्मीदवारों में गुना से ज्योतिरादित्य सिंधिया को 52 प्रतिशत और छिंदवाड़ा से कमलनाथ को 50 प्रतिशत मत मिले थे, जबकि
यह दोनों सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही हैं।
ऐसा रहा है चुनावों का ट्रेंड
भोपाल: 2014 में भाजपा ने आलोक संजर को प्रत्याशी बनाया था। उन्होंने 3 लाख 70 हजार 696 वोट यानी 32.95 प्रतिशत के मार्जिन से यह चुनाव जीता। 2019 में भाजपा ने यहां साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाया। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह को 3 लाख 64 हजार 822 वोटों से हराया था। प्रज्ञा ठाकुर को जहां 8 लाख 66 हजार 482 वोट हासिल किए थे, तो वहीं दिग्विजय सिंह को 5 लाख 1 हजार 660 वोट मिले थे।
विदिशा: 2014 में सुषमा स्वराज ने 4 लाख 10 हजार 698 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी। 2019 में रमाकांत भार्गव ने यहां से चुनाव लड़ा। उन्हें 8 लाख 53 हजार 22 वोट मिले थे, जबकि उनके प्रतिद्वंदी कांग्रेस के शैलेंद्र रमेशचंद्र पटेल को 3 लाख 49 हजार 938 वोट मिले। इस तरह भार्गव ने यह चुनाव 5 लाख 3 हजार 84 वोटों के बड़े अंतर से जीता था।
जबलपुर: 2014 में राकेश सिंह यहां से चुनाव लड़े और 20.98 प्रतिशत यानी 2 लाख 8 हजार 639 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था। 2019 के चुनाव में भी भाजपा के राकेश सिंह को 8 लाख 26 हजार 454 वोट मिले थे और 4 लाख 54 हजार 744 वोटों से जीते थे। उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी विवेक कृष्ण तन्खा को हराया था।
सागर: 2014 में लक्ष्मी नारायण यादव ने भाजपा के टिकट पर 1 लाख 20 हजार 737 यानी 13.68 प्रतिशत के अंतर से चुनाव जीता। इसके बाद 2019 में भाजपा के ही राजबहादुर सिंह ने 6 लाख 46 हजार 231 वोट पाकर 3 लाख 5 हजार 542 वोटों के मार्जिन से जीत हासिल की थी।
दमोह: 2014 में प्रहलाद सिंह पटेल ने 2 लाख 13 हजार 299 वोटों से जीत दर्ज की। थी। इसके बाद 2019 में भी प्रहलाद सिंह पटेल ने 7 लाख 4 हजार 524 वोट पाकर कांग्रेस के प्रताप सिंह को 3 लाख 53 हजार 411 वोटों से हराया था।
बैतूल: 2014 में भी ज्योति धुर्वे ने 3 लाख 28 हजार 614 वोटों से जीत हासिल की थी। 2019 में भाजपा के ही दुर्गा दास उइके को 8 लाख 11 हजार 248 वोट मिले और 3 लाख 60 हजार 241 वोटों से जीत दर्ज की थी।
बीते चुनाव में 13 सीटों पर 60 प्रतिशत से अधिक मत मिले
भाजपा को 2019 में 13 सीटों पर 60 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे। इस बार पार्टी सभी 29 सीटें जीतने के साथ ही हर सीट और हर बूथ पर 60 प्रतिशत से अधिक मत पाने के लक्ष्य के साथ काम कर रही है। उन 17 हजार बूथों पर विशेष ध्यान है जहां पार्टी को कम मत मिले थे। इसके लिए बूथ चलो अभियान पार्टी ने चलाया है। गांव-गांव संपर्क के लिए गांव चलो अभियान चल रहा है, जिसमें पार्टी के बड़े पदाधिकारियों के दौरे हो रहे हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए लाभार्थी संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। भारतीय जनता युवा मोर्चा द्वारा युवा मतदाता सम्मेलन कराया जा रहा है। अन्य मोर्चा व प्रकोष्ठ को भी अलग-अलग जिम्मेदारी मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए दी गई है।
