
हाईकोर्ट ने दिए हैं लोकायुक्त को निर्देश
भोपाल/गणेश पाण्डेय/बिच्छू डॉट कॉम।
भाजपा के बरिष्ठ नेता , राज्य ओबीसी आयोग के चेयरमैन और भाजपा विधायक गौरीशंकर बिसेन की मुश्किलें बढ़ती नजर आने लगी हैं। अब उनके खिलाफ आय से अधिक संम्पत्ति मामले की जांच की जाएगी। इस संबंध में जबलपुर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही बालाघाट जिले के लांजी से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते की जनहित याचिका का पटाक्षेप कर दिया गया है। हाई कोर्ट ने अपने निर्देश में लोकायुक्त को बिसेन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति को लेकर लगाए गए आरोपों की विधि अनुसार जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है की बिसेन 2008 से 2018 तक भाजपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं और उन्हें अभी कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिला हुआ है। सपा के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने 2012 में एक जनहित याचिका दायर कर आरोप लगाए थे कि तत्कालीन कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन के पास वर्ष 1984 में कोई खास संपत्ति नहीं थी। विधायक व मंत्री रहते हुए उनकी संपत्तियों में लगातार असामान्य बढ़ोतरी हुई है। कई बेशकीमती संपत्तियां उनके व उनके परिवार के सदस्यों और अन्य रिश्तेदारों के नाम से खरीदी गई हैं। बिसेन द्वारा 2003 से 2011 के बीच चुनाव आयोग को दी गई संपत्तियों की जानकारियां भी याचिका के साथ प्रस्तुत की गई थी। याचिका में कहा गया संबंधित अधिकारियों को शिकायतें देने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई , जिसकी वजह से उन्हें हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। वहीं बिसेन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रवीश अग्रवाल व स्वप्निल गांगुली ने कहा कि इस मामले में दो बार जांच हो चुकी है उस जांच में आरोप साबित नहीं हुए। याचिका में आरोप लगाया गया कि बिसेन ने अपनी पुत्री मौसम के नाम पर पुणे में 50 लाख रुपये का फ्लैट खरीदा। बालाघाट कलेक्टर के निवास के सामने ढाई करोड़ रुपए की जमीन खरीदी, बालाघाट के पटेरिया कैम्पस में पत्नी रेखा बिसेन के नाम पर 91 लाख रुपयों की जमीन खरीदी, सेनेटरी पाइप बनाने वाली एक फैक्ट्री उन्होंने 90 लाख रुपयों में खरीदी, कोठारी दाल मिल गर्रा के पास 7 करोड़ रुपयों की कृषि भूमि और वारासिवनी में मदरसा के पास पांच एकड़ जमीन खरीदी बालाघाट में करोड़ों रुपये में 11 एकड़ जमीन बेनामी संपत्ति के रूप में खरीदी है। हाई कोर्ट ने जून 2014 को पारित आदेश में रजिस्ट्री को याचिका की प्रति लोकायुक्त को देने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने लोकायुक्त को निर्देश दिए थे कि शिकायत पर जांच कर विधि अनुसार कार्रवाई करें। हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ मंत्री बिसेन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को याचिका पर पुन: सुनवाई के निर्देश दिये थे। इसके बाद हाई कोर्ट ने मार्च 2017 में याचिका की नए सिरे से सुनवाई प्रारंभ की थी।
इस तरह की पूर्व में भी कर चुके शिकायतें
बिसेन व समरीते के बीच पुरानी अदावत है। समरीते पूर्व में भी बिसेन के खिलाफ जाति प्रमाण पत्र को लेकर भी शिकायत कर चुके हैं। उनके द्वारा पूर्व मंत्री बिसेन के खिलाफ इस मामले में एक याचिका भी न्यायालय में दाखिल की गई थी, जिसमें उनके द्वारा हाईकोर्ट में पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन के क्रीमी लेयर ओबीसी वर्ग के जाति प्रमाण पत्र को चुनौती दी गई थी, याचिका में कहा गया है कि चुनाव लड़ने में उनके द्वारा प्रमाण पत्र का गलत उपयोग किया गया है। दरअसल, पूर्व मंत्री बिसेन के आवेदन पर 18 मार्च 2018 को एसडीएम वारासिवनी ने उन्हें क्रीमीलेयर के अंतर्गत ओबीसी वर्ग का जाति प्रमाणपत्र जारी कर दिया था, जिसमें उन्हें पूर्व मंत्री और सांसद होने की जानकारी नहीं बताई थी। इस मामले में समरीते के वकील द्वारा दलील दी जा चुकी है की आवेदन में बिसेन ने अपनी वार्षिक आय महज 80 हजार रुपये बताई थी, जिसे सत्य मानकर उन्हें आय प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया। इस प्रमाणपत्र का उपयोग बिसेन ने लोकसभा चुनाव में भी किया। इतना ही नही प्रमाणपत्र का उपयोग बिसेन ने अपने स्वजनों के लिए भी किया गया। जिसमें बिसेन पर कम आय बताकर दो बेटियों को छात्रवृत्ति दिलाने का भी आरोप लगाया गया था।