प्रदेश में थाईलैंड और ब्राजील की कंपनियों का निवेश रुकने से लगा बड़ा झटका

 विदेशी निवेश
  • कोरोना बना विदेशी निवेश की राह में बड़ा रोड़ा…

    भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में थाईलैंड और ब्राजील की दो बड़ी कंपनियों का लगभग तीन सौ करोड़ से ज्यादा का निवेश आने वाला था। जो अब नहीं आ रहा है। दरअसल इस निवेश के
    जरिए तामोट स्थित प्लास्टिक पार्क में करीब छह कंपनियां निवेश करने की तैयारी कर रही थी।
    कंपनियों ने एमपीआईडीसी को निवेश की मंशा से भी अवगत करा दिया था लेकिन, उसके बाद कोरोना ने दस्तक दे दी और इस कारण इन विदेशी कंपनियों ने प्रदेश में निवेश करने के लिए मना कर दिया। हालांकि अधिकारियों ने अभी भी आस नहीं छोड़ी है और लगातार इन कंपनियों के अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है। एमपीआईडीसी के अधिकारियों के मुताबिक परिस्थितियां जैसे ही सामान्य होंगी इन विदेशी कंपनियों से निवेश होने की उम्मीद है। अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2019 में ब्राजील की कंपनी ने 27 एकड़ और थाईलैंड की कंपनी 10 एकड़ जमीन की मांग की थी। इसके लिए कंपनियों द्वारा मध्य प्रदेश इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एमपीआईडीसी) के साथ एक अनुबंध भी किया जाना था, परंतु कोरोना आ जाने की वजह से यह मामला ठंडा पड़ गया।
    पार्क की राह में अड़ंगे
    केंद्र सरकार की ओर से स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) के अंतर्गत बनाए गए पार्क में एक के बाद एक अड़ंगे आने से यह पार्क विकसित नहीं हो सका है। यही नहीं इसके नहीं बन पाने से युवाओं को रोजगार के अवसर भी नहीं मिल रहे। बता दें कि शुरूआत में पार्क की भूमि को लेकर राजस्व विभाग और वन विभाग में विवाद भी हुआ था, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के हस्तक्षेप के बाद मामला जैसे तैसे सुलझ गया था। उसके बाद पार्क में आरक्षित प्लॉट की कीमतों ने निवेशकों का मोहभंग कर दिया। इस पर प्रदेश सरकार में तत्कालीन पर्यटन राज्य मंत्री सुरेंद्र पटवा एवं उद्यमियों की मांग पर एमपीएकेवीएन ने प्लाट की कीमतें कम की। हालांकि उसके बाद भी निवेशक नहीं आए और उसी समय कोरोना का संक्रमण फैलने लगा। हालात यह बने कि इस पार्क में अब तक बीते साल साल में सिर्फ तेरह प्लाट ही बेचे जा सके हैं।
    पार्क में सिर्फ आठ कंपनियां ही स्थापित हुई
    बता दें कि कि भोपाल के निकट तामोट में वर्ष 2014 में देश के सबसे बड़े प्लास्टिक पार्क का निर्माण केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय ने कराया था। राज्य सरकार द्वारा इसे एमपीआईडीसी के माध्यम से करीब 97 हेक्टेयर में विकसित कराया गया था। यही नहीं इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर ही करीब 108 करोड़ Þरुपए खर्च कर दिए गए। 97 हेक्टेयर में फैले इस पार्क में कुल 154 प्लाट आरक्षित किए गए हैं, जिनमें से पिछले सात साल में सिर्फ 13 प्लाट ही बिक सके हैं। यही वजह है कि देश के दूसरे सबसे बड़े प्लास्टिक पार्क में अब तक सिर्फ आठ कंपनियां ही स्थापित हो पाई है। इन कंपनियों ने भी बहुत कम  सिर्फ दस करोड़ का निवेश ही किया है। एमएसएमई यानी छोटे और मझोले उद्योग स्तर की इन कंपनियों द्वारा केवल सौ लोगों को ही रोजगार दिया गया है।
    निवेश आने से मिलते रोजगार के अवसर
    एमपीआईडीसी के अधिकारियों की माने तो ब्राजील और थाईलैंड की इन दोनों बड़ी कंपनियों के साथ ही कुछ अन्य कंपनियों ने भी तमोट में इकाइयां लगाने की मंशा जताई थी। अगर यह उद्योग स्थापित होते तो इनमें मुख्य रूप से ब्राजील की कंपनी से ढाई सौ करोड़ और थाईलैंड की शीशा नामक कंपनी ने 50 करोड़ का निवेश किया जाता। प्रदेश में इनकी आने से बड़े स्तर पर रोजगार के अवसर भी लोगों को मिलते।

Related Articles