बड़ी राहत: अब अनुदान राशि सीधे अन्नदाता के खाते में पहुंचेगी

अनुदान राशि
  • पैसों की कमी के चलते योजनाओं का लाभ लेने अब किसानों को परेशान नहीं होना पड़ेगा

    भोपाल/जीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र की शिव सरकार किसानों को हित में लगातार प्रयास कर रही है। यही वजह है कि अन्नदाता को भटकना न पड़े और सुलभता से उन्हें योजनाओं का लाभ मिले इसके लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।
    इसी कड़ी में  पैसों की कमी के चलते योजनाओं का फायदा नहीं लेने वाले किसानों के हित में उद्यानिकी विभाग ने बड़ा फैसला किया है। अब उद्यानिकी विभाग में संचालित केंद्र प्रवर्तित सभी योजनाओं और राज्य पोषित योजनाओं में अनुदान सहायता की राशि को कोषालय के माध्यम से सीधे हितग्राही अन्नदाता के बैंक खाते में भुगतान किया जाएगा। यही नहीं विभाग द्वारा निजी कंपनी से आदान सामग्री खरीद कर किसानों को प्रदाय किए जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इससे विभाग के अधिकारी कर्मचारियों के साथ निजी फर्मों से गठजोड़ कर कमीशन खोरी का धंधा भी बंद हो जाएगा। विभाग ने अपने फैसले के बारे में सभी संबंधित अधिकारियों को इसके निर्देश जारी कर दिए है। उल्लेखनीय है कि केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में एकीकृत बागवानी, विकास मिशन, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय औषधीय पौधा मिशन आदि योजनाएं शामिल हैं। बता दें कि हाल ही में जब विभाग ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की तीन महीने की समाप्ति के बाद की समीक्षा की तो पाया कि योजना में कोई प्रगति ही नहीं हुई।
    अधिकारियों ने जब इसका कारण जानना चाहा तो पता लगा कि इसका मुख्य कारण है इस व्यवस्था में योजना की पूर्ण लागत पहले हितग्राही को ही वहन करना पड़ती है। जबकि हितग्राही योजना लागत की पूरी राशि स्वयं के स्रोतों से पहले खर्च करने में सक्षम नहीं होते है। विभागीय क्षेत्रीय अधिकारियों और कृषि क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों की माने तो अधिकांश किसान हितग्राही अंश की राशि की व्यवस्था भी समय पर बड़ी मुश्किल से ही कर पाते हैं।
    इस तरह होगी फैसले पर अमल के बाद व्यवस्था
    किसान द्वारा बैंक के माध्यम से लोन लेकर कार्य पूरा करने पर संबंधित के बैंक खाते में अनुदान भुगतान किया जाएगा। कृषक अंश की राशि कृषक द्वारा कंपनी अथवा फर्म को प्रदाय किए जाने संबंधी प्रमाण पत्र अर्थात आरटीजीएस, एनईएफटी, बैंक ड्राफ्ट के बैंक स्टेटमेंट की छाया प्रति कंपनी अथवा फर्म द्वारा देयक के साथ जिला कार्यालय को उपलब्ध कराना होगी, इसके साथ ही अनुदान का भुगतान किया जाएगा। खास बात है कि किसान द्वारा स्वयं के व्यय पर कार्य पूर्ण करने पर अनुदान सहायता संबंधित हितग्राही के बैंक खाते में पहुंचेगी। जबकि पहले की व्यवस्था के तहत हितग्राही को पहले खर्च वहन करना होता था और बाद में अनुदान मिलता था।
    टूटेगा कमीशनखोरी का गठजोड़
    उद्यानिकी विभाग ने निजी कंपनियों से सामग्री खरीदकर किसानों को प्रदाय किए जाने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। साथ ही इस संबंध में उद्यानिकी विभाग ने अपने सभी संचालकों को और सह संचालकों को निर्देश जारी कर दिए हैं। सरकार के इस फैसले से दलालों एवं अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली कमीशनखोरी पर तो लगाम लगेगी ही साथ ही पैसा सीधा  किसानों के खाते में आने पर वे अपनी पसंदीदा फार्म अथवा कंपनी से उच्च गुणवत्ता का सामान भी खरीद सकेंगे।

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