किराए के वाहनों में भी किया गया बड़ा खेल

  • मप्र पुलिस आवास निगम में हो रहे एक के बाद एक खुलासे
मप्र पुलिस

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र पुलिस आवास एवं अधोसंरचना विकास निगम में  पदस्थ प्रभारी इंजिनियर हेमा मीणा के यहां पड़े लोकायुक्त छापे के बाद लगातार कई तरह के सनसनीखेज खुलासे हो रहे हैं। इसमें एक नया खुलासा किराए के वाहन लगाने के मामले में सामने आया है। निगम में प्रतिनियुक्ति में पदस्थ लोक निर्माण विभाग के अफसरों द्वारा मौका मिलते ही बड़ा खेल कर दिया जाता है। किराए के वाहन लगाने के मामले में कॉर्पोरेशन के अफसरों ने सांठगांठ कर एक ब्लैक लिस्टेड ट्रेवल्स के संचालक के वाहन महंगी दर पर लगा रखे हैं।  
यह वाहन टेंडर में स्वीकृत ट्रेवल्स के माध्यम से लगाए गए। इस दौरान टेंडर की शर्तों और नियमों को भी दरकिनार कर दिया गया है। यह पूरा मामला 2021 का है। उस समय कॉर्पोरेशन ने किराए पर वाहन लेने के लिए टेंडर निकाला था , जो वर्ष 2023 तक के लिए वैध है। इसमें कॉर्पोरेशन ने अधिकतम 54,900 रुपए प्रति माह की दर पर न्यू मॉडल इनोवा क्रिस्टा का किराए पर मंजूर किया। अन्य वाहनों में न्यू बोलेरो 41,598 और न्यू मॉडल होण्डा सिटी 49,900 प्रति माह में स्वीकृत किया गया ,  जबकि दावा है कि दूसरा ट्रेवल्स संचालक यही वाहन 23 हजार रुपए मासिक दर पर उपलब्ध कराने को तैयार था। अगर इस हिसाब से देखा जाए तो एक वाहन पर लगभग 20 हजार रुपए प्रतिमाह का अतिरिक्त खर्च किया जा रहा  है , जिसकी वजह से 30 वाहनों का एक माह में 6 लाख रुपए अतिरिक्त खर्च हुआ। यह राशि साल में 72 लाख रुपए होती है। यानि 4 साल में लगभग 3 करोड़ का चूना कॉर्पोरेशन को लगेगा। हद तो यह है कि इस दौरान कारपोरेशन के इंजिनियर जनार्दन सिंह ने अपने नाम की लग्जरी गाड़ी हेमा मीणा को देकर बीस लाख कीमत वाली नई कार खरीदकर किराए पर लगा ली।
शर्तों व नियमों का ऐसे हुआ उल्लंघन
इस दौरान टेंडर नवीन ट्रेवल्स का टेंडर खुलने पर भी भगवान सिंह (ब्लैक लिस्टेड) के 11 और मनीष सक्सेना के 10 वाहन लगा लिए गए। हद तो यह है कि 5 प्रतिशत का जीएसटी को भुगतान वाहन मालिक की जगह कॉर्पोरेशन ने अपने खजाने से कर दिया है। यही नहीं कई वाहन आरटीओ में टैक्सी परमिट तक में पंजीकृत नहीं थे और उनमें से कई वाहन पुराने भी थे। अगर टेंडर की शर्तों की बात की जाए तो उनमें सभी वाहन टैक्सी कोटा में परिवहन कार्यालय में वर्ष 2021 में पंजीकृत होना चाहिए। निविदा प्रस्तुतकर्ता करने वाले ठेकेदार के नाम से ही वाहन हों और वाहनों में पेट्रोल डीजल वाहन प्रदायकर्ता के द्वारा भराया जाएगा। इसी तरह से सभी वाहन नए मॉडल के होना चाहिए थे और उनके किराए पर लगने वाले जीएसटी का भुगतान वाहन प्रदायकर्ता द्वारा भरा जाना शामिल था।

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