नगरीय निकायों के टेंडर में बड़े गड़बड़झाले

नगरीय निकायों
  • निजी व्यक्तियों से लगवाया जा रहा है टेंडर

    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।
    प्रदेश में शासकीय विभागों में पारदर्शिता लाने के लिए शुरू की गई डिजिटल सिग्नेचर व्यवस्था का नगरीय निकायों में दुरूपयोग हो रहा है। यह लापरवाही परेशानी बढ़ा सकती है। इस लापरवाही पर सरकार ने निकायों में पदस्थ अधिकारियों को हिदायत दी है कि वे डिजिटल सिग्नेचर का दुरूपयोग न होने दें।
    जानकारी के अनुसार, प्रदेश में नगरीय निकायों द्वारा विभिन्न विकास कार्यों को लेकर कराए जाने वाले टेंडर में कई गलतियां की जा रही है। नगरीय विकास और आवास विभाग ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा है कि निकायों द्वारा टेंडर लगाने की कार्यवाही निजी व्यक्तियों से कराया जाना गैरकानूनी है। निजी व्यक्ति के हाथ में डिजिटल सिग्नेचर (डीएससी) चले जाने से सुरक्षा खतरे में पड़ती है और दुरुपयोग की संभावना रहती है।
    आयुक्त ने सतर्कता बरतने दिया निर्देश
    प्रदेश में नगरीय निकायों में सामने आ रही लापरवाही को देखते हुए नगरीय विकास और आवास विभाग के आयुक्त निकुंज श्रीवास्तव ने निर्देश दिए हैं कि निकायों के प्रमुख निजी व्यक्तियों का उपयोग सरकारी काम में नहीं करें। इसके लिए पोर्टल का उपयोग खुद किया जाए और अगर कम्प्यूटर आपरेटर की सहायता लेना भी हो तो कार्यवाही अपने सामने पूरी कराएं ताकि गोपनीयता बनी रहे।
    आयुक्त ने ये निर्देश प्रमुख अभियंता मेट्रो रेल कारपोरेशन, मध्यप्रदेश अर्बन डेवलपमेंट कम्पनी, सभी नगर निगम आयुक्त, सीईओ स्मार्ट सिटी, संयुक्त संचालक संभागीय कार्यालय, अधीक्षण और कार्यपालन यंत्री तथा सभी सीएमओ नगरपालिका, नगर परिषद को दिए हैं। एमपी टेंडर्स के नए पोर्टल पर ई टेंडरिंग प्रक्रिया को लेकर दिए गए निदेर्शों में कहा गया है कि कई मामलों में यह सामने आया है कि टेंडर लगाते समय टेंडर खोलने की अथॉरिटी ऑप्शन 4 में से कोई दो ही चुना जाए। दो में से दो का ऑप्शन चुनने पर स्थानांतरण होने और डिजिटल सिग्नेचर करप्ट होने के कारण टेंडर खोलने में दिक्कतें सामने आई हैं। ऐसे टेंडर किसी अन्य आईडी से नहीं खोले जा सकते। संचालनालय स्तर पर भी नए पोर्टल में यह अधिकार नहीं दिए गए हैं।
    डिजिटल सिग्नेचर की सुरक्षा पर विशेष ध्यान
    आयुक्त श्रीवास्तव ने कहा है कि अधिकारी अपने डिजिटल सिग्नेचर अपनी सुरक्षा में रखें। डीएससी खो जाने की स्थिति में तत्काल इसकी एफआईआर थाने में दर्ज कराई जाए। डीएससी की वैधता समाप्त होने के एक माह पहले इसका नवीनीकरण कराने के निर्देश देते हुए कहा गया है कि नोडल अधिकारियों से संपर्क कर नए टेंडर की दिक्कतों का समाधान कराएं। नई व्यवस्था में यह प्रावधान भी किए गए हैं कि जिन अधिकारियों की आईडी को टेंडर खोलने के लिए नामित किया गया है उनके द्वारा टेंडर खोलने की प्रक्रिया से इनकार नहीं किया जा सकेगा। अगर नामित व्यक्ति का स्थानांतरण हो जाता है तो उनके द्वारा पूर्व कार्यालय के आग्रह पर टेंडर खोलने की कार्यवाही नवीन पदस्थापना स्थल पर लाग इन कर की जा सकेगी। स्थानांतरण होने पर अधिकारी की आईडी दोबारा नहीं बनेगी बल्कि आईडी भी नए पदस्थापना स्थल वाले निकाय के लिए ट्रांसफर हो जाएगी।

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