
- भोपाल विकास योजना-2031 के लिए सीएम ने दिया प्रभारी मंत्री को जिम्मेदारी
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भोपाल के विकास की रूपरेखा तय करने वाले मास्टर प्लान (भोपाल विकास योजना-2031) की उल्टी गिनती शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री ने राजधानी के मास्टर प्लान को लागू करवाने की जिम्मेदारी प्रभारी मंत्री भूपेंद्र सिंह को दी है। संभावना जताई जा रही है कि राजधानी का बहुप्रतीक्षित मास्टर प्लान पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती यानी 25 दिसंबर को लागू हो सकता है।
गौरतलब है कि 31 दिसंबर 2005 में मौजूदा प्लान की अवधि समाप्त होने पर 2021 तक के लिए नए प्लान का मसौदा तैयार करने की कवायद शुरू हुई थी। फिर वर्ष 2008 में मसौदा तैयार कर लिया गया, लेकिन विधानसभा चुनावों व अन्य कारणों से इसे जारी नहीं किया गया। आखिरकार 29 अगस्त 2009 को मसौदा जारी हुआ। आपत्ति के बाद 19 अप्रैल 2010 को मसौदा रद्द कर दिया गया। फिर 13 सितंबर को नया मास्टर प्लान 2031 को तैयार करने का आदेश दिया गया। बताया जा रहा है अब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्लान को बारीकी से देखने और फाइनल करने के लिए नगरीय विकास व आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह व अन्य जिम्मेदारों को फ्री हैंड दे दिया है। मास्टर प्लान को लेकर मंत्री भूपेन्द्र सिंह व मुख्यमंत्री से एक दौर की चर्चा भी हो चुकी है।
शासन के स्तर पर लंबित है प्लान
जानकारी के अनुसार इस साल जनवरी में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर ने अपनी अनुशंसा के साथ मास्टर प्लान 2031 का मसौदा राज्य शासन को भेज दिया था। तब से यह शासन के स्तर पर लंबित है। अब नियम कहता है कि शासन ने टीएंडसीपी के ड्राफ्ट में अगर कोई बदलाव किया होगा तो इस पर 30 दिन में दावे-आपत्ति बुलाना होंगे। फिर सुनवाई कर निराकरण करना होगा। इसके बाद ही प्लान लागू कर पाएंगे। हालांकि, सूत्रों के मुताबिक मसौदे में परिवर्तन नहीं किया गया है।
16 साल से मास्टर प्लान का इंतजार
राजधानी में अभी बिना मास्टर प्लान के विकास कार्य हो रहे हैं। पिछले 16 साल से मास्टर प्लान का इंतजार है। भोपाल का मास्टर प्लान 1995 में आया था। यह वर्ष 2005 तक के लिए था। इसके बाद नया प्लान लागू होना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आखिरकार 15 साल बाद मार्च, 20 में कांग्रेस सरकार ने इसका मसौदा जारी किया था। फिर दावे-आपत्ति और उनकी ऑनलाइन सुनवाई का दौर चला। कोरोना की वजह से यह प्रभावित रहा। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण वरिष्ठ अधिकारियों को फोकस उससे निपटने की तैयारियों में रहा। इस वजह से देरी होती रही।
भविष्य की जरूरतों के अनुसार प्लान
मास्टर प्लान 2031 के मसौदे को शॉर्ट, मिड व लॉन्ग टर्म प्लानिंग में बांटा गया है। शॉर्ट टर्म यानी 10 से 20 साल की अवधि में समय की मांग के अनुसार बिल्डिंग व लैंड यूज बदलने की अनुमति दी जा सकेगी। मिड टर्म में 20 से 30 साल की अवधि में नीतिगत या मांग में बदलाव के कारण भौतिक व सामाजिक इंफ्रास्ट्रक्चर को संशोधित किया जा सकेगा। लॉना टर्म में भविष्य के लिए जमीन को संरक्षित किया जाएगा। बड़ा तालाब के आसपास ईको टूरिज्म के साथ मनोरंजन व सैर-सपाटे की सुविधा विकसित की जाएगी। इसकी जद में आ रही निजी जमीन के मालिकों को किसी और क्षेत्र में निर्माण के अधिकार दिए जाएंगे। साथ ही लेक फ्रंट के लिए अलग अथॉरिटी भी बनेगी। यह तालाब और इसके आसपास विकास की गतिविधियां नियंत्रित करेगी। करोंद से एम्स और भदभदा चौराहा से रत्नागिरी तिराहा तक मेटो रूट के दोनों ओर 500 मीटर के हिस्से को ट्रांजिट ओरियंटेड जोन कहा गया है। यहां बहुमंजिला इमारतें बनाई जाएंगी। इस जोन में घर, आॅफिस व शॉपिंग कॉम्पलेक्स होंगे।
विरासत संरक्षण के लिए हेरिटेज टीडीआर
मास्टर प्लान में पहली बार पुराने शहर के लिए खास योजना बनाई गई है। ओल्ड सिटी जोन में आने वाले भूस्वामियों को विरासत संरक्षण के लिए हेरिटेज टीडीआर दिया जाएगा। इसका मतलब उन्हें किसी और क्षेत्र में निर्माण का अधिकार दिया जाएगा। शर्त यह होगी कि ऐतिहासिक इमारत सामने के हिस्से का मूल स्वरूप नहीं बदलेंगे।
एमपी नगर, न्यू मार्केट, करोंद सर्कल, मिसरोद को कमर्शियल मिक्स्ड यूज सेंटर में रखा गया है। एमपी नगर में बेस एफएआर 1.5 रखा गया है। यहां निर्माण के लिए 2.5 एफएआर अतिरिक्त मिल सकेगा। वहीं न्यू मार्केट, करोंद सर्कल व मिसरोद में भी बेस एफएआर 1.5 तय किया गया है। इन व्यावसायिक क्षेत्रों में 1.5 एफएआर और खरीदा जा सकेगा। प्लानिंग एरिया में स्थित प्रमुख बांधों के आसपास सिटी फॉरेस्ट विकसित किए जाएंगे। श्यामला हिल्स और बड़ा तालाब के बीच के क्षेत्र में प्राणी या बॉटनिकल गार्डन विकसित किए जाएंगे। एयरपोर्ट के आसपास के इलाके को परिवहन क्षेत्र के तौर पर चिन्हांकित किया गया है।