आधा दर्जन राज्यों के अब तक 2500 मामले सुलझाए …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सीएफएसएल भोपाल यानी सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी आज देशभर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है। इसकी वजह यह है कि इस लेबोरेटरी में हत्या के मामलों की अनसुलझी गुत्थियां सुलझाई जा रही है। केवल मप्र ही नहीं बल्कि छह राज्यों में होने वाली हत्या के मामलों की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में जांच कर आरोपियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में सहायता की जा रही है। इस लैब में अब तक 6 राज्यों के 2500 मामले सुलझाए जा चुके हैं।
सूत्रों का कहना है कि यूपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ सहित छह राज्यों में जब पुलिस और राज्यों की स्टेट फॉरेंसिक लैब जिन आपराधिक मामलों की गुत्थी नहीं सुलझा पाती है तो, उसे भोपाल की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में भेजा जाता है।
यहां आपराधिक मामलों की गुत्थी सुलझाई जा रही है, जिन्हें संबंधित राज्यों की स्टेट फॉरेंसिक लैब नहीं सुलझा सकी। इनमें ज्यादातर मर्डर, ज्यादती आदि से संबंधित हैं। बताया जाता है की लैब के वैज्ञानिकों ने कई ऐसे मामलों को भी सुलझा दिया है जिसकी जांच की दिशा भटक गई थी। इस कारण आज भोपाल की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी का विश्वास तेजी से बढ़ा है।
बेगुनाह झूठे मामलों में फंसाए जाने से बच गए
खास बात यह है कि सीएफएसएल की जांच से कई बेगुनाह झूठे मामलों में फंसाए जाने से भी बच गए। जांच के लिए कपड़े, ब्लड, सीमन, बाल और यहां तक कि राख, मिट्टी आदि के सैंपल परखे गए। सीएफएसएल के कुणाल महोबिया ने बताया कि कई बार डीएनए के लिए पर्याप्त सैंपल नहीं होते हैं। एक बार रेप के बाद महिला की हत्या कर ऊंचाई से फेंक दिया गया, जिससे शव क्षत-विक्षत हो गया था। इसके सैंपल पन्नी में भेजे गए थे, इन्हें सुखाने में ही काफी समय लग गया। इसमें से डीएनए सैंपल लेकर केस सॉल्व किया गया था। सेंट्रल फॉरेंसिक लैब में अब तक मप्र के 100 जटिल केस समेत 6 राज्यों के 2500 मामले सुलझाए गए हैं। सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (सीएफएसएल) में मप्र का केवल एक केस पेंडिंग है। यह केस भोपाल के बैरसिया का इसी साल का है। इसमें पिता ने ही बेटी के साथ गलत काम किया है। वहीं स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब्स में 6 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग हैं। यह लैब भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और सागर में हैं। यहां प्रदेशभर के पेचीदा मामलों के नमूनों की जांच होती है। सीएफएसएल के डिप्टी डायरेक्टर डीएनए डॉ. प्रदीप कुमार मिश्रा का कहना है कि सीएफएसएल में मप्र, छग, राजस्थान, यूपी के अलावा अंडमान, सिक्किम और उड़ीसा तक से जांच के लिए सैंपल आते हैं। ये ऐसे पेचीदा केस होते हैं, जिनमें बहुत कम क्लू होते हैं।
कई पेचीदा मामले सुलझाए
भोपाल की सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी में कई पेचीदा मामले भी सुलझाए गए। इनमें यूपी के दो मामले खासे चर्चा में रहे। लखीमपुर में बड़ी बहन ने अपनी नाबालिग छोटी बहन के साथ गैंगरेप करवाया। फिर हत्या कर दी गई थी। दरअसल, छोटी बहन ने बड़ी को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था। जांच में साबित हुआ कि बड़ी बहन ने घटना के दौरान पीडि़ता का हाथ पकड़ा था। इसमें 4 लोगों का डीएनए मैच हुआ और आरोपियों को सजा हुई। वहीं एक महिला ने अपने नौकर पर आरोप लगाया था कि उसने नौकर को अपनी तीन साल की बच्ची के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखा है। विरोध किया तो नौकर ने उसके साथ भी गलत हरकत की। महिला की डीएनए प्रोफाइल निकाली तो सामने आया कि घटना में नौकर था ही नहीं, दूसरे लोग थे। इस तरह नौकर निर्दोष साबित हुआ। वहीं भोपाल में एक लडक़े से सामूहिक रूप से ज्यादती की गई थी। घटनास्थल से मोजे, शीशी आदि मिले थे। इनकी जांच की गई। आरोपियों का डीएनए प्रोफाइल मैच हुआ और आरोपी पकड़ाए गए। वहीं एक लडक़ी को चार लडक़ों ने ब्लैकमेल कर आपत्तिजनक फोटो लिए। इसके बाद उसके साथ कई जगह ज्यादती की। डीएनए जांच हुई तो आरोपी पकड़े गए।