भोपाल, इंदौर और जबलपुर को मास्टर प्लान का इंतजार

मप्र के पांच शहरों को मिली मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी की सौगात

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। 20 मई को मप्र मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास अधिनियम 2025 (एक्ट) को मोहन कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनाई जाएगी। पहले चरण में प्रदेश के दो सबसे बड़े शहरी क्षेत्र भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने की शुरुआत होगी। भोपाल मेट्रोपॉलिटन रीजन में 9600 वर्ग किमी और इंदौर रीजन में करीब 10 हजार वर्ग किमी क्षेत्र शामिल होगा। दोनों क्षेत्रों के लिए मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी व मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी का गठन होगा। लेकिन भोपाल, इंदौर और जबलपुर का मास्टर प्लान कब लागू होगा यह तय नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि विगत वर्ष सरकार ने दावा किया था कि भोपाल, इंदौर और जबलपुर के मास्टर प्लान जल्द लागू होंगे, लेकिन आज एक साल बा भी उसका इंतजार है। भोपाल में पिछले 20 साल से मास्टर प्लान का इंतजार हो रहा है। जबलपुर और इंदौर में मास्टर प्लान की अवधि 4 साल पहले पूरी हो चुकी है। जबलपुर-इंदौर का 2041 तक के लिए और भोपाल का 2047 तक के लिए बन रहा है। भोपाल और इंदौर का तीसरा जबकि जबलपुर का चौथा मास्टर प्लान होगा। उधर, मेट्रोपॉलिटन एक्ट के प्रस्ताव के अनुसार पहले चरण में भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन के रूप में विकसित करने की शुरुआत होगी। भोपाल मेट्रोपॉलिटन एरिया में भोपाल- सीहोर रायसेन-विदिशा और राजगढ़ जिले के ब्यावरा को शामिल किया गया है। इसका कुल क्षेत्रफल करीब 9600 वर्ग किमी होगा। भोपाल विकास प्राधिकरण को नोडल एजेंसी बनाया गया है। इंदौर मेट्रोपॉलिटन एरिया में इंदौर, देवास, उज्जैन व धार जिले को शामिल किया गया है। कुल क्षेत्रफल करीब 10 हजार वर्ग किमी का है। इंदौर विकास प्राधिकरण को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
सबसे पहले इंदौर का मास्टर प्लान होगा जारी
गौरतलब है कि भोपाल, इंदौर और जबलपुर के मास्टर प्लान के ड्राफ्ट जारी होने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। मार्च के आखिरी सप्ताह में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भोपाल और इंदौर के मास्टर प्लान के ड्राफ्ट पर अफसरों के साथ विस्तार से चर्चा भी कर चुके हैं। नगरीय विकास विभाग पिछले कुछ महीनों से मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जल्द जारी होने की बात कह रहा है, लेकिन अभी यह तय नहीं हो पाया है कि मास्टर प्लान का ड्राफ्ट कब तक जारी होगा।  खास बात यह है कि इस बीच तीन दिन पहले कैबिनेट बैठक में मप्र मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग एंड डेवलपमेंट एक्ट-2025 को मंजूरी दी जा चुकी  है। इससे भोपाल और इंदौर के मेट्रोपॉलिटन एरिया (महानगरीय क्षेत्र) बनने का रास्ता साफ हो गया है। एक्ट के तहत जल्द ही दोनों शहरों के लिए मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमआरडीए) और मेट्रोपॉलिटन प्लार्निंग कमेटी (एमपीसी) का गठन किया जाएगा। एमआरडीए सभी विकास कार्यों में समन्त्रय और निगरानी करेगी, जबकि एमपीसी ब्रिकास योजनाओं को लागू कराएगी। साथ ही जबलपुर, ग्वालियर और उज्जैन में भी मेट्रोॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी बनाई जाएगी। नगरीय विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि शहरों के सुनियोजित विकास के लिए जरूरी है कि जल्द नए मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी किया जाए। सरकार ने पहले इंदौर के मास्टर प्लान का ड्राफ्ट और फिर भोपाल और जबलपुर के मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी करने की तैयारी की है।
मास्टर प्लान में बड़े शहरों जैसे सुधार
जानकारी के अनुसार, भोपाल, इंदौर और जबलपुर तीनों शहरों के मास्टर प्लान के ड्राफ्ट में पुणे, चंडीगढ़, दिल्ली जैसे बड़े शहरों के मास्टर प्लान के हिसाब से जरूरी रिफॉर्म (सुधार) और संशोधन किए गए हैं। नए मास्टर प्लान में नई टाउनशिप पॉलिसी को ध्यान में रखते हुए आधुनिक सुविधाओं, प्रदूषण रहित वातावरण, वर्टिकल डेवलपमेंट और उद्योगों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया गया है। मास्टर प्लान का ड्रापट जारी नहीं होने से रियल एस्टेट सेक्टर और बड़े निवेशक असमंजस में हैं। इससे रियल एस्टेट के प्रोजेक्ट प्रभावित हो रहे हैं। निवेशक यह तय नहीं कर पा रहे कि किस क्षेत्र में भविष्य में किस तरह का विकास होगा। इसके चलते जमीन की खरीद-फरोख्त में भी उठाव नहीं आ पा रहा है।  भोपाल में पिछले 20 साल से मास्टर प्लान का इंतजार हो रहा है। जबलपुर और इंदौर में मास्टर प्लान की अवधि 4 साल पहले पूरी हो चुकी है। भोपाल का मास्टर प्लान 2047 तक के लिए और जबलपुर-इंदौर का 2041 तक के लिए बन रहा है। भोपाल और इंदौर का तीसरा, जबकि जबलपुर का यह चौथा मास्टर प्लान होगा। मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी होने के बाद 30 दिन तक दावे-आपत्ति बुलाए जाते है। फिर 3 महीने इन पर सुनवाई होती है। उसके अगले तीन महीने में डायरेक्टर टीएंडसीपी अपनी रिपोर्ट शासन को देते हैं। शासन टीएंडसीपी एक्ट की धारा 19 (2) के तहत फिर से दावे-आपत्ति बुलाता है. इसकी अवधि तय नहीं है।
कमर्शियल और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट पर फोकस
भोपाल में नए ड्राफ्ट तैयार में शहर के कमर्शियल और इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट पर फोकस है। पूरे शहर में बेस एफएआर 1.25 रखने के साथ टीडीआर और प्रीमियम एफएआर दिए जाने की तैयारी है। प्लान में सडक़ें और अन्य सुविधाएं तो रहती हैं, पर भोपाल में भविष्य के डेवलपमेंट पर विचार जरूरी है। प्लान में इसे किस तरह शामिल करें, इस पर विचार हो रहा है। भोपाल में विधानसभा चुनाव से पहले मास्टर प्लान-2031 लागू करने की प्रक्रिया पूरी हो गई थी, पर बड़े तालाब के लैंडयूज को लेकर विवाद के बाद इसे रोक दिया गया। अब 2031 के बजाय 2047 का प्लान बनाने में सबसे पहले आबादी का अनुमान बदलेगा और उस हिसाब से रेसीडेंशियल, कमर्शियल व अन्य प्रावधान होंगे। प्लान में वर्टिकल डेवलपमेंट पर जोर होगा ताकि शहर का बेतरतीब फैलाव ना हो।

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