संभाग के अन्य जिलों में भोपाल बना फिसड्डी

 आयुष्मान कार्ड
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भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। गरीबों को बीमारी में पांच लाख रुपए तक के निशु:ल्क इलाज के लिए बनाए जाने वाले आयुष्मान कार्ड के मामले में भोपाल जिला फिसड्डी साबित हो रहा है। यह स्थिति तब है जबकि इस मामले में अब तक करीब 12 फीसदी तक फर्जी कार्ड बनने का खुलासा हो चुका है।  इस मामले में हद  तो यह है की भोपाल संभाग के तहत आने वाले उन जिलों ने भी बाजी मार ली है , जो बीते माह तक भोपाल से बहुत पीछे चल रहे थे। उन जिलों की खास बात यह है की उनमें कार्ड का फर्जीवाड़ा भी भोपाल की तुलना में आधा हुआ है, यानि की गुणवत्ता में भी अन्य जिले भोपाल से आगे हैं।   संभाग के बाकी जिले जो आयुष्मान कार्ड बनाने की रफ्तार में फरवरी तक पीछे चल रहे थे, वे 5 मई की रिपोर्ट में आगे निकल गए। वहां फर्जीवाड़ा भी कम सामने आया। आयुष्मान भारत निरामयम की रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है। कोरोना काल में पांच लाख तक इलाज के लिए आयुष्मान कार्ड के लिए पात्रता पर्ची व अन्य जरूरी दस्तावेज चाहिए होते हैं। भोपाल को दिए गए लक्ष्य 1175805 और गरीबों को इलाज देने में अफसरों ने तेजी दिखाते हुए फरवरी में ही 780349 आयुष्मान कार्ड जारी कर दिए । जांच में 10231 कार्ड फर्जी निकले तो स्वास्थ्य विभाग ने इन्हें निरस्त कर दिया।  संभाग में भोपाल में ही सबसे ज्यादा फर्जी कार्ड बने। इसके बाद अफसरों ने सख्ती कर कार्ड बनाए तो सिर्फ 20526 आयुष्मान कार्ड बने, इसमें भी 52 फर्जी निकले, जिनको निरस्त किया गया। इन तीन महीनों में सीहोर, राजगढ़, रायसेन, विदिशा में आयुष्मान कार्ड बनाने की रफ्तार तेज रही और ये जिले भोपाल से आगे निकल गए।
यह लोग हैं पात्र
आयुष्मान योजना का लाभ गरीब वंचित ग्रामीण शहरी आर्थिक रुप से बेहद कमजोर शहरी परिवार को ही दिया जा रहा है। 2011 में की गई सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना के डेटाबेस में जिन व्यक्तियों के नाम मौजूद ह, वे खुद ब खुद आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के पात्र हैं। उन्हें ही इसका फायदा मिलेगा। इसे बनवाने के लिए लोकसेवा गारंटी केंद्र में आवेदन करना होता है। इसमें बीपीएल पात्रता पर्ची, समग्र आईडी, विकलांगों के लिए प्रमाण-पत्र व अन्य दस्तावेज होना जरूरी है। लेकिन यहां पात्रों के दस्तावेज का उपयोग कर आयुष्मान कार्ड बनवाए गए लेकिन , आॅनलाइन जांच में आईडी मैच होने से पकड़े गए।
इस तरह के मामले आए सामने
राजधानी में कॉमन सर्विस सेंटर के कर्मचारी मोहम्मद जुनेदउद्दीन की आइडी से चार फर्जी आयुष्मान कार्ड बने थे। इसमें दूसरे की समग्र आईडी का उपयोग किया गया। इनसे 4 लाख 95 हजार रुपए का इलाज भी हो गया। इसी प्रकार हिना शेख की आइडी पर अजमत बी नामक महिला का आयुष्मान बना, जो बाद में पकड़ में आया। ईदगाह हिल्स पर आयुष्मान कार्ड बनाने का शिविर लगाया गया। इसमें प्रभु नगर निवासी नवीन केसवानी व शांति नगर निवासी ईश्वर सतवानी सहित 13 अन्य लोगों ने बताया कि उनका कार्ड बना है इस आधार पर उनके परिवार का आयुष्मान कार्ड बना दिया जाए। सरकारी वेबसाइट पर जब ये नंबर डाले गए तो किसी दूसरों के नाम पर खुले। सिर्फ इस एक शिविर में ही 15 फर्जी कार्ड सामने आए.जिनको निरस्त किया गया।

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