
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज कराने के लिए भाजपा लगातार रणनीति बनाने में जुटी है। इसी कड़ी में हाल ही में आयोजित प्रदेश कार्यसमिति में 200 दिन की कार्य योजना क्च तैयार की गई है। इस कार्य योजना के तहत क्क 200 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है। कार्य योजना को सफल बनाने के लिए संगठन सत्ता से जुड़े लोगों को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। उन्हें न केवल जिम्मेदारियां दी गई हैं, बल्कि उन जिम्मेदारियों का कार्यकर्ता किस तरीके से निर्वहन कर रहे हैं इस बात पर भी बारीकी से नजर रखी जाएगी। गौरतलब है कि, सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों को अहम जिम्मेदारियां राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष की अगुवाई में हुई बैठक में सौंपी गई थीं। यह बैठक हाल ही में रातापानी में हुई थी। भाजपा संगठन सभी की मॉनिटरिंग करके यह देखना चाहता है कि कौन जिम्मेदारी पूरी नहीं कर रहा है। जो जिम्मेदारी पूरी नहीं करेंगे उनकी आने वाले समय में सत्ता और संगठन से छुट्टी कर दी जाएगी। यह कह सकते हैं कि इस कार्य योजना के सफल या असफल होने पर ही जिम्मेदार लोगों का भविष्य तय होगा। यह बात प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव भी स्पष्ट कर चुके हैं।
कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार
वहीं, कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए भाजपा के प्रदेश मंत्री रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कार्यकर्ताओं की क्षमता के आधार पर ही उन्हें सत्ता और संगठन में काम दिया जाता है। जिन लोगों को जिम्मेदारियां दी गई हैं उन्हें विश्वास है कि वह पूरी तरीके से जिम्मेदारियों को पूरा करेंगे। वे अपनी भूमिका के साथ के साथ न्याय करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है कि जब चुनाव के समय सत्ता और संगठन से जुड़े लोगों को दोहरी जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। इसके पहले भी इस तरह की जिम्मेदारियों का निर्वाह भाजपा कार्यकर्ता करते आए हैं।
सियासत भी हुई शुरू
इसको लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई है। कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा का कहना है कि भाजपा अब किस- किस की मॉनिटरिंग कराएगी। संघ ने जिस तरीके से हाल ही में भाजपा सरकार की मॉनिटरिंग करके सर्वे किया, उससे पता चला कि पार्टी केवल 60 से 65 सीटें जीत रही है। खुद प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव यह मान चुके हैं कि उनके कार्यकर्ता जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं कर रहे हैं। वहीं, जब सिंधिया समर्थकों की मॉनिटरिंग की गई तो पता चला कि वे भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं। ऐसे में यह सब बातें बताती हैं कि मध्य प्रदेश में अब भाजपा सरकार की सत्ता में वापसी नहीं होनी है। इसलिए केवल वह मॉनिटरिंग करते नजर आएंगे।