कलह जारी आहे! विश्नोई के बाद मलैया को भार्गव का समर्थन

उपचुनाव

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। दमोह उपचुनाव के विपरीत आए चुनाव परिणाम के बाद से भाजपा में तलवारें खिंची हुई हैं। इस मामले में जिस तरह से संगठन ने अपने नेताओं को भितरघाती बताकर कार्रवाई की है उससे कार्यकर्ताओं से लेकर नेताओं तक में नाराजगी दिखाना शुरू कर दी है। पूर्व मंत्री व वरिष्ठ विधायक अजय विश्नोई के बाद अब गोपाल भार्गव भी अप्रत्यक्ष रूप से मलैया के पक्ष में खड़े हुए नजर आ रहे हैं। यही नहीं अब मलैया के समर्थन में दमोह भाजपा के कार्यकर्ताओं से लेकर पदाधिकारियों तक ने इस्तीफा देना शुरू कर दिया है।
इन नए घटनाक्रमों के बाद से संगठन भी हैरान है। दरअसल विश्नोई के बाद गोपाल भार्गव का कहना है कि दमोह में न भाजपा हारी है और न ही कांग्रेस जीती है। अंत में चुनाव प्रत्याशी व जनता के बीच हो गया था, जिसकी वजह से सभी मुद्दे पीछे छूट गए। यही नहीं उनके द्वारा यह भी कहा गया है कि उनसे अब तक संगठन ने कोई रिपोर्ट नहीं मांगी है, जबकि बीते दिनों संगठन से जुड़े लोगों ने रिपोर्ट मांगे जाने का दावा किया था। फिलहाल दमोह में भाजपा नेताओं के बीच चल रही अदावत अब खुलकर सामने आ गई है। हालत यह हो गई है कि दमोह में तो अब प्रहलाद के विरुद्ध लगभग सभी नेता एक हो गए हैं। सिद्धार्थ और पांच मंडल अध्यक्षों पर हुई कार्रवाई के मामले में अब मलैया ने भी खुलकर मोर्चा खोल दिया है। दरअसल यहां पर मलैया की प्रहलाद पटेल से पटरी नहीं बैठती है। इस वजह से चुनाव हारने के बाद और चुनावी प्रचार के बीच कई मौके ऐसे आए जब पटेल द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से मलैया पर निशाना साधा गया। भाजपा प्रत्याशी के चुनाव हारने के बाद पटेल को मलैया के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोलने का मौका मिल गया। इस मामले में अन्य नेताओं की अपेक्षा पटेल के अधिक सक्रिय होने की खबरें आती रही हैं।
दरअसल राहुल को प्रहलाद का न केवल बेहद खास माना जाता है, बल्कि कहा तो यह भी जाता है कि राहुल प्रहलाद के रिश्तेदार भी हैं। वैसे भी बुंदेलखंड की राजनीति में गोपाल भार्गव हों या फिर जयंत मलैया दोनों ही नेताओं को प्रहलाद का विरोधी माना जाता है। यही वजह है कि अब अप्रत्यक्ष रूप से भार्गव का समर्थन मलैया को मिला है। उधर अब नोटिस मिलने और अपने बेटे के निष्कासन के बाद मलैया ने भी पूरी तरह से प्रहलाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका कहना है कि मेरे सिर पर हार का ठीकरा फोड़ने की वजह है मेरी प्रहलाद से पटरी न बैठना। उनका कहना है कि प्रहलाद ने एक चुनावी सभा में मुझे और गोपाल भार्गव को पूतना तक कह दिया था। यही नहीं उन्होंने यहां तक कह दिया था कि लड़ना है तो मुझसे लड़ो राहुल से क्यों लड़ रहे हो।  इसका गलत संदेश गया। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा सीएम को चुनाव से ठीक पहले कह दिया गया था कि उन्हें टिकट मिले या न मिले लेकिन उनका सम्मान बना रहना चाहिए। तब सीएम ने कहा था कि इसको लेकर उनकी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री से बात हो चुकी है। गौरतलब है कि कल विश्नोई द्वारा इस मामले में टिकट देने व चुनाव प्रभारियों पर की जिम्मेदारी तय करने की मांग की गई थी। फिलहाल माना जा रहा है कि यह विवाद लंबा खिंचना तय है।
दिल्ली में रखेंगे मलैया अपना पक्ष
अपने खिलाफ इस कार्रवाई से जयंत मलैया इतने आहत है कि उन्हें अब प्रदेश संगठन पर भरोसा नहीं रह गया है। शायद यही वजह है कि वे नोटिस का जबाब देने के बाद दिल्ली जाकर अपना पक्ष राष्ट्रीय नेताओं के सामने रखने का तय कर चुके हैं। उनका कहना है कि इस दौरान उनके द्वारा कुछ महत्वपूर्ण बातों को रखा जाएगा। उनका कहना है कि जब राहुल अपना खुद का बूथ हार गए और प्रहलाद पटेल के बूथ पर भी राहुल को हार का सामना करना पड़ा है, ऐसे में हम पर ही कार्रवाई क्यों। उनका कहना है कि चूंकि हार का ठीकरा किसी न किसी पर फोड़ना था, जिसके लिए उनके द्वारा मुझे और मेरे बेटे को चुना गया।
समर्थकों ने खुलकर खोला मोर्चा
संगठन द्वारा की गई कार्रवाई के बाद से मलैया समर्थक खुलकर अब सामने आ गए हैं। वे सोशल मीडिया पर मुहिम चला रहे हैं। यही नहीं स्थानीय जिला उपाध्यक्ष विवेक अग्रवाल ने तो इस कार्रवाई को एक तरफा बताते हुए अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि नोटिस के उत्तर के बाद होने वाली कार्रवाई का बड़े पैमाने पर कार्यकर्ताओं द्वारा इंतजार किया जा रहा है। इसके बाद इस्तीफों का दौर शुरू हो सकता है।

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