भाई, मामा, मुन्ना भैया और वीडी के संयुक्त प्रयासों से लड़ेंगे चुनाव

 चुनाव

भोपाल/प्रणव बजाज/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश में विधानसभा के आम चुनाव भले ही दो साल बाद होने हैं, लेकिन भाजपा ने अभी से इसकी अपनी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए संगठन अपने आपको न केवल मजबूत करने के प्रयासों में लगा हुआ है, बल्कि लगातार बड़े नेताओं की सक्रियता तेज करने में भी लग गया है। फिलहाल यह तय माना जा रहा है कि प्रदेश में होने वाले चुनाव अब भाई, मामा, मुन्ना भैया और वीडी के संयुक्त प्रयासों से ही लड़े जाएंगे। भाजपा में यह वे नाम हैं जो आम जनता से लेकर संगठन तक में अत्यधिक प्रभावी माने जाते हैं। इनमें शामिल एक नाम जरुर चौंकाने वाला है।
यह नाम है सिंधिया का नया भाई वाला नाम। दरअसल यह नाम खुद ही उन्होंने बताया है। इंदौर में जन आशीर्वाद यात्रा के दौरान सिंधिया ने कहा कि महाराज मेरा अतीत था और भाई साहब मेरा वर्तमान और भविष्य है। उनका अपना प्रभाव है उनके साथ उनके समर्थक विधायकों की एक बड़ी फौज भी है, जिसकी वजह से ही प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी हो सकी है। उनके कद का दूसरा नेता ग्वालियर -चबल अंचल में किसी दल के पास नहीं है। इस अंचल में अब सिंधिया के रुप में भाजपा के पास दो बड़े लीडर हो गए हैं। इनमें दूसरा नाम है केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर का, जिन्हें लोग प्यार से मुन्ना भैया के रूप में जानते हैं। उनका भी अपना प्रदेश में प्रभाव है। वे न केवल प्रदेश में भाजपा की कमान संभाल चुके हैं, बल्कि लंबे समय तक मंत्री भी रहे हैं। उनकी सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान से अच्छी कैमिस्ट्री मानी जाती है। इसके अलावा उनकी क्षत्रिय समाज में भी बेहद मजबूत पकड़ है। सीएम चौहान को लोग मामा कहकर पुकारते हैं। उनकी पकड़ और लोकप्रियता तो सभी जानते हैं। इस टीम का एक अन्य नाम है भाजपा की प्रदेश में कमान संभाल रहे सांसद वीडी शर्मा का। वे लगातार पूरे प्रदेश में सक्रिय बने हुए हैं। वे प्रभात झा के बाद ऐसे नेता हैं जो लगातार न केवल मैदानी दौरे करते रहते हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं की खैर खबर भी लेते रहते हैं। इन सभी नेताओं द्वारा मिलकर अब प्रदेश में चुनावी मोर्चा एक साथ संभाला जाएगा। इसके लिए अभी से केंद्रीय संगठन स्तर सक्रिय बना हुआ है। इसके लिए राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश और प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव लगातार प्रदेश का प्रवास कर रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। इसके लिए उनके द्वारा मप्र को लेकर कई तरह से फीडबैक लेकर  सत्ता और संगठन के एक साथ काम करने की योजना तैयार की है।
इस नीति से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और मजबूत होंगे। इस तरह का कदम उठाने की वजह है बीते लंबे समय से प्रदेश में विपक्ष के साथ ही पार्टी में उनके विरोधियों द्वारा शिवराज और वीडी शर्मा को कमजोर करने के किए गए प्रयास।
यह दोनों ही प्रदेश के ऐसे नेताओं में शामिल हैं जिनकी पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच अच्छी पकड़ मानी जाती है। उनकी इसी पकड़ को और अधिक मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और प्रदेश प्रभारी द्वारा नई योजना तैयार की गई है। इसके तहत अब प्रदेश के हर छोटे-बड़े नेता की भूमिका तय होगी। इनमें पहले से ही  शिवराज सिंह चौहान की सत्ता और वीडी शर्मा की संगठन के सर्वेसर्वा की भूमिका तो पहले से ही तय है, वहीं केंद्रीय मंत्री मुन्ना भैया और सिंधिया जैसे बड़े नेता सत्ता और संगठन में सारथी की भूमिका होगी। दरअसल अब शिवप्रकाश और मुरलीधर चाहते हैं कि हर हाल में प्रदेश की सत्ता और संगठन में इस तरह का सामंजस्य हो जिसे देशभर में बतौर उदाहरण पेश किया जा सके।
संगठन को इस तरह से मजबूती देने का प्रयास
मप्र का भाजपा संगठन पार्टी में देश का सबसे मजबूत माना जाता है। इसके बाद भी संगठन को और अधिक मजबूती देने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे की पार्टी के जनाधार को भी और बढ़ाया जा सके। नई रणनीति के तहत प्रदेश में हर बूथ पर विशेष फोकस किया जा रहा है जिससे कि हर बूथ पर पार्टी को कम से कम पचास फीसदी मत मिल सकें। दरअसल पार्टी के दोनों केन्द्रीय नेता मानते हैं कि सरकार बनने के साथ ही पार्टी के वोट प्रतिशत में भी वृद्धि होनी चाहिए। इसके लिए पार्टी ने युवा कार्यकर्ताओं को बूथ का जिम्मा देकर उन्हें और अधिक सक्रिय करने की रणनीति तैयार की है।
चारों नेता ही करेंगे नामों को तय  
मप्र की सता और संगठन में होने वाली अब नई नियुक्तियों के नामों को तय करने का काम भी अब प्रदेश के चारों नेताओं द्वारा आपसी सहमति से किया जाएगा। इसके बाद उन पर सहमति की अंतिम मुहर शिवप्रकाश और मुरलीधर राव द्वारा लगाई जाएगी। यह निर्णय करने के पीछे की जो वजह बताई जा रही है वह है इस तरह के मामलों में संभागीय संगठन मंत्रियों की बढ़ती रुचि। इसके साथ ही यह भी तय किया गया है कि अब भाजपा प्रदेश इकाई के पदाधिकारियों के कामों का भी मूल्यांकन किया जाए। इससे उनके कामकाज में सुधार होने के साथ ही जवाबदेही तय की जा सकेगी। इसी तरह का मूल्यांकन पार्टी में मंडल स्तर तक करने की योजना तैयार की गई है। इससे संगठन को अपने हर नेता की कार्यक्षमता का पता चल सकेगा।

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