
- भाजपा की सूची के बाद कांग्रेस पर प्रत्याशियों की घोषणा का दबाव
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। भाजपा ने चुनाव आचार संहिता लगने से पहले ही प्रदेश की 24 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की सूची घोषित कर दी है। इससे कांग्रेस हाईकमान पर भी प्रत्याशियों की घोषणा करने को लेकर दबाव बढ़ गया है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह का कहना है कि इसी सप्ताह कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची आने की पूरी संभावना है। चार-पांच दिन में उम्मीदवारों के नामों पर चर्चा करने के लिए एआईसीसी के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक होगी, जिसके बाद उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी जायेगी। माना जा रहा है की कांग्रेस दिग्गजों के साथ ही कुछ विधायकों पर भी दांव लगा सकती है। गौरतलब है कि कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम फाइनल करने के लिए केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक गुरुवार को बुलाई गई है। बताया जा रहा है कि बैठक के बाद कांग्रेस 8 या 9 मार्च को पहली सूची जारी कर सकती है। जिससे कई सीटों पर किन प्रत्याशियों के बीच मुकाबला होगा यह भी साफ हो जाएगा। कांग्रेस के कई बड़े नेता लोकसभा चुनाव में अपनी तरफ से दावेदारी नहीं कर रहे हैं, लेकिन राहुल ने नेताओं को यात्रा के दौरान संकेत दिए हैं कि बड़े नेताओं को भी मैदान संभालना होगा। पिछले लोकसभा चुनाव मेें भी कांग्रेस ने बड़े नेताओं को चुनाव लडऩे के लिए कहा था, तब नाथ मुख्यमंत्री थे, इसलिए छिंदवाड़ा सीट से उनके बेटे नकुलनाथ ने चुनाव लड़ा था। भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वे हार गए थे। मध्य प्रदेश की 29 सीटों के टिकट तय करने के लिए कांग्रेस का मंथन जारी है। मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह, अरुण यादव, कांतिलाल भूरिया, सुरेश पचौरी, सज्जन सिंह वर्मा, विजयलक्ष्मी साधौ को कांग्रेस चुनाव लड़ा सकती है।
लोकसभा चुनाव लडऩे के मूड में नहीं विधायक
माना जा रहा है कि कांग्रेस इस बार कई दिग्गज नेताओं को लोकसभा रण में उतार सकती है, वहीं कुछ विधायकों पर भी दांव खेलने की तैयारी है, हालांकि अधिकांश विधायक लोकसभा लड़ने के मूड में नहीं बताए जा रहे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो कांग्रेस की पहली सूची 8 या 9 मार्च को सामने आ सकती है। दरअसल, विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट वितरण में देरी होने के कारण कांग्रेस को काफी नुकसान उठाना पड़ा था। लोकसभा में पार्टी की तैयारी पहले टिकट वितरण की थी, लेकिन एक बार फिर भाजपा ने ने कांग्रेस से पहले उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी। अब कांग्रेस पर नामों की घोषणा जल्द से जल्द करने का प्रेशर है। यही कारण है कि 7 मार्च को शाम छह बजे कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक बुलाई गई है। सीईसी की बैठक में मप्र, छत्तीसगढ़, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, लक्षदीप, दिल्ली, राजस्थान और पूर्वी नार्थ इस्ट के राज्यों के नामों पर चर्चा होगी। इसके बाद पार्टी आठ या 9 मार्च को अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर सकती है। पहली लिस्ट में मप्र की 15 लोकसभा सीटों पर नामों की घोषणा हो सकती है।
सिंगल नाम तय
जानकारी अनुसार कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी ने मध्यप्रदेश की इन सीटों पर सिंगल नाम तय कर लिए गए हैं। शेष सीटों पर 2 से तीन नामों का पैनल बनाया गया है। सूत्रों की मानें तो दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया, अरूण यादव, डाक्टर गोविंद सिंह, सज्जन सिंह वर्मा जैसे वरिष्ठ नेता लोकसभा में उम्मीदवार हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की राह आसान नजर नहीं आ रही है। कारण है कि कांग्रेस को 23 फीसदी से अधिक मतों के अंतर की खाई पाटना होगा, जो किसी चुनौती से कम नहीं है। दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 58 फीसदी और कांग्रेस को 34.5 फीसदी मत मिले थे। यानी 23 फीसदी का अंतर रहा। कांग्रेस को भाजपा से 86 लाख वोट कम मिले थे। आंकड़ों को देखे तो कांग्रेस के सामने 86 लाख वोटों के अंतर को पाटना एक चुनौती है। अंतर का यह आंकड़ा 2014 में 56 लाख था। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 54.02 और कांग्रेस को 34.89 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। इस प्रकार 19.13 फीसदी वोट भाजपा को अधिक मिले थे। विधानसभा चुनाव के परिणामों पर नजर डालें तो कांग्रेस दस लोकसभा क्षेत्रों में मजबूत नजर आ रही है। यहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। इसमें छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली सभी सात विधानसभा सीटें कांग्रेस ने जीती थी। इसी तरह मुरैना की पांच, भिंड की चार, ग्वालियर की चार, टीकमगढ़ की तीन, मंडला की पांच, बालाघाट की चार, रतलाम की चार, धार की पांच और खरगौन लोकसभा क्षेत्र की आठ विधानसभा सीटों में से पांच पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस इन सीटों पर एक बार फिर मुस्तैद हो गई है।
हारे प्रत्याशी पर भी दांव लगाने की तैयारी
माना जा रहा है कि कांग्रेस कुछ सीटों पर हारे प्रत्याशियों पर दांव लगा सकती है। ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से पिछड़े वर्ग, मुरैना-श्योपुर से सामान्य जाति के उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतार सकती है। कांग्रेस के पास दूसरा विकल्प भाजपा की तरह विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशी पर दांव लगाने का भी है। भाजपा संगठन स्तर पर मजबूत नेटवर्क है, यहा बात विरोधी दल के लोग भी स्वीकार करते है। इसी नेटवर्क का लाभ उठाकर भाजपा ने देश भर के लिए जारी सूची में प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों में से 24 पर भाजपा उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। घोषित सीटों में ग्वालियर-चंबल अंचल और बुंदेलखंड की सीटें शामिल हैं। इसके बाद प्रत्याशियों के नामों को लेकर ग्वालियर-अंचल में कांग्रेस में भी गहमागहमी बढ़ गई है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में कहा था कि कांग्रेस लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रत्याशी का नाम तय किये जाते हैं। ब्लाक व जिलास्तर पर चर्चा कर नाम आगे बढ़ाये जाते हैं। कांग्रेस के प्रभारी अरुण सिंह यादव के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी भी अंचल के प्रमुख नेताओं के साथ-साथ जिम्मेदार पदाधिकारियों से सीधे चर्चा कर सकते हैं। इस चर्चा के दौरान मूल बात सामने आई थी कि कांग्रेसी अपने क्षेत्र किसी बाहरी उम्मीदवार की पालकी नहीं उठायेंगे। कार्यकर्ताओं की इस चेतावनी से कांग्रेस हाईकमान भी उम्मीदवारी तय करने के लिए सभी समीकरणों को समाने रखकर मंथन कर रहा है। भाजपा में कुछ सीटों पर आंतरिक रूप से घोषित उम्मीदवारों के नामों का विरोध भी है, जिस पर शीर्ष नेतृत्व ने आंशिक फेरबदल के संकेत भी दिए है। ग्वालियर-चंबल अंचल की सीटें भी प्रभावित हो सकती हैं। सूची जारी होने के बाद उत्साहित भाजपा प्रत्याशी पार्टी में आंतरिक रूप से चल रही हलचल के बाद चुनाव-प्रचार शुरू करने से पहले वरिष्ठजनों से मेलजोल व रूठों को मनाने में जुटे हैं।