एआईएमआईएम से फायदा तो…आप से हुआ भाजपा को नुकसान

एआईएमआईएम
  • विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को आप और एआईएमआईएम की चुनौती से भी जूझना होगा
    भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम।
    नगरीय निकाय चुनावों के सभी नतीजे आ गए हैं। 16 नगर निगमों में से नौ पर भाजपा और पांच पर कांग्रेस को जीत मिली है। एक सीट आम आदमी पार्टी और एक निर्दलीय के खाते में गई है। नतीजे आने के बाद से भाजपा और कांग्रेस इसे अपनी-अपनी जीत बता रहे हैं। भाजपा निर्विवाद रूप से इस चुनाव में सबसे आगे रही है, लेकिन उसे कई जगहों पर भारी नुकसान भी झेलना पड़ा है।  वहीं, कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार हुआ है, लेकिन भाजपा के मुकाबले वह अब भी काफी पीछे है। दरअसल निकाय चुनाव में एआईएमआईएम और आम आदमी पार्टी ने हार-जीत के खेल को बिगाड़ा है। भाजपा  को जहां एआईएमआईएम के चुनाव लड़ने से फायदा मिला, वहीं आप के कारण नुकसान भी उठाना पड़ा है। इसके बावजूद पार्टी 90 प्रतिशत तक चुनाव जीती है।
    प्रदेश भौगोलिक रूप से पांच हिस्सों में बंटा हुआ है। इनमें से तीन-ग्वालियर-चंबल, विंध्य और महाकौशल- क्षेत्रों के नतीजे भाजपा के लिहाज से ठीक नहीं रहे हैं। चंबल में ग्वालियर और मुरैना में भाजपा के हाथ से मेयर का पद छिन गया है।  इतना ही नहीं, नगर पालिका और नगर परिषदों में भी नतीजे भाजपा की उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे हैं। भिंड जिले के लहार जैसे इलाकों में तो पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। विंध्य क्षेत्र के नतीजे भी भाजपा के लिए निराशाजनक रहे हैं। रीवा में 24 साल बाद भाजपा को मेयर का पद गंवाना पड़ा है।  यहां कांग्रेस को जीत मिली है, लेकिन सबसे आश्चर्यजनक नतीजा सिंगरौली से आया जहां आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी मेयर चुनी गई हैं। दूसरी ओर, महाकौशल क्षेत्र भाजपा का पुराना गढ़ रहा है। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह पिछले कई वर्षों से जबलपुर से लोकसभा के लिए चुने जाते रहे हैं, लेकिन यहां भी नगर निगम चुनाव में पार्टी को शिकस्त झेलना पड़ा है। भाजपा के लिए राहत भरी खबर बुंदेलखंड और उम्मीद की किरण मालवा-निमाड़ क्षेत्र से सामने आई है। बुंदेलखंड के कटनी में अपने बागी प्रत्याशी के कारण भाजपा को मेयर पद गंवाना पड़ा, लेकिन नगर परिषद और नगर पालिकाओं में उसके लिए नतीजे अच्छे रहे हैं। नगरीय निकाय चुनावों के नतीजों से यह भी स्पष्ट है कि मालवा-निमाड़ क्षेत्र अभी भी भाजपा का मजबूत गढ़ बना हुआ है। इंदौर, भोपाल, देवास और उज्जैन में पार्टी की एकतरफा जीत से यह बात एक बार फिर साबित हुई है।
    कांग्रेस के वोट बैंक में अब एआईएमआईएम की हिस्सेदार
    मप्र की राजनीति में दो नए खिलाड़ियों के आने से  भाजपा और कांग्रेस की मुश्किले ंबढ़ी हैं। निकायों में  एआईएमआईएम की जीत कांग्रेस के लिए झटका हो सकती है क्योंकि मप्र में मुस्लिम वोटबैंक परंपरागत तौर पर कांग्रेस समर्थक माना जाता है लेकिन अब ओवैसी की एंट्री से कांग्रेस के इस वोटबैंक में भी सेंध लगती दिखने लगी है। बुरहानपुर नगर निगम में एआईएमआईएम ने सीधे तौर पर कांग्रेस को नुकसान पहुंचाया है, जहां कांग्रेस प्रत्याशी कुछ  सौ वोटों के अंतर से हारी है, जबकि एआईएमआईएम प्रत्याशी 10 हजार के करीब वोट लेने में सफल रहे। ऐसे में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस को आप और एआईएमआईएम की चुनौती से भी जूझना होगा।
    आप और एआईएमआईएम महत्वपूर्ण फैक्टर
    नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों का एक महत्वपूर्ण फैक्टर आम आदमी पार्टी और एआईएमआईएम को मिली कामयाबी है। सिंगरौली में आप ने मेयर पद हथिया लिया तो जबलपुर में भाजपा की जीत में उसकी बड़ी भूमिका रही। वहीं, बुरहानपुर में कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी की हार में एआईएमआईएम ने निर्णायक भूमिका निभाई।  यानी निकाय चुनाव में एआईएमआईएम का मैदान में उतरना भाजपा के लिए फायदेमंद रहा। निमाड़ क्षेत्र के चुनाव में भाजपा ने न सिर्फ अपना गढ़ बरकार रखा, बल्कि नवगठित परिषदों में भी कब्जा जमा लिया। खंडवा, बुरहानपुर, खरगोन जैसे बड़े शहरों में भाजपा ने अपना कब्जा बरकार रखा तो बड़वानी जिले की नई परिषद निवाली और ठीकरी में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की। सबसे ज्यादा अंतर के साथ जीत हासिल करने वाले निकायों में खंडवा शामिल रहा। यहां पर  करीब 20 हजार वोट से भाजपा जीती। बुरहानपुर में कांटे का मुकाबला दिखा । दोनों जिलों में एआईएमआईएम की एंट्री ने भाजपा की राह आसान कर दी।  एआईएमआईएम ने अपने पार्षद जितवाने के साथ ही  महापौर प्रत्याशियों को भी 10-10 हजार से ज्यादा वोट मिले हैं।  इसके बावजूद कई मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से भाजपा ने लीड हासिल की। खंडवा शहर के 12 वार्ड मुस्लिम बाहुल्य हंै। इनमें से चार में भाजपा को लीड मिली। भाजपा पार्षदों को जरूर मुस्लिमों ने नकार दिया, लेकिन महापौर के लिए भाजपा को वोट किए। यह भाजपा के लिए सुखद संदेश है।  इसी तरह से खरगोन जिले में शहर सहित छह निकायों में चुनाव हुए। चार में भाजपा को लीड मिली। कांग्रेस के खाते में एक निकाय आया। बुरहानपुर में भाजपा को कड़े मुकाबले के बाद जीत मिली। इस तरह के परिणामों ने स्पष्ट कर दिया कि चुनाव में कोई करिश्मा काम नहीं करेगा।

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