
- भ्रष्टाचार की खुलने लगी परतें
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। पूर्व मुख्य सचिव के बेहद करीबी रहे पूर्व आईएफएस अफसर ललित मोहन बेलवाल की मसीबतें और बढऩा अब तय हैै। उसके कार्यकाल में किए गए घपलों और घोटालों की फाइलें अब खुलना शुरु हो गई हैं। माना जा रहा है कि जल्द ही ऐसे ही एक और मामले में ईओडब्ल्यू उन पर नया मामला दर्ज कर सकता है। इसके अलावा इन मामलों में उनका साथ देने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी मामला दर्ज किया जाएगा। अब जिस मामलें में प्रकरण दर्ज होने की संभावना बनी हुई है उसमें सिलाई मशीन खरीदी में गड़बड़ी और महंगी दरों पर अगरबत्ती बनाने की मशीनें खरीदने के मामले शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि बेलवाल के खिलाफ दो दिन पहले ही ईओडब्ल्यू एक मामला दर्ज कर चुकी है। यह मामला अवैध रुप से की गई नियुक्तियों से संबधित है। अब ईओडब्ल्यू मशीनों की खरीद की जांच कर रहा है। फरवरी में ईओडब्ल्यू ने बेलबाल के विरुद्ध राजेश शर्मा नामक व्यक्ति द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर प्राथमिक जांच पंजीबद्ध की थी। पूरे मामले की जांच आईएएस अधिकारी नेहा मारव्या ने वर्ष 2022 में की थी। अपनी जांच रिपोर्ट में उन्होंने बताया था कि बेलवाल ने पद का दुरुपयोग करते हुए सलाहकारों के पद पर अवैध नियुक्तियां की थीं। स्वसहायता समूहों के लिए अगरबत्ती बनाने की लगभग 2500 मशीनें खरीदी गई थीं। इसका भुगतान समूहों ने शासन से मिलने वाली अनुदान राशि से किया था। बताया जाता है कि जिन मशीनों का बाजार मूल्य लगभग 40 हजार रुपये था, उन्हें एक लाख से लेकर सवा लाख रुपये तक में खरीदा गया था। इसी तरह से स्कूल गणवेश सिलाई और कम्युनिटी बेस्ड माइक्रो बीमा योजना में भी गड़बड़ी का आरोप है। जांच रिपोर्ट में यह भी है कि बेलवाल द्वारा अवैधानिक तरीके से बिना शासन एवं वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के कम्युनिटी बेस्ड माईको इंश्योरेंस बीमा योजना के अंतर्गत, बीमा कराने के नाम पर 81 हजार 647 महिलाओं से प्रति महिला 300 रूपये प्राप्त कर किसी भी तरीके की बिना बीमा पॉलिसी दिये हुये 1.73 करोड़ रूपये का गबन किया गया।
सुषमा रानी शुक्ला पर कोई कार्रवाई नहीं
इस मामले में शिकायतकर्ता ने कहा कि किसी भी संविदा कर्मचारी पर एफआईआर के बाद उसकी सेवा समाप्त कर दी जाती है। आजीविका मिशन में इसी नियम के अंतर्गत लगभग 100 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त की जा चुकी हैं। बेलवाल के साथ ही सुषमा रानी शुक्ला के विरुद्ध भी ईओडब्ल्यू ने एफआईआर कायम की है, पर शुक्ला आज भी काम कर रही है। उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
आईएएस मारव्या भी चर्चा में
पूर्व आईएफएस ललित बेलवाल के खिलाफ केस दर्ज होने के बाद आईएएस नेहा मारव्या भी एक बार फिर चर्चा में आ गईं हैं। 2011 बैच की आईएएस मारव्या ने ही बेलवाल के भर्ती में फर्जीवाड़ा करने के मामले में उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज करने की अनुशंसा की थी। पीसीसीएफ पद से रिटायर हुए ललित बेलवाल पर सख्त रूख दिखाने की वजह से मारव्या को मप्र राज्य रोजगार गारंटी परिषद के एडीशनल सीईओ पद से आनन-फानन में हटाकर राजस्व विभाग में उप सचिव बना दिया गया था। आईएएस नेहा मारव्या ने बेलवाल के खिलाफ भर्ती में फर्जीवाड़ा करने की शिकायत की जांच की थी। जांच में इस शिकायत को सही पाया था। बताया जाता है कि बेलवाल को बचाने के लिए नेहा मारव्या पर खूब दबाव डाला गया लेकिन वे डिगी नहीं थीं।