भोपाल सहित प्रदेशभर में अनुमति के बिना पेड़ों की कटाई पर रोक बरकरार

पेड़ों की कटाई
  • हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र हाईकोर्ट ने एनजीटी द्वारा गठित हाई-पॉवर कमेटी की अनुमति बिना प्रदेश में एक भी पेड़ नहीं काटने के आदेश को बरकरार रखा है। मामले पर बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा कि अगली सुनवाई तक यह अंतरिम आदेश जारी रहेगा। मूल मामले की अगली सुनवाई 14 जनवरी को होगी। वहीं, अडाणी समूह की एक कंपनी के सिंगरौली में कोल ब्लॉक का मामला अब एनजीटी जाएगा। कंपनी की ओर से प्रस्तुत आवेदन वापस ले लिया गया। दरअसल, राजधानी भोपाल के पास भोजपुर-बैरसिया सडक़ निर्माण के लिए बिना अनुमति ही सैकड़ों पेड़ काटने के मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की थी। पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने 25 नवंबर को प्रकाशित खबर पर भी संज्ञान लिया था जिसमें सागर कलेक्टोरेट में एक हजार पेड़ काटने का खुलासा किया गया था। दरअसल, कलेक्टर ने दो अतिरिक्त कक्ष बनाने कहा था, जिसके लिए 10 घंटे के भीतर परिसर में लगे एक हजार पेड़ काट दिए गए। हाईकोर्ट ने विधानसभा को यह स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे कि एमएलए क्वार्टर्स निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट में कितने पेड़ काटे गए हैं और कितने और काटे जाने हैं। एनजीटी के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद नियम विरुद्ध तरीके से पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी है। हाईकोर्ट ने कहाकि यह मामला एनजीटी में ही उठाया जाए और चाहें तो वहीं अवमानना याचिका दायर की जाए।
कमेटी पर उठाए सवाल
इस मामले में सरकार की ओर से बताया गया कि हाईकोर्ट के आदेश के पूर्व 112 पेड़ काटे जा चुके हैं। वहीं इस प्रोजेक्ट के लिए 132 पेड़ों को और काटा जाना है। सरकार ने इन्हें शिफ्ट करने और वृक्षारोपण की क्या कार्ययोजना का प्लान भी प्रस्तुत किया। अडाणी समूह की सहयोगी स्ट्रैटटेक मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड के धिरौली कोल ब्लॉक का मामला भी हाईकोर्ट पहुंचा। इस प्रोजेक्ट के तहत करीब 20 हजार पेड़ काटे गए हैं, वहीं 6 लाख पेड़ काटने का प्रस्ताव है। कंपनी की ओर से एक आवेदन पेश कर दलील दी गई कि उक्त कोल ब्लॉक वन क्षेत्र में आता है। मांग की गई कि उक्त प्रोजेक्ट में हस्तक्षेप नहीं किया जाए। कुछ देर बहस के बाद कंपनी की ओर से इस स्वतंत्रता के साथ आवेदन वापस ले लिया गया कि यह मामला एनजीटी में ही उठाएंगे। मामले में हस्तक्षेप कर्ताओं की ओर से एनजीटी द्वारा गठित कमेटी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए। दलील दी गई कि कमेटी ठीक से काम नहीं कर रही है।

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