
भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे जल जीवन मिशन के तहत घर-घर नल कनेक्शन देने के मामले में राजभोगी शहरों पर ग्रामीण इलाकों वाले पिछड़े जिले भारी पड़ रहे हैं। इस मामले में राजधानी से दूर दराज स्थित बुरहानपुर जिले ने बाजी मारे हुए पहला स्थान प्राप्त किया है। संतोष की बात यह है कि टॉप फाईव में इंदौर जिले ने जरुर जगह बनाई है। इस मामले में जो जिले अव्वल रहे हैं, उनमें बालाघाट,दतिया और नरसिंहपुर भी शामिल हैं। इन जिलों को भी शीर्ष पांच में जगह मिली है। खास बात यह है कि इस मामले में वे जिला सबसे फिसड्डी साबित हो रहे हैं, जो भाजपा के प्रभावशाली नेताओं की राजनैतिक कर्मभूमि हैं। इनमें टीकमगढ़, पन्ना, छतरपुर, सतना और अलीराजपुर शामिल हैं। इस मिशन के तहत हर घर में नल से पानी पहुंचाने का काम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस पर केन्द्र सरकार तेजी से काम करने की अपेक्षा राज्य सरकारों से कर रही है। केन्द्र ने देश के 19.22 करोड़ परिवारों को अगले लोकसभा चुनाव से पहले यानि की वर्ष 2024 से पहले पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया हुआ है। इनमें से अब तक साढेÞ आठ करोड़ परिवारों तक पीने का पानी पहुंचना शुरू हो चुका है। इस मिशन के तहत मध्यप्रदेश को 1.22 करोड़ परिवारों का लक्ष्य दिया गया है। मध्यप्रदेश में इसकी तुलना में अब तक 43.30 लाख से अधिक परिवारों को नल कनेक्शन दिए गए हैं। यह तय किए गए लक्ष्य की तुलना में महज 35 प्रतिशत के करीब होते हैं। इस मामले में अगर प्रदेश के जिलों की स्थिति देखी जाए तो बुरहानपुर जिला ही ऐसा एकमात्र जिला है, जो इस लक्ष्य को लगभग शत प्रतिशत हासिल कर चुका है। इसके उलट पन्ना जिला ऐसा है, जहां पर 2,33,566 परिवारों की तुलना में महज 27,158 घरों में ही नल कनेक्शन दिए गए हैं। इसकी वजह से यह जिला प्रदेश का सबसे फिसड्डी जिला साबित हो रहा है।
यह प्रदेश कर चुके हैं लक्ष्य हासिल
अगर देश के प्रदेशों में इस मिशन की स्थिति को देखें तो इनमें तेलंगाना, हरियाणा, गोवा , अंडमान निकोबार द्वीप समूह, पुडुचेरी, दादरा नगर हवेली और दमन दीव में तय लक्ष्य को शत प्रतिशत हासिल किया जा चुका है। इस मामले में मप्र का स्थान तय लक्ष्य पूरा नहीं कर पाने वाले प्रदेशों में दसवां है। मप्र में तय लक्ष्य की तुलना में अब तक 35 फीसदी ही काम हो पाया है। मप्र की तुलना में पंजाब, बिहार , गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, कर्नाटक, ओडिशा, तमिलनाडु, और केरल आगे हैं। इनमें से तीन राज्य तो ऐसे हैं जो जल्द ही तय लक्ष्य हासिल करने के करीब हैं।