उप स्वास्थ्य केंद्रों पर शुरू नहीं हो पाई आयुर्वेदिक चिकित्सा

उप स्वास्थ्य केंद्रों
  • सालभर बाद भी आयुष और स्वास्थ्य विभाग में नहीं बन पा रहा सामंजस्य

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक ही जगह पर एलोपैथी के साथ ही आयुर्वेदिक इलाज मुहैया कराने के लिए भारत सरकार ने करीब एक साल पहले निर्देश दिया था कि दस हजार उप स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुर्वेद पद्धति से भी उपचार किया जाए। लेकिन सालभर बाद भी योजना अधर में लटकी है। बताया जा रहा है कि इसको लेकर आयुष और स्वास्थ्य विभाग में सामंजस्य नहीं बन पा रहा है। जबकि राजस्थान, त्रिपुरा और हरियाणा जैसे प्रदेशों में उपचार शुरू हो चुका है। पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडु छत्तीसगढ़ की सरकारों ने आदेश निकाल दिए हैं।
    26 जुलाई 2023 को भारत सरकार में स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्रालय के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक एलएस चांगसन ने इस संदर्भ में राज्यों को पत्र लिखा था। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों को जो आदेश जारी किया था उसके पीछे कई कारण थे। विभाग में रिटायर्ड हो चुके अधिकारी कहते हैं कि एलोपैथी में उपचार महंगा है। अनेक रोगी आयुर्वेद से उपचार में भरोसा करते हैं। इसलिए उद्देश्य था कि प्रत्येक स्वास्थ्य केन्द्र पर एलोपैथी के साथ आयुर्वेद में भी सर्विस उपलब्ध रहे। लेकिन मप्र स्वास्थ्य सेवाओं के साथ किस प्रकार मजाक हो रहा है, मप्र में यह स्थिति देखी जा सकती है। स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुर्वेद उपचार मिले, इसके लिए कई जिलों से पत्र भी स्वास्थ्य विभाग के पास आ चुके हैं। फिर भी इसे हल्के में लिया गया है। डिंडोरी, सिवनी, मंडला, छिंदवाड़ा, अनूपपुर, शहडोल, उमरिया, सीधी, सिंगरौली से सीमएचओ एनआरएचएम को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन आयुर्वेद उपचार शुरू नहीं करवाया गया है। उप संचालक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर एनएचएम  मनीष सिंह का कहना है कि अगर आयुष विभाग के डॉक्टर आयुर्वेद में उपचार करना चाहते हैं तो वह स्वास्थ्य केन्द्रों पर सामंजस्य बनाकर लोगों का उपचार कर सकते है। इसके निर्देश दिए जा चुके हैं।
    कई राज्यों में अमल….
    भारत सरकार के निर्देश का कई राज्यों में अमल हो चुका है तो कई ने इस संदर्भ में निर्देश जारी कर दिए हैं। प्रदेश में दस हजार उप स्वास्थ्य केंद्रों पर आयुर्वेद पद्धति से उपचार करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सालभर बाद भी इस पर अमल नहीं हो सका है, जबकि आयुष और स्वास्थ्य विभाग के सामंजस्य से यह प्रबंध होना थे। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर एलोपैथी में उपचार चल रहा है। आयुर्वेद इलाज ठप पड़ा हुआ है। मंशा थी कि दोनों पद्धतियों में उपचार हो। आज तक यह सिस्टम प्रारंभ नहीं हो पाया, जबकि राजस्थान, त्रिपुरा और हरियाणा जैसे प्रदेशों में उपचार शुरू हो चुका है। पंजाब, तेलंगाना, तमिलनाडु छत्तीसगढ़ की सरकारों ने आदेश निकाल दिए हैं। डॉक्टरों का कहना है कि आयुष और स्वास्थ्य विभाग में सामंजस्य नहीं बन पाया। हालांकि स्वास्थ्य मिशन में अधिकारी कहते हैं कि आयुष विभाग के डॉक्टरों को इलाज करना है तो वह कर सकते हैं, लेकिन मैदानी अमला सवाल उठा रहा कि यह प्रक्रिया जनहित में धरातल पर क्यों नहीं उतर पाई है। जानकारी के अनुसार उप स्वास्थ्य केन्द्रों पर आयुर्वेद से उपचार करने के लिए 11 सौ कम्युनिटी हेल्थ ऑफीसर्स (सीएचओ) की नियुक्ति विभाग कर चुका है। इन्हें आयुर्वेद में उपचार का अच्छा अनुभव है। क्योंकि इन्होंने बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेद मेडिसिन इन सर्जरी) में डिग्री भी हासिल की है। नियुक्ति के बाद इन्हें 6 माह का एलोपैथी प्रशिक्षण दिया गया था। ताकि नियुक्त यह सामुदायिक अधिकारी दोनों ही विधाओं में बेहतर सेवाएं दे सकें।

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