
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश का बुंदेलखंड उन अंचलों में शामिल हैं , जहां पर हर साल लोगों को भारी जल संकट का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके बाद भी प्रदेश सरकार और शासन की लापरवाही केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी अटल भू- जल योजना पर भारी पड़ रही है , जिसकी वजह से यह योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। इसकी वजह से तीन साल पहले शुरु की गई 500 करोड़ लागत वाली इस योजना का लाभ अब भी यहां के लोगों को नसीब नहीं नहीं हो पा रहा है। हालात यह है कि जिस उद्देश्य को लेकर प्रधानमंत्री ने इस योजना को शुरू किया था, उसके पारदर्शी क्रियान्वयन में जवाबदार ईमानदारी दिखने तक को तैयार नजर नहीं आ रहे हैं। राज्य में पर्याप्त बारिश के बाद भी बुंदेलखंड में गिरते भू-जल स्तर के संतुलन को बनाने अटल भू-जल योजना को 2021 में शुरु किया गया था। इसके लिए केन्द्र सरकार ने राज्य को 500 करोड़ रुपए का बजट भी आवंटित किया था।
योजना का क्रियान्वयन दो विभागों की इकाइयों के कंधों पर है, लेकिन हर जगह लापरवाही ही देखी जा रही है। भू- जल योजना में जमीन अंदर पानी का कितना संतुलन बिगड़ा हुआ है। इसको लेवल पर लाने के लिए सबसे पहले राज्य सरकार के जन अभियान परिषद को काम करना है। परिषद को शासन द्वारा गठित की गईं जल स्वच्छता तदर्थ समतियों की बैठक कर इसके लिए ग्राम वासियों से सुझाव लेना थे , लेकिन अब तक इस मामले में कोई कदम ही नहीं उठाया गया है। दरअसल सुझाव में वे सारगर्भित तथ्य आवश्यक हैं , कि पानी का संतुलन बनाने क्या करना चाहिए। समिति के समक्ष यदि सुझाव आते हैं कि चिन्हित जगह पर खेत- तालाब में बंधान या फिर कुआं- बावड़ी का निर्माण कराया जाना है। तभी ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के अधीन मनरेगा द्वारा यह काम शुरू करने का प्रावधान है। जन अभियान परिषद के अलावा इस योजना का जिम्मा जल संसाधन विभाग का है। विभाग के अधीन एसपीएमयू यानी स्टेट प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट बनाई गई है। इसके नियंत्रण में जिला स्तर पर डीपीएमयू का गठन किया गया है। बुंदेलखंड के छतरपुर, टीकमगढ़, दमोह, सागर और पन्ना जिले के 9 ब्लाकों में जल संतुलन बनाने के लिए यह योजना चल रही है, पर हालात खराब हैं।