
- दिव्यांग आरक्षण दरकिनार करने की गाज गिरेगी 150 असिस्टेंट प्रोफेसरों पर
भोपाल/रवि खरे/बिच्छू डॉट कॉम। करे कोई और भरे कोई की तर्ज पर कॉलेजों में दो साल पहले नियुक्त डेढ़ सौ असिस्टेंट प्रोफेसरों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। दरअसल, मप्र लोक सेवा आयोग ने दिव्यांग आरक्षण को दरकिनार कर असिस्टेंट प्रोफेसर की परीक्षा आयोजित की थी। इसको लेकर मामला कोर्ट में चला गया। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लिया और दिव्यांगों को आरक्षण के अनुसार नौकरी देने का निर्देश दिया है।
जानकारी के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग के कॉलेजों में दो साल पहले नियुक्त डेढ़ सौ असिस्टेंट प्रोफेसरों पर तलवार लटक गई है। भर्ती प्रक्रिया में दिव्यांग आरक्षण दरकिनार करने से यह स्थिति पैदा हुई है। विभाग ने रिवाइज्ड सूची हाईकोर्ट को भेज दी है। वहां से मंजूरी मिलने पर आगे कार्रवाई होगी। असिस्टेंट प्रोफेसर्स एसोसिएशन के संयोजक डॉ. प्रकाश खातरकर का भी कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार दिव्यांगों को नियुक्ति दी जानी चाहिए। दो साल पहले नियुक्त लोगों को रिक्त पदों पर समायोजित करना चाहिए। कोर्ट के निर्देशानुसार टीचर्स निकालने की अनुमति लेनी होगी।
2017 में कराई गई थी पात्रता परीक्षा : गौरतलब है कि उच्च शिक्षा विभाग ने कॉलेजों के असिस्टेंट प्रोफेसर, स्पोर्ट टीचर, लाइब्रेरियन के 3400 पदों पर नियुक्ति के लिए मप्र लोक सेवा आयोग के जरिए पात्रता परीक्षा वर्ष 2017 में कराई गई। इसमें विभाग के रोस्टर में डेढ़ सौ दिव्यांगों को आरक्षण तय होना था, जिसे दरकिनार कर दिया। दिव्यांगों ने मामला जबलपुर हाईकोर्ट में दायर किया। कोर्ट ने 11 अप्रैल 22 को फैसला सुनाया है। इसमें विभाग को गलती शीघ्र सुधारने के निर्देश दिए हैं। फैसले के बाद दिसंबर 2019 से सेवा में आए 22 विषयों के 150 से अधिक सहायक प्राध्यापकों की नौकरी पर संकट आ गया है। हालांकि, विभाग को किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले हाईकोर्ट अनुमति लेनी होगी।
दो बार संशोधित सूची जारी
विभाग द्वारा हाईकोर्ट के फैसले के परिपालन में दिव्यांग आरक्षण लागू किया जा रहा है। इससे योग्य पाए गए 24 दिव्यांगों को नौकरी मिलेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे विषय जिनमें विज्ञापित पदों की संख्या 10 तक है, आरक्षण का असर नहीं होगा। आयोग दो बार संशोधित सूची जारी कर चुका है। 31 मई को तीन विषयों, 6 जून को दो विषय की सूची जारी की। अध्यक्ष, मप्र लोक सेवा आयोग के ओएसडी डॉ. आर पंचभाई का कहना है कि मप्र लोक सेवा आयोग की इसमें कोई गलती नहीं है। पदों का विवरण हमें विभाग से मिलता है, हमें रिक्त पदों की जो संख्या विभाग से मिली थी, उसी के अनुसार भर्ती निकाली थी।
6 प्रतिशत पद दिव्यांगजन के लिए आरक्षित
दिव्यांग अधिनियम-2016 के तहत विभागों में कुल विज्ञापित पदों में से 6 प्रतिशत पद दिव्यांगजन के लिए आरक्षित रखे जाने का प्रावधान है। इसमें 2 प्रतिशत पद अस्थि बाधित, 2 प्रतिशत श्रवण बाधित और 2 प्रतिशत दृष्टि बाधितों के लिए आरक्षित किए जाते हैं। उच्च शिक्षा विभाग के एसीएस शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि आयोग द्वारा दिव्यांग आरक्षण लगाकर सूची तैयार की जा चुकी है। यह सूची हाईकोर्ट भेजी गई है। इसमें कितने लोग प्रभावित हो रहे हैं, कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद उस पर चर्चा और निर्णय लिया जाएगा।