
- लोकायुक्त ने सरकार से मांगी अभियोजन की मंजूरी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे आबकारी महकमे के बहुचर्चित सहायक आयुक्त आलोक खरे के खिलाफ लोकायुक्त ने सरकार से अभियोजन की मंजूरी मांगी है। हद तो यह है जब सहायक आयुक्त आलोक खरे के खिलाफ चार साल पहले आय अधिक से संपत्ति के मामले में कार्रवाई की गई थी, तब वे एक जिले के ही इंचार्ज थे। लेकिन कार्रवाई के बाद उन्हें उपकृत करते हुए सात जिलों का प्रभारी बना दिया गया था। लोकायुक्त के पत्र के बाद वाणिज्यिक कर महकमे की प्रमुख सचिव दीपाली रस्तोगी ने आलोक खरे के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति के लिए आबकारी आयुक्त ओपी श्रीवास्तव को पत्र लिखा है। अभियोजन की स्वीकृति मिलने के बाद लोकायुक्त आलोक खरे के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत न्यायालय में चालान पेश कर सकेगी। गौरतलब है कि लोकायुक्त पुलिस ने 4 साल पहले 16 अक्टूबर 2019 में सहायक आबकारी आयुक्त आलोक कुमार खरे के 7 ठिकानों पर छापा मारा था। इन ठिकानों में भोपाल के 2, इंदौर के 2, रायसेन के 2 और छतरपुर का 1 ठिकाना शामिल था। उनके ठिकानों से छापे में नगदी समेत 150 करोड़ से ज्यादा की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ था। उस समय वे इंदौर में तैनात थे। अब वे रीवा के डिप्टी कमिश्नर हैं और उनके पास 7 जिलों का प्रभार है। इस दौरान भोपाल के चूनाभट्टी और बाग मुगालियां में दो बड़े बंगले और कोलार में फार्म हाउस की जमीन, रायसेन में दो फार्म हाउस ,एक दर्जन से अधिक लग्जरी गाडिय़ां , इंदौर के बंगले से 10 लाख रुपए और रायसेन के फार्म हाउस से पांच लाख रुपए कैश मिले थे। इसी तरह से उनके छतरपुर स्थित निवास से विदेशी मुद्रा भी मिली थी। रायसेन स्थित खरे का लग्जरी फार्म हाउस देखकर लोकायुक्त टीम भी हैरान रह गइ थी। उनके ठिकानों से मिली जानकारी के आधार पर संपत्ति की कीमत करीब 25 करोड़ रुपए से ज्यादा आंकी गई थी। साल 1998 में जिला आबकारी अधिकारी के पद से भर्ती हुए थे, ऐसे में उन्हें अब तक करीब 90 लाख रुपए की आय होनी चाहिए थी। वह खंडवा, सीहोर, रतलाम, झाबुआ, धार, इंदौर और भोपाल में तैनात भी रहे।
कार का एसी 20 मिनट पहले चालू करवाते थे
खरे परिवार के साथ अक्सर पर्यटन स्थलों पर घूमने जाते थे। उन्हें महंगी होटलों में रुकने का भी शौक है। सिर्फ यही नहीं दफ्तर से घर जाने के लिए निकलने से करीब बीस मिनट पहले वह कार का एसी चालू करवाते थे, ताकि कार पूरी तरह से ठंडी हो जाए। यही नहीं प्रशासनिक संकुल स्थित दफ्तर में वह तब आकर बैठे, जब उनके लिए 85 हजार रुपए की कुर्सी और सवा लाख रुपए की टेबल आ गई थी।
कृषि से दिखाई आय, फार्म हाउस में सैकड़ों फलदार पेड़
खरे का रायसेन के चोपड़ा कलां में 36 एकड़ जमीन पर एक फार्म हाउस है। यहां सैकड़ों पेड़ फलदार हैं। इन्हीं फलों को दिल्ली-बेंगलुरु के बाजार में बेचकर आय होना बताया गया है। रायसेन के डबरा इमलिया में दूसरा फार्म हाउस 34 एकड़ का है। इसी तरह से कार्रवाई के दौरान टीम को रायसेन स्थित फार्म हाउस से दो चेक भी मिले थे, जिससे हाल ही में हुई एक रजिस्ट्री के होने का पता चला था। इसके अलावा यह भी पता चला था कि खरे ने छापे के पहले तक करीब 34 लाख रुपए का सीए का परामर्श शुल्क के तौर पर चुकाए हैं।
462 केस में अभियोजन की मंजूरी का इंतजार
ऐसे मप्र में लोकायुक्त पुलिस के 318 और ईओडब्ल्यू के 44 केस में आरोपियों के खिलाफ चालान सिर्फ इसलिए पेश नहीं हो रहे, क्योंकि अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिल रही है। अकेले लोकायुक्त पुलिस साल 2022 में कुल 358 केस की जांच पूरी कर चुकी है। इनमें 269 ट्रैप, 25 अनुपातहीन संपत्ति और 64 पद के दुरुपयोग के प्रकरण हैं।
भ्रष्टाचार में फंसे अफसर को दोहरी जिम्मेदारी: राजकीय प्रेस के उप नियंत्रक (मु.) विलास मंथनवार पर 3 हजार रु. रिश्वत का आरोप लगा था। 9 मई 2022 को लोकायुक्त पुलिस ने केस दर्ज कर एक जुलाई 2022 को उन्हें हटाने को लिखा। 8 अगस्त को उन्हें केन्द्रीय मुद्रणालय भोपाल में पदस्थ कर दिया गया।