दुर्दिन शुरू होते ही विभाग को आई बिजली बचत की याद

बिजली बचत

भोपाल/गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश का ऊर्जा विभाग इन दिनों कुप्रबंधन की वजह से दुर्दिन झेलने को मजबूर बना है। इसकी वजह से अब उसे बिजली बचत की याद आने लगी है। खास बात यह है कि विभाग अपनी रीति और नीति सुधारने की जगह उपभोक्ताओं को ही सीख देने की तैयारी कर रहा है। इसके तहत अब विभाग द्वारा एक बार फिर से बिजली की बचत के लिए प्रेरित करने का अभियान शुरू करने की तैयारी
की जा रही है।
दुनिया के साथ देश में जारी कोयला और ऊर्जा संकट को देखते हुए प्रदेश की तीनों कंपनियों को यह निर्देश दिया गया है। बीते कुछ सालों से बिजली कंपनियों ने अपने संदेशों का रुख बदलकर बिजली चोरी रोकने पर केंद्रित कर लिया था। अब फिर से प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियां बिजली बचाने के संदेश देना शुरू कर रही हैं। ताप विद्युत गृहों के लिए कोयले की उपलब्धता की अनिश्चितता और कमी को देखते हुए विद्युत वितरण कंपनियों को निर्देश दिया गया है कि कटौती की नौबत आने से पहले ही ऊर्जा की बचत के प्रयास शुरू करें। इस दिशा में आगे बढ़ते हुए अब तीन वितरण कंपनियां पूर्व, पश्चिम और मध्य क्षेत्र कंपनियों ने बिजली बचाने के विज्ञापन कैंपेन शुरू करने के लिए योजना बनाना शुरू कर दी है। ऊर्जा विभाग की ओर से इस बारे में निर्देश दिए गए हैं। कंपनियों का मानना है कि उपभोक्ता यदि खुद ही बिजली की बचत शुरू करेंगे तो आगे प्रदेश में बिजली कटौती की नौबत नहीं आएगी।
अन्य राज्यों में शुरू हो चुका है कटौती का दौर
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान से लेकर दिल्ली तक में कोयला संकट के बाद बिजली कटौती का दौर शुरू हो चुका है। हालांकि मप्र में अभी कटौती की नौबत नहीं आई है। सरकार और ऊर्जा विभाग पर्याप्त विद्युत उत्पादन का दावा कर रहे हैं। दावा है कि मप्र बिजली सरप्लस स्टेट है। अन्य राज्यों को भी बिजली देता है। दूसरी ओर वितरण कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में यदि कटौती की नौबत आई तो भी बड़े शहरों और जिला मुख्यालयों का नंबर सबसे आखिरी में आएगा।
कटौती शुरू हुई तो सबसे पहले गांवों के
उपभोक्ता होंगे प्रभावित
बिजली कंपनियों ने गांव से लेकर शहरों को तक एक से सात तक के नंबरों में बांट रखा है। कटौती की शुरुआत छोटे गांवों जो एक और दो नंबर में आते हैं से होती है। जैसा कि पिछले दिनों हो चुका है। संभागीय मुख्यालय और औद्योगिक फीडर जो कि सात नंबर में आते हैं। उनका नंबर कटौती के मामले में सबसे आखिरी में आता है। यानी त्योहारों के दौर में यदि कटौती शुरू भी हुई तो सबसे पहले गांवों के उपभोक्ता प्रभावित होंगे।

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