
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम।
एक तरफ भाजपा संगठन से लेकर सरकार तक के मुखिया राजनीति में शुचिता की बात करते हैं तो वहीं उनके ही मंत्री दागी अफसरों को अपने करीब रखने में अपनी शान समझते हैं। कई मंत्रियों ने तो ऐसे लोगों को अपने बंगले पर अघोषित रुप से तैनात कर रखा है। ऐसे ही एक मंत्री हैं अरविंद भदौरिया। उनके द्वारा सहकारिता विभाग के एक पूर्व अफसर अरविंद सिंह सेंगर को तैनात किया हुआ है। वे ही बंगले पर अधिकांश मंत्री से जुड़े कामकाज देखते हैं। अब विभाग द्वारा उनके सहित 45 लोगों पर निशातपुरा थाने में में एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसे विभाग के ज्वाइंट कमिश्नर विनोद सिंह द्वारा दर्ज कराया गया है। इस एफआईआर में कोरल लाइफ कॉलोनी विकसित करने वाली आदर्श नगर गृह निर्माण सहकारी समिति में हुई गड़बडिय़ों के लिए सोसायटी के पदाधिकारियों और अन्य व्यक्तियों के साथ सेंगर को भी आरोपी बताया गया है। गौरतलब है कि करीब तीन साल पहले ही बीते साल दिसंबर में ही सेंगर रिटायर हुए हैं। उनके नौकरी में रहते भी विभाग के मंत्री अरविंद सिंह भदौरिया का बेहद करीबी माना जाता रहा है। रिटायर्ड होने के बाद भी सेंगर नियमित रूप से मंत्री भदौरिया के निवास और दफ्तर में बने रहते हैं। यह बात अलग है कि उनकी पदस्थापना मंत्री के स्टाफ में अधिकृत तौर पर नहीं है। खास बात यह है कि इस मामले में विभाग द्वारा पहले कलेक्टर के माध्यम से लोक अभियोजक से अनुमति भी ली गई है।
साढ़े तीन करोड़ का है मामला
जब सोसायटी की सहकारिता विभाग द्वारा जांच की गई तो खुलासा हुआ कि कुल 165 रजिस्ट्रियां की गई हैं। जिनका रजिस्ट्री मूल्य 11.82 करोड़ और बाजार मूल्य 13.54 करोड़ रुपए है, जिसमें चेक और नगद से 11.77 करोड़ रुपए प्राप्त किए गए। रजिस्ट्री से हुई आय में से 3.37 करोड़ रुपए बैंक खाते की बजाय नकद रुप से डेवलपमेंट और अन्य कार्य करने वालों को प्रदान कर दिया गया। यही नहीं नियमों को ताक पर रखकर लोगों को भ्रमित करने के लिए नाम भी आदर्श नगर से बदल कर कोरल लाइफ कॉलोनी कर दिया गया।
इस तरह की होनी थी कार्रवाई
मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार गृह निर्माण समितियों में पात्रता के आधार पर भूखंड दिलाए जाने थे। अवैधानिक रूप से समितियों द्वारा बेची गई भूमि वापस ली जानी थी। रजिस्ट्री निरस्त करने के लिए न्यायालय में आवेदन करने थे। धोखाधड़ी करने वाले समिति पदाधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी थी। इसमें सहकारिता विभाग जिला उप पंजीयक से गड़बड़ी करने वाली समितियों की जानकारी जुटाई जानी थी। समितियों द्वारा अवैध रूप से बेची गई भूमि को वापस लेकर पात्र सदस्यों को आवंटित करनी थी। लेकिन इनमें एक भी बिंदु पर अमल नहीं हो सका।
इस तरह की गड़बड़ी
आदर्श गृह निर्माण समिति की जमीन पर कोरल लाइफ नामक कॉलोनी का निर्माण कर दिया गया है। यहां ईडब्ल्यूएस की जगह पर डुप्लेक्स बना दिए गए हैं। बंधक प्लाट पर भी डुप्लेक्स बने हुए हैं। ओपन स्पेस पर भी मकान बना दिए गए हैं। समिति के 750 सदस्यों में से एक को भी प्लाट नहीं मिला। कारण है कि सोसायटी के कर्ताधर्ताओं ने जमीन इंदौर के किसी बिल्डर को बेच दी और बिल्डर ने यहां अपने हिसाब से कालोनी डेवलप कर डाली ।
यह है एफआईआर में उल्लेख
दर्ज कराई गई एफआईआर में आरोप है कि 785 सदस्यों वाली आदर्श नगर हाउसिंग सोसायटी में 340 सदस्यों को प्लॉट आवंटित किए गए थे , लेकिन इसके बाद भी उनकी रजिस्ट्री नहीं कराई गई, बल्कि इन प्लॉटों को गैर सदस्यों को बेच दिया गया। इसकी शिकायत होने पर सेंगर ने सदस्यों की मदद करने की जगह सोसायटी अध्यक्ष अब्दुल लतीफ, कांट्रेक्टर केशव नाचानी और बिचौलिए राकेश उपाध्याय सहित अन्य लोगों की जरूर मदद की। गौरतलब है कि तीन माह पूर्व सहकारिता विभाग ने दस्तावेज जब्त करने के लिए सोसायटी से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापामार कार्रवाई भी की थी। अब इस मामले में सेंगर का कहना है कि वे न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। सेंगर ने स्वीकार किया कि वे मंत्री भदौरिया के दफ्तर में बैठते हैं।
यह हैं भोपाल में हाल
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खुद पीड़ितों को प्लॉट दिलाने के निर्देश देते हुए फर्जीवाड़ा करने वाली समिति के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा था , लेकिन डेढ़ साल बाद भी समितियों के खिलाफ न तो कोई कार्रवाई की गई और न ही सदस्यों को प्लॉट ही दिलाए गए। हालात यह हैं कि मुख्यमंत्री के कहने के बाद भी अधिकारी 1750 में से महज एक को ही प्लाट दिला पाए हैं, बाकी अन्य अब भी अपने हक के लिए चक्कर काटने को मजबूर बने हुए हैं। इसकी वजह है अधिकारी गृह निर्माण सहकारी समितियों में गड़बड़ी करने वालों पर अधिकारियों की मेहरबानी। आलम यह है कि इन अधिकारियों को जांच करने के लिए कहीं दस्तावेज नहीं मिल पा रहे हैं तो कहीं समिति के पदाधिकारी। ये अधिकारी यही हवाला देकर गड़बड़ी की तह तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।