खंडवा में हार की हैट्रिक से डरे अरुण यादव

  • सिंधिया के खिलाफ गुना सीट से ठोका दावा

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में भाजपा के अनुकूल बने माहौल के बीच कांग्रेस के दिग्गज नेता भी इस बार लोकसभा चुनाव लडऩे से कदम पीछे खींच रहे हैं। यही नहीं पार्टी की हालत देखते हुए अब तो जिन नेताओं को कांग्रेस में टिकट के बेहद मजबूत दावेदार के रुप में देखा जा रहा था, वे भी पार्टी छोडक़र भाजपा का दामन थामते जा रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी मप्र में अब तक अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं कर सकी है।  इस बीच खंडवा लोकसभा सीट पर भी नया पेंच फंस गया है। दरअसल यह सीट पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव के प्रभाव वाली मानी जाती है। इस बार भी माना जा रहा है कि बीते दो चुनाव की ही तरह परिणाम आ सकता है। यही वजह है कि वे हार की हैट्रिक के डर से अब गुना से दावेदारी कर रहे हैं। दरअसल कांग्रेस भी ज्योतिरादित्य सिंधिया से बगावत कर कांग्रेस की सरकार गिराने का बदला लेना चाहती है। यह सीट कुछ हद तक यादव के लिए अनुकूल कही जा रही है। इसकी वजह है, इस क्षेत्र में सजातीय मतदाताओं का अच्छा खासा होना। दरअसल बीते कुछ दिनों सेे मप्र कांग्रेस में पलायन की स्थिति बनी हुई है। जिन नेताओं को चुनाव लडऩे के लिए कहा जा रहा है, उनमें से कई नेता स्पष्टतौर पर चुनाव लडऩे से इंकार कर चुके हैं। सागर से टिकट के प्रबल दावेदार रहे पूर्व विधायक अरुणोदय चौबे अपना नाम वापस लेकर बीते रोज ही भाजपा में चले गए हैं।
कांग्रेस की स्थिति खराब
लोकसभा चुनाव से पहले मप्र में कांग्रेस की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। नेताओं का पार्टी छोडऩे का क्रम जारी है। इस बीच पार्टी नेतृत्व वरिष्ठ नेताओं को भी चुनाव मैदान में उतारने जा रहा है। जिसमें खंडवा सीट से अरुण यादव का नाम प्रवल दावेदारों में है। जबकि यादव खंडवा से चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि वे गुना संसदीय क्षेत्र से ज्योतिरादित्य सिंधिया से भिडऩा चाहते हैं। हालांकि इसकी संभावना बेहद कम है।  ऐसे में पार्टी अरुण यादव को खंडवा से उतार सकती है। नामों की घोषणा से पहले ही अरुण यादव ने अपने विधायक भाई सचिन यादव के साथ दिल्ली पहुंचकर पाटी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े से मुलाकात की है। बताया गया कि यादव ने खडग़े के सामने भी गुना संसदीय क्षेत्र से भाजपा के ज्योतिरात्यि सिंधिया के सामने चुनाव लडऩे की बात रखी है। खंडवा से लगातार दो चुनाव हार चुके अरुण यादव खंडवा संसदीय क्षेत्र से 2014 और 2019 में चुनाव हार चुके हैं। पिछले चुनाव में भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान ने अरुण यादव को 2 लाख 73 हजार मतों से हराया था। हालांकि 2009 में अरुण यादव इस सीट से सांसद बने। वे केंद्र सरकार में राज्यमंत्री भी रहे। इसके बाद पार्टी ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी बनाया। इसके बाद से अरुण यादव के पास कोई खास जिम्मेदारी नहीं है। हालांकि 2021 में खंडवा लोकसभा चुनाव के दौरान भी अरुण यादव का नाम प्रत्याशी के लिए चला था, लेकिन पार्टी ने राजनारायण सिंह को प्रत्याशी बनाया। हालांकि वे भाजपा के ज्ञानेश्वर पाटिल से 82 हजार 140 मतों से चुनाव हार गए थे।
यह है गुना से दावे की वजह
अरुण यादव का गुना संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने का अपना गणित है। भाजपा ने मौजूदा सांसद केपी यादव का टिकट काटकर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को प्रत्याशी बनाया है। गुना, शिवपुरी और अशोकनगर जिले की 8 सीटों में फैले लोकसभा क्षेत्र में ओबीसी मतदाता ज्यादा है। इनमें यादव समाज भी बड़ी संख्या है। साथ ही किरार, कुशवाह, लोधी, रावत मतदाता भी हैं। गुना सीट से चुनाव हारने पर भी अरुण यादव को उतना बड़ा राजनीतिक नुकसान नहीं होगा, जितना खंडवा से हारने पर होगा।

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