कांग्रेस के पक्ष में यादवों को लामबंद करेंगे अरुण

-बुंदेलखंड  अंचल पर है खास फोकस

भोपाल/विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। अब प्रदेश में विधानसभा चुनाव में महज छह माह का ही समय रह गया है, ऐसे में अब भाजपा व कांग्रेस दोनों दल मतदाताओं को लुभाने के लिए तमाम तरह के प्रयास करने में जुट गए हैं। ऐसे में कांग्रेस ने प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल में पार्टी के पिछड़े वर्ग के सबसे बड़े नेता और पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव को बुदेंलखंड अंचल की कमान सौंप रखी है। इसके तहत यादव अब तीन दिन के दौरे पर इस अंचल में जा रहे हैं।  वे इस दौरान पिछड़ा वर्ग के अलावा खासतौर पर सजातीय यादव मतदाताओं को कांग्रेस के पक्ष में लामबंद करने का काम करेंगे। दरअसल यह वो अंचल है, जो उप्र की सीमा से लगे होने की वजह से सपा के प्रभाव वाला भी माना जाता है। यही वजह है कि इस अंचल के यादव मतदाता कांग्रेस व भाजपा की जगह सपा को प्राथमिकता देते हैं। सपा के प्रभावशाली होने के पहले तक यह समाज कांग्रेस को बड़ा वोट बैंक रह चुका है, लेकिन धीरे-धीरे वह कांग्रेस से दूर होकर सपा के साथ चला गया। इसकी वजह से ही इस अंचल की कुछ सीटों पर सपा भाजपा के साथ न केवल मुख्य मुकाबले में होती है , बल्कि एक दो सीटों पर जीत भी दर्ज करती रहती है। अब यादव मतदाताओं को एक बार फिर कांग्रेस से जोड़ऩे के लिए ही पार्टी ने अरुण यादव को इस अंचल की कमान सौंपी है। बताया जाता है कि इस अंचल में करीब ढाई लाख यादव मतदाता हैं, लेकिन उनका प्रभाव ऐसा है , कि इस अंचल में हर विधानसभा चुनाव में दो -तीन विधायक यादव समाज के निर्वाचित होते आए हैं। जातिगत समीकरण साधने के लिए ही कमलनाथ द्वारा यादव को इस अंचल का प्रभारी बनाया गया है। उनके पास संभाग के सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ व निवाड़ी जिले का प्रभार है। अंचल के सागर संभाग के तहत आने वाले 6 जिलों की 26 सीटों पर इस बार कांग्रेस की नजर है। फिलहाल अगर इस अंचल की सीटों को देखें तो बीते चुनाव में कांग्रेस ने दस और भाजपा ने चौदह सीटों पर जीत दर्ज की थी। इनमें से कुछ सीटें तो ऐसी थीं,  जिन पर हार-जीत का आंकड़ा महज एक हजार से कम मतों का भी था। यादव का यह दौरा 2 जून को सागर जिले से शुरु होगा। वे तीन दिनों में  यहां समाज व संगठन के लोगों से मिलेंगे। उनके दौरे का असर पन्ना व दमोह जिले में भी दिखेगा। फिलहाल इस अंचल के दो जिले ऐसे हैं, जहां पर कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है। इनमें टीकमगढ़ व निवाड़ी जिला शामिल है। खास बात यह है कि इन दोनों जिलों में यादव मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। इन दो जिलों में खाता खुलवाने के साथ छतरपुर, सागर व दमोह जिले में सीटें बढ़ाने की कांग्रेस  कोशिश में लगी हुई है। माना जाता है कि यादव का बुंदेलखंड के कार्यकर्ताओं से जीवंत संपर्क है। यादव समाज के लोग उनसे सीधे जुड़े हुए हैं। बुंदेलखंड में उनकी सक्रियता का कांग्रेस को लाभ मिलेगा। यादव रैली व जनसभा को संबोधित करने के साथ बीना, सागर, रहली में कार्यकर्ताओं की बैठकें लेंगे। सागर के बाद यादव छतरपुर जिले के दौरे पर रहेंगे। अगर यादव प्रभाव वाली सीटों को देखें तो इसमें छतरपुर जिले की महराजपुर , टीकमगढ़ , निवाड़ी , पृथ्वीपुर, खरगापुर और चंदला आती हैं। इनमें से पृथ्वीपुर में अभी यादव समुदाय के ही भाजपा विधायक हैं। कुछ सीटों पर बसपा द्वारा  यादव समाज के प्रत्याशी भी मैदान उतारे गए थे, जिसकी वजह से भी कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था। उधर, सपा भी इसी जाति पर दांव लगाती है, जिसकी वजह से यादव समाज का वोट बंट जाता है और भाजपा को इसका फायदा हो जाता है। इसका उदाहरण निवाड़ी व पृथ्वीपुर विधानसभा क्षेत्र हैं। निवाड़ी में तो बीते तीन -चार विधानसभा चुनाव से और बीते चुनाव में पृथ्वीपुर में सपा प्रत्याशी ही मुकाबले में होता है। इसमें भी एक बार सपा की मीरा यादव निर्वाचित भी हो चुकी हैं।
श्रीमंत के इलाके में भी  सक्रिय
यादव और उनके विधायक भाई भी श्रीमंत के इलाके में सक्रिय हैं। श्रीमंत की परंपरागत गुना लोकसभा सीट के मातहत आने वाली कई विस सीटें ऐसी हैं, जिन पर यादव मतदाता ही हार-जीत का फैसला करते हैं। यादव की वजह से ही इस इलाके के कई बड़े यादव नेता अब तक कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। हाल ही में मुंगावली से बीजेपी नेता यादवेंद्र यादव द्वारा कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ग्रहण की जा चुकी है। यादवेंद्र यादव जिला पंचायत सदस्य हैं। उनकी पत्नी और मां भी जिला पंचायत सदस्य हैं। वहीं, यादवेंद्र सिंह के पिता राव देशराज सिंह तीन बार बीजेपी से विधायक रहे हैं। राव देशराज सिंह ने दो बार बीजेपी से लोकसभा चुनाव लड़ा है। यादववेंद्र सिंह का चुनाव से पहले पार्टी छोडऩा उस इलाके में बीजेपी को बड़ा झटका है। यह कहा जा रहा है कि यादवेंद्र सिंह के पाला बदलने से बीजेपी को नुकसान होना तय है। उधर केपी यादव से विवाद के बाद इलाके के पूरे समाज ने श्रीमंत को लेकर आक्रोश है, पूरे समाज ने उनके गलती वाले बयान को समाज के खिलाफ ले लिया है। 

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