
- कैग रिपोर्ट में सामने आई हकीकत …
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण धरोहरें किसी भी राज्य या राष्ट्र की संस्कृति के भंडार होती हैं। शायद इसी लिए संग्रहालयों की स्थापना की जाती हैं जो उस जगह की धरोहरों, कलाकृतियों आदि को बचाकर रखतें हैं।
शायद इसी लिए पुरातात्विक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध मप्र में आज 43 संग्रहालय मौजूद है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि मप्र के संग्रहालयों में ही कलाकृतियां सुरक्षित नहीं हैं। इस बात का खुलासा नियंत्रक एवं महालेखाकार (कैग) की रिपोर्ट में हुआ है। कैग की रिपोर्ट के अनुसार मप्र के दस प्रमुख संग्रहालयों में मौजूद 42 हजार से अधिक अनमोल कलाकृतियां असुरक्षित हैं। इनमें 12,290 कलाकृतियों के चोरी होने की आशंका है और आठ संग्रहालयों में ढाई हजार से अधिक मूर्तियां फर्श पर अस्त-व्यस्त पड़ीं हैं। वहीं 500 मूर्तियां खुले में रखीं हैं। ज्यादातर मूर्तियों पर सीमेंट पोत दी गई है और पेंट के छींटे मार दिए गए हैं, जिससे उनका वास्तविक स्वरूप बिगड़ गया। संग्रहालयों में अग्निशमन यंत्र, अलार्म सिस्टम और सुरक्षा के अन्य पुख्ता इंतजाम भी नहीं है।
संग्रहालयों के मैनेजमेंट में भरी खामियां: कैग रिपोर्ट में सामने आया है कि राज्य के पास अपने संग्रहालयों के मैनेजमेंट को लेकर किसी तरह की कोई पॉलिसी/ दिशा-निर्देश नहीं मौजूद हैं। रिपोर्ट में ये भी सामने आया कि अगर राज्य के संग्रहालयों में किसी तरह की आपदा आ जाए (प्राकृतिक/मानव निर्मित), तो उसे रोकने के लिए कोई भी डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान मौजूद नहीं हैं। कैग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 22 जिले भूकंपीय क्षेत्र और 32 जिले बाढ़ प्रभावित लिस्ट में शामिल हैं। बावजूद संग्रहालयों को खतरों से बचाने के लिए कोई आपदा प्रबंधन योजना नहीं है। अब तक डेटाबेस का डिजिटलीकरण करने के भी कोई
संग्रहालयों में ऐतिहासिक धरोहरें
प्रदेशभर में विभिन्न प्रकार के कुल 43 संग्रहालय हैं। इनमें सात राज्य स्तरीय संग्रहालय भोपाल, छतरपुर, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, सतना और उज्जैन में हैं। जबकि 14 जिला स्तरीय, 8 स्थानीय, 5 स्थल और जिला प्रशासन के नियंत्रण में 9 पुरातत्व संघ संग्रहालय हैं। इनमें अकेले दस संग्रहालयों में 42,389 विभिन्न कलाकृतियां और अन्य वस्तुएं हैं। सबसे ज्यादा राज्य संग्रहालय भोपाल में 11,515, केंद्रीय संग्रहालय इंदौर में 10,457 और गुजरी महल संग्रहालय ग्वालियर में 8,782 कलाकृतियां प्रदर्शित की जा रही हैं। सबसे कम धार में 453 वस्तुएं हैं। मप्र, देश का ऐसा राज्य है जहां के संग्रहालयों में मौर्य, गुप्त, मुगल, मराठा और प्रागैतिहासिक काल के युग की झलक देखने को मिलती है। यहां शिलालेख, मुहरों, पत्थर के स्तंभों, चित्रकारी, सिक्कों, चीनी मिट्टी के वस्तुओं, धातु और हाथी दांत के खिलौनों के साथ कलाकृतियों और मूर्तियों का संग्रह है। यहीं नहीं ईसा पूर्व प्रथम शताब्दी से 17वीं शताब्दी तक की कला भी प्रदेश के संग्रहालयों में देखने मिलती है। प्रयास नहीं हुए हैं।
कलाकृतियों की ओरिजिनालिटी से समझौता
कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया हैं कि राज्य के संग्रहालयों में मौजूद कलाकृतियों में पेंट की छीटें और सीमेंट के निशान देखे गए, यानि आर्टिफैक्ट्स के संरक्षण में सीमेंट के इस्तेमाल को देखा गया। इससे आर्टिफैक्ट्स की ओरिजिनालिटी से समझौता हुआ। भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, सतना, होशंगाबाद, धार, रीवा, विदिशा, आशापुरी, गोलघर, दतिया, मांडू, बैतूल, खंडवा और सिवनी के संग्रहालयों में रखी मूर्तियों का मूल स्वरूप बदल दिया गया है। रिपोर्ट में स्टडी किये गए संग्रहालयों में मौजूद आर्टीफेक्ट्स का पीरियोडिक वेरिफिकेशन और संग्रहालयों का फिजिकल वेरिफिकेशन समय पर नहीं किया गया।