मप्र फूल प्रदेश बनने की तैयारी में, 5 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ा

मप्र फूल प्रदेश
  • उत्पादन में भी हो रही तेजी से वृद्धि

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मध्यप्रदेश वन्य जीवों और गेंहू के मामले में तो शीर्ष प्रदेशों में बना ही हुआ है। अब फूलों की खेती में भी प्रदेश शीर्ष प्रदेशों की सूची में शामिल होने के लिए दस्तक दे रहा है। इसकी वजह है प्रदेश के किसानों में फूलों की खेती को लेकर बढ़ती रुचि। परिणाम स्वरुप बीते चार सालों में प्रदेश में फूलों के उत्पादन क्षेत्र में 5 हजार हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। इसके परिणाम स्वरूप प्रदेश के किसानों द्वारा 4 लाख 71 हजार मीट्रिक टन से अधिक फूलों का उत्पादन किया गया है, जो एक रिकॉर्ड है। दरअसल  प्रदेश में छोटे किसान जिनके पास एक या आधा हेक्टेयर भूमि है, वे भी फूलों के उत्पादन से अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। फूलों की खेती कम समय में तैयार हो जाती है और यह शकोप होती है। इससे कृषकों को फसल का तुरंत नगद भुगतान प्राप्त हो जाता है। मध्यप्रदेश के फूलों की नई दिल्ली, मुम्बई, नागपुर, अहमदाबाद, जयपुर जैसे महानगरों में अच्छी मांग है। उद्यानिकी विभाग द्वारा फूलों के उत्पादन करने वाले कृषकों को प्रोत्सहित किया जा रहा है।
नर्सरियों को किया जा रहा है हाईटेक
इसके लिए प्रदेश की नर्सरियों को हाईटैक किया जा रहा है। इसके लिए ई-नर्सरी पोर्टल भी बनाया गया है। इनसे फूल-फल उत्पादक को अच्छी किस्म के बीज और पौधे रियायती दरों में प्राप्त हो रहे हैं। प्रदेश में 100 दिवसीय कार्ययोजना में 20 हजार किसानों और युवाओं को आधुनिक तकनीकों में प्रशिक्षित किय गया है। इसी कड़ी में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत ग्वालियर में 13 करोड़ रुपए लागत से पहली हाई टैक फ्लोरीकल्चर नर्सरी विकसित की जा रही है। यह नर्सरी फूलों की खेती में नवीनतम तकनीकों का प्रयोग किया जाएगा। संचालक उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण ने बताया कि प्रदेश में गत चार वर्षों में फूलों के उत्पादन में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 2021- 22 में प्रदेश में 35 हजार 720 हेक्टेयर में फूलों की खेती की गई जिसमें 4 लाख 12 हजार 730 मैट्रिक टन उत्पादन हुआ था। जबकि वर्ष 2023-24 में 41 हजार 49 हेक्टेयर में 4 लाख 71 हजार 584 मैट्रिक टन फूलों का उत्पादन हुआ, जो 2021- 22 की तुलना में 58 हजार 854 मैट्रिक टन अधिक है।
बारिश शुरू होते ही लगाए जाते हैं गेंदा फूल के पौधे
जून के आखिरी और जुलाई के शुरुआती दिनों में गेंदा फूल के पौधे लगाए जाते हैं, जो अगस्त के आखिरी दिनों में फूल देने लगते हैं। इसके बाद ढाई महीने तक इन पौधों से फूल मिलते रहते हैं। सितंबर, अक्टूबर और नवंबर में भी कुछ दिनों तक फूल लगते रहते हैं। शुरुआती दिनों में ज्यादा फूल टूटते हैं।
12 महीने बनी रहती है फूलों की डिमांड
शहर में फूलों की डिमांड त्योहार, मांगलिक कार्यक्रम सहित 12 महीने बनी रहती है। इस वजह से किसान दो महीने के अंतर से फूलों की खेती करते रहते हैं। अगस्त के महीने में भी नए पौधे लगा दिए हैं, जो अक्टूबर तक फूल देने लगेंगे। शादी का सीजन शुरू होते ही फूलों की डिमांड ज्यादा हो जाती है। इसमें गेंदा फूल के साथ और भी कई प्रकार के फूलों की मांग रहती है। विवाह के समय वरमाला बनाने से लेकर स्टेज सजाने तक के लिए फूलों की जबरदस्त बिक्री होती है। इस मामले में किसानों का कहना है कि फूलों की खेती में नुकसान की संभावना कम होती है।

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