
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में एक ऐसा काकस बन चुका है, जो हर बार कहीं न कहीं फसलों के उपार्जन में फर्जीवाड़ा कर जमकर मुनाफा कमाने में पीछे नही रहता है। ऐसे मामलों का खुलासा होने के बाद अफसरान दिखावे की कार्रवाई कर इतिश्री कर लेते हैं। लिहाजा गड़बड़ी करने वालों को फिर से मौका मिल जाता है और वे हर बार नई ताकत के साथ फर्जीवाड़ा करने में पीछे नहीं रहते हैं। दरअसल काकस इतना प्रभावशाली रहता है कि सरकार भी उन पर सख्त कार्रवाई नहीं करती है। यही वजह है कि इस बार भी इस काकस से जुड़े लोगों ने जबलपुर में भी इसी तरह का बड़ा घोटाला कर डाला। इसके लिए यहां पर की गई गड़बड़ी का मामला प्रारंभिक तौर पर 20 हजार मीट्रिक टन धान का बताया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि जबलपुर में पिछले महीने सामने आए धान उपार्जन घोटाले में सरकार ने सख्ती दिखाते हुए कई अफसरों को नाप दिया है। अब इस मामले की जांच का जिम्मा संम्हाल रहे वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के एमडी दीपक सक्सेना को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जबलपुर का कलेक्टर पदस्थ किया है। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि अब इस मामले मे बड़ी कार्रवाई हो सकती है। दरअसल मामले का खुलासा होने पर सक्सेना भोपाल से ही धान खरीदी की जांच के लिए विशेष जांच दल गठित करके जबलपुर गए थे। अहम बात यह है कि इस मामले की जांच करने वाले दल में जबलपुर के किसी भी अफसर को शामिल नहीं किया गया है। प्रारंभिक पड़ताल में उपार्जन टीम, बारदाना सप्लायर, भंडार गृह संचालकों की मिलीभगत के सबूत मिल रहे हैं। कलेक्टर सक्सेना ने जबलपुर में धान उपार्जन से जुड़े सभी जिम्मेदारों को जांच से अलग कर दिया है। यही नहीं गुणवत्ता जांच का काम भी भोपाल की टीम को सौंपा गया है। अब यही टीम धान खरीदी में फर्जीवाड़ा के चलते काली सूची में डाले 36 भंडारगृहों में रखी धान की गुणवत्ता को भी परख रहे हैं। यह बात अलग है कि इतने बड़े मामले की जांच अभी तक लोकायुक्त , ईओडब्लयू और सीबीआई जैसी किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी को नहीं सौंपी गई है।
इस तरह की गई गड़बड़ी
जबलपुर में ब्लैकलिस्टड तीन दर्जन वेयर हाउस में से एक दर्जन ऐसे वेयरहाउस हैं, जिनमें बड़ी मात्रा में धान बिना पंजीयन के रख ली गई है। इन वेयरहाउस द्वारा पुराने बारदाने का उपयोग किया गया। वहीं दूसरी ओर बिना पंजीयन धान रखने वाले वेयरहाउस में मिले सरकारी बारदानें की जांच अभी तक नहीं हुई है। ऐसे में सवाल यह है कि सरकारी बारदाना कहां से आया। कटनी के जिस ठेकेदार को बारदाना सप्लाई का काम दिया है, उसकी भी इन वेयरहाउस के साथ सांठगांठ सामने आई है।
अब तक ७ अफसर निलंबित
धान घोटाले में सात अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है। इस मामले में मध्य प्रदेश वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन के रीजनल मैनेजर डीके हवलदार को सस्पेंड कर दिया गया है। इसी प्रकार पाटन, सिहोरा, रिछाईऔर शहपुरा के वेयर हाउस शाखा प्रबंधकों को भी सस्पेंड किया गया है। जिन शाखा प्रबंधकों को निलंबित किया गया है उनमें शहपुरा के शाखा प्रबंधक रितिक सिरोठिया, पाटन शाखा प्रबंधक आनंद पांडे, सिहोरा शाखा प्रबंधक बीके पाठक और रिछाई के शाखा प्रबंधक शैलेश उपाध्याय शामिल हैं। इनके अलावा जिला खाद्य आपूर्ति नियंत्रक कमलेश टांडेकर और जिला विपणन अधिकारी रोहित सिंह बघेल को भी सस्पेंड किया गया है।