अगले हफ्ते से भाजपा में शुरू हो सकता है नियुक्तियों का दौर

भारतीय जनता पार्टी

भोपाल/राजीव चतुर्वेदी/बिच्छू डॉट कॉम। मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी में एक बार फिर संगठन में रिक्त पदों पर नियुक्तियों को लेकर सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते संगठन में कुछ प्रमुख पदों पर नियुक्तियों का दौर शुरू हो सकता है। इन नियुक्तियों का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। इस सुगबुगाहट की वजह है भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का दिल्ली दौरा। संगठन सूत्रों का कहना है कि इस दौरान वे अपने साथ सूचियां भी लेकर गए हैं, जिनकी नियुक्तियां की जानी हैं। दिल्ली में उनकी पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा से भी मुलाकात होनी है।
इसके अलावा प्रदेश का काम देखने वाले अन्य नेताओं से भी मुलाकात का कार्यक्रम है। शर्मा बीते रोज ही दिल्ली पहुंच गए हैं। दरअसल प्रदेश की कमान संभालने के बाद शर्मा करीब एक साल बाद किस्तों में अपनी आधी अधूरी टीम गठित कर सके हैं। अभी उनकी टीम में कार्यसमिति सदस्यों के अलावा प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्टों की नियुक्तियां नहीं हो सकी हैं। इन पदों पर होने वाली नियुक्तियों का लंबे समय से इंतजार किया जा रहा है। कार्यसमिति सदस्यों को लेकर खासतौर पर इंतजार है। इसकी वजह है श्रीमंत समर्थकों को लेकर लगने वाले कयास। माना जा रहा है कि इन सदस्यों की नियुक्तियों में सबसे बड़ी दिक्कत नामों को लेकर आ रही है। इसकी वजह है प्रदेशाध्यक्ष इस बार यह सूची कम नामों की रखना चाहते हैं। दरअसल पूर्व में कार्यसमिति सदस्यों की सूची बेहद बड़ी रहती रही है। यही नहीं जिन नेताओं को सरकार व संगठन में अब तक मजबूत दावेदारों को जगह नहीं मिल सकी है उनके नामों को लेकर भी दबाव बना हुआ है। यही नहीं श्रीमंत भी अपने कुछ खास समर्थकों को इसमें जगह दिलाना चाहते हैं, जिसकी वजह से यह मामला टलता रहा है। इस बीच प्रदेश में उपचुनाव भी आ गए थे जिसकी वजह से संगठन की जगह पूरा फोकस उपचुनावों पर हो गया था।
अब प्रदेश में फिलहाल संगठन के सामने ऐसी कोई चुनौती नहीं है, जिसकी वजह से रिक्त पदों को भरने की कवायद शुरू कर दी गई है। इन पदों पर नियुक्तियां न हो पाने की वजह से ही अभी पुराने प्रवक्ताओं व मीडिया पैनलिस्टों से ही काम चलाना पड़ रहा है। वैसे भी प्रदेश में भाजपा की सरकार बने हुए दो साल का समय होने को है। ऐसे में कार्यकर्ताओं का भी संगठन व सत्ता में भागीदारी को लेकर दबाव बढ़ता ही जा रहा है। माना जा रहा है कि इस सूची को अंतिम रुप देने में दूसरी बड़ी दिक्कत उन नामों को लेकर रही है, जिनके नाम पहले मंत्री पद के मजबूत दावेदारों में थे और उसके बाद अब निगम मंडल के लिए भी लिए जा रहे हैं। दरअसल सरकार अब तक राजनैतिक नियुक्तियां नहीं कर सकी है। इसकी वजह से यह मामला टलता ही जा रहा था। हालांकि बताया जा रहा है कि अब भी प्रदेश प्रवक्ताओं के नामों को लेकर फंसा पेंच पूरी तरह से नहीं सुलझ पाया है। यही वजह है कि इन नियुक्तियों के न हो पाने की वजह से संगठन की हर तीन माह बाद होने वाली प्रदेश कार्यसमिति की बैठकें भी नहीं हो पा रही हैं। इन बैठकों में बीते तीन माह के कामकाज की समीक्षा के साथ ही अगले तीन माह की कार्ययोजना तैयार की जाती है।  
चुनावी वजह से भी हुई देरी
दरअसल प्रदेश पदाधिकारियों की नियुुक्तियों के बाद जिस तरह से प्रदेश में उपचुनाव और देश के पांच राज्यों में हुए आम चुनावों में प्रदेश के सभी प्रमुख नेताओं की तैनाती कर दी गई थी, उसकी वजह से भी इसमें देरी हुई है। पहले प्रदेश की 29 सीटों पर उपचुनाव और फिर दमोह सीट पर हुए उपचुनाव की वजह से भी देरी हुई है।
इसके अलावा पांच राज्यों के आम चुनाव में भी प्रदेश के सभी महत्वपूर्ण संगठन नेताओं को भेजे जाने की वजह से इस पर काम नहीं हो पाया। बताया जा रहा है कि चुनावों से लौटने के बाद इन नियुक्तियों को लेकर प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की प्रदेश संगठन महामंत्री, सह संगठन मंत्री और मुख्यमंत्री से भी बात हो चुकी है।
कई किस्तों में हुई नियुक्तियां
प्रदेश भाजपा की कमान संभालने के बाद टीम वीडी की घोषणा कई किस्तों में हुई है। यह पहला मौका है जब संगठन में नियुक्तियों के लिए इस तरह का कदम उठाया गया है। प्रदेश संगठन में सबसे पहले पांच प्रदेश महामंत्रियों की नियुक्तियां की गई थीं। इसके बाद अन्य पदों पर भी नियुक्तियां की गई हैं। वैसे भी अभी पार्टी के सहयोगी संगठनों की बात की जाए तो एक दो को छोड़कर किसी की भी प्रदेश कार्यकारिणी घोषित नहीं की गई है।
युवा मोर्चा का भी गठन अटका
भले ही संगठन द्वारा भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष की कमान चार माह पहले वैभव पंवार को दी जा चुकी है , लेकिन वे भी अब तक अपनी टीम की घोषणा नहीं कर सके हैं, जबकि यह सहयोगी संगठन भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही वजह है प्रदेश में इस संगठन की कोई भी गतिविधि नजर नहीं आ रही है। खास बात यह है कि इस सहयोगी संगठन की भूमिका आंदोलन से लेकर सामाजिक गतिविधियों में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। अगर इसका गठन कर लिया गया होता तो यह संगठन कोविड जैसी महामारी में लोगों की मदद में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता था।
श्रीमंत समर्थकों को भी है इंतजार
सत्ता में महत्वपूर्ण भागीदारी निभाने वाले श्रीमंत के अन्य समर्थकों को भी संगठन के रिक्त पदों व निगम मंडलों में नियुक्तियों का बेसब्री से इंतजार बना हुआ है। इसकी वजह है टीम वीडी में शामिल मुकेश चौधरी को छोड़ दिया जाए तो एकमात्र श्रीमंत समर्थक मदन कुशवाहा को ही शामिल किया गया है। उन्हें प्रदेश मंत्री बनाया गया है। इसी तरह से श्रीमंत समर्थक कोई भी नेता संगठन में जिला व मंडल स्तर तक के किसी पद पर नियुक्त नहीं हो सका है। माना जा रहा है कि कुछ श्रीमंत समर्थकों को प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है।  

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