- आयुष विभाग में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र आयुष विभाग में अधिकारियों की भर्राशाही और लापरवाही का खामियाजा विभाग की महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को भुगतना पड़ रहा है। आलम यह है कि नियमानुसार तृतीय श्रेणी के पद पर पदस्थ इन कार्यकर्ताओं को चतुर्थ श्रेणी की सुविधाएं दी जा रही हैं। आयुष कर्मचारी संघ की उपाध्यक्ष लता मंगेश परमार का कहना है कि हम वर्ष 2015 से संघर्ष कर रहे है। उन्हें तृतीय श्रेणी में रखने के लिए गजट में भी स्पष्ट उल्लेख है। उसके बाद भी उनके सम्मान को ठेस पहुंचाई जा रही है। जानकारी के अनुसार 8 साल से प्रदेश में आयुष विभाग के अधीन फील्ड में पदस्थ एक हजार महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को नैसर्गिक न्याय की प्रतीक्षा है। यह कर्मचारी सभी योग्यताएं पूरी रखते हैं। गजट में भी नोटिफिकेशन किया गया। इसके बाद भी इन्हें तृतीय की बजाय चतुर्थ श्रेणी में रख दिया गया है, जबकि 1980 नियम में इन महिला सेवकों को तृतीय श्रेणी पद पर ही नियुक्त किया गया था। 16 फरवरी 2015 को आयुष विभाग ने इसके लिए राजपत्र का प्रकाशन किया था।
गजट नोटिफिकेशन में बाकायदा उल्लेख है कि हायर सेकंडरी परीक्षा उत्तीर्ण स्तर के सभी पद तृतीय श्रेणी में सम्मिलित हैं। उसमें एएनएम, दाई के पद का संवर्ग भी तृतीय श्रेणी में रखा गया है, जबकि संचालनालय के अधीन प्रदेश के औषधालयों में पदस्थ महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को चतुर्थ श्रेणी में रखा गया है।
आर्थिक क्षति के साथ सम्मान को भी ठेस
महिला कर्मचारियों का कहना है कि यह आर्थिक क्षति के साथ उनके सम्मान को भी बड़ी ठेस है। महिला कर्मचारियों का कहना है कि 1980 के नियम में उनकी तृतीय श्रेणी पद पर ही नियुक्ति की गई थी। फिर हायर सेकडरी परीक्षा पास करना अनिवार्य की। यह आईता भी पूरी की, इसके बाद भी उनके साथ न्याय नहीं हो पाया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चौथे कार्यकाल में आयुष राज्य मंत्री रहे रामकिशोर कांवरे ने भी इन कर्मियों को न्याय दिलाने की कोशिश की थी। तब उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग को नोटशीट लिखी थी। इसमें उल्लेख किया गया था कि यह कर्मचारी तृतीय श्रेणी पद पर काम करने की पूरी पात्रता रखते है। नतीजतन तत्काल इन्हें इस पद पर काम करने का मौका मिलना चाहिए। उसके बाद भी इस विषय में कोई ध्यान नहीं दिया गया है। आयुष मंत्री इंदर सिंह परमार का कहना है कि यह मामला अभी उनके संज्ञान में नहीं है। इस संबंध में वह पता करेंगे कि महिला स्वास्थ्य कर्मचारियों को किस नियम के तहत तृतीय श्रेणी में रखा जाना है।
नियमों की हो रही अनदेखी
शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा तैयार नियमों का सभी डिपार्टमेंट पालन करते है। कर्मियों का आरोप है कि आयुष में जीएडी नियमों की अनदेखी की जा रही है। इससे अनेक आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। आयुष विभाग के अंतर्गत संचालित प्रदेश के 700 औषधालयों में इन कर्मचारियों की पदस्थापना है। तृतीय श्रेणी में आने के लिए इन महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा बाकायदा सभी योग्यताएं पूरी की। विभाग ने बजट में जो नोटिफिकेशन किया है, उसके अनुसार हायर सेकेंडरी उत्तीर्ण की। इन्होंने पैरामेडीकल पंजीयन भी कराया। इसके साथ ही एक वर्षीय डिप्लोमा भी किया। उसके बाद भी इन्हें तृतीय की बजाय चतुर्थ श्रेणी कर दिया है।